आज हम आपको एक ऐसी ही चमत्कारी खाद के बारे में बताने जा रहे हैं. इस खाद का नाम है तरल जीवामृत. सरकार हो या आम किसान, सभी प्राकृतिक खेती पर जोर लगा रहे हैं. सरकार भी इसमें मदद कर रही है और सब्सिडी दे रही है.
किसानों को इसका फायदा ये मिल रहा है कि वे कम लागत में अच्छी दवा तैयार कर लेते हैं और फसल पर आसानी से छिड़काव कर देते हैं. इससे उन्हें अधिक उपज का फायदा मिल जाता है. तो आइए जान लें कि घर पर कैसे तरल जीवामृत बना सकते हैं.
सबसे पहले जान लेते हैं कि तरल जीवामृत बनाने के लिए किन-किन चीजों की जरूरत होगी ये जान लेते हैं. इस खाद को बनाने के लिए सबसे पहले 200 लीटर का प्लास्टिक का एक ड्रम, 10 किलो देसी गाय का गोबर का इस्तेमाल करना चाहिए है.
इसके अलावा इसमें 10 लीटर पुराना गोमूत्र, एक किलो गुड़ या 4 लीटर गन्ने का रस, एक किलो बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी, एक किलो दाल का आटा, एक ढकने का कपड़ा होना चाहिए. इन सभी चीजों के इस्तेमाल से खाद बनकर तैयार हो जाएगा.
ड्रम में इन सारे कच्चे माल को मिलाना है. इन सभी चीजों को एक साथ मिलाकर एक लकड़ी की सहायता से अच्छी तरह से मिक्स करें. अच्छी तरह मिलाने के बाद इस ड्रम को एक कपड़े से ढक दें. इसलिए कि इस ड्रम पर सीधी धूप नहीं पड़नी चाहिए.
अगले दिन फिर इस घोल को किसी लकड़ी की सहायता से मिला दें. आपको यह काम 5-6 दिन तक लगातार करना है. 6-7 दिनों बाद जब इस घोल में बुलबुले उठने लगें तो समझ लें कि तरल जीवामृत तैयार है. इस तरल जीवामृत को बनाने में कुछ अधिक दिन भी लग सकते हैं क्योंकि यह काम पूरी तरह से तापमान पर निर्भर करता है.
आप चाहें तो इसे सीधा फसल पर दे सकते हैं या सिंचाई के पानी के साथ दे सकते हैं. हर 15 दिन पर इसके इस्तेमाल की सलाह दी जाती है. इस तरल जीवामृत को 15 दिनों तक रखा जा सकता है. उसके बाद इसकी क्षमता घटने लगती है.