जमशेदपुर के पास पटमदा में इस बार टमाटर की बंपर फसल हुई है. लेकिन कोई खरीदार न मिलने की वजह से किसान इन टमाटरों को खेतों से तोड़कर ट्रैक्टर के जरिए खेतों में ही फेंक रहे हैं. अब तक करीब 20 किसान अपने टमाटर फेंक चुके हैं. खेतों में सिर्फ फेंके हुए टमाटर ही नजर आ रहे हैं.
किसानों ने अपने 10 बीघे से ज्यादा खेत में लगे टमाटर फेंक दिए, जिससे उन्हें कम से कम लाखों का नुकसान हुआ है. टमाटर से सॉस बनाने वाली कंपनी ने भी यहां से टमाटर लेने से मना कर दिया है. दरअसल, शुरुआत में उन्हें बाजार से अच्छा मुनाफा होने लगा था. जब बाजार में खूब टमाटर आने लगे तो टमाटर का दाम गिरकर 2 रुपये किलो हो गया.
किसानों ने देखा कि उन्हें उतना मुनाफा नहीं हो रहा है जितना उन्होंने सोचा था. इसलिए उन्होंने टमाटर तोड़कर अपने घरों में स्टोर करना शुरू कर दिया. वजह यह है कि इस इलाके में एक भी कोल्ड स्टोरेज नहीं है. बाजार कभी संभल नहीं पाया और किसान धीरे-धीरे टमाटर खेतों में ही छोड़ने लगे.
टमाटर उगाने की लागत 5 रुपये थी और बाजार में उन्हें 2 रुपये प्रति किलो मिल रहा था. जिससे उन्हें मूल लागत से 3 रुपये प्रति किलो का घाटा हो रहा था. लेकिन इन लोगों ने हिम्मत जुटाई और रांची झारखंड में स्थित टमाटर सॉस बनाने वाली कंपनी से संपर्क किया, उन्होंने टमाटर खरीदने के लिए हां कर दिया जिससे किसान काफी खुश हुए कि अब उनके टमाटर बिक जाएंगे.
लेकिन जन किसान टमाटर लेकर वहां पहुंचे तो उन लोगों ने टमाटर लेने से इंकार कर दिया. बेचारे किसान ने टमाटर वापस ले आए और उन्हें खेतों में फेंक दिया. प्रगतिशील किसान यदुनाथ गोराई ने बताया, हम पटमदा के किसान हैं. इस बार हमारे यहां टमाटर की बंपर फसल हुई थी लेकिन बाजार में हमारे टमाटर की मांग कम होने लगी.
बाजार में मांग क्यों कम होने लगी यह तो हमें नहीं पता लेकिन इतना जरूर है कि बाजार में मांग कम होने लगी और बाजार भाव 2 रुपये प्रति किलो होने लगा. इस कारण हमें बाजार में अपनी लागत से 3 रुपये कम में टमाटर बेचना पड़ा. हमें काफी घाटा होने लगा.
किसान ने कहा कि एक कंपनी ने हमें भरोसा दिलाया कि हम आपके टमाटर खरीद लेंगे. हम उन टमाटरों को ट्रैक्टर में लोड कर रांची ले गए लेकिन वहां जाने के बाद उन्होंने टमाटर लेने से मना कर दिया. उन्होंने कारण नहीं बताया, सिर्फ लाल टमाटरों की तारीफ जरूर की लेकिन उसे नहीं लिया और अंत में हमें वापस आना पड़ा. जिसके बाद हमने उस टमाटर को खेतों में फेंक दिया.
प्रगतिशील किसान नकुल हांसदा ने कहा कि यह समझना मुश्किल है कि बाजार में टमाटर की मांग अचानक क्यों कम हो गई है. लेकिन यह समझ में नहीं आता कि टमाटर की खेती के लिए मशहूर पटमदा में टमाटर की मांग अचानक क्यों कम हो गई है. यह जांच का विषय है. सरकार को जांच करनी चाहिए कि बाजार में टमाटर क्यों नहीं बिक रहा है. (अनूप सिन्हा की रिपोर्ट)