Photos: तापमान बढ़ते ही केले की फसल पर इस बीमारी ने किया हमला, बड़े इलाके में चौपट हुई फसल

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Photos: तापमान बढ़ते ही केले की फसल पर इस बीमारी ने किया हमला, बड़े इलाके में चौपट हुई फसल

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मराठावाड़ा के हिंगोली में लगातार तापमान में बढ़ोतरी दिखाई दे रही है. बढ़ती धूप का असर केले की फसलों पर होता दिखाई दे रहा है. बढ़ती धूप के कारण केले की फसल पर पीला सिगाटोका रोग का असर दिखाई दे रहा है. इसके कारण केले के पत्ते पीले होकर सूखने लगे हैं. केले के फलों पर काले दाग दिखाई दे रहे हैं जिसके कारण केला उत्पादक किसान परेशान हैं.
 

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देश और दुनिया में मराठवाड़ा का अर्धापुर और हिंगोली का पट्टा केलों के लिए प्रसिद्ध है. यहां के मीठे पानी की सिंचाई और यहां के वातावरण में पके केलों के लोग दीवाने हैं. इसलिए यहां केलों की देश और विदेशों में बड़ी मांग होती है. बढ़ती मांग को देखते हुए यहां के किसान केले की फसल लगा रहे हैं. इस साल हिंगोली में 1680 सें अधिक हेक्टेयर पर किसानों ने केले की फसल लगाई है.
 

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इन दिनों हिंगोली में लगातार बदलते मौसम और बढ़ रहे तापमान के कारण केले की फसल पर पीला सिगाटोका का असर दिखाई दे रहा है. केले के पत्ते पीले होकर गिरने गिरने लगे हैं. केले  के फलों पर धूप के कारण काले दाग होने लगे हैं. ऐसे में किसान परेशान हैं और फसल को लेकर चिंता में हैं.
 

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सेंनगांव तहसील इलाके में रहने वाले किसान गंगाराम फटांगले ने इस वर्ष अपने दो एकड़ जमीन पर केले की फसल लगाई है. इस साल केले की फसल को अच्छा भाव मिलने के कारण उन्होंने फसल की देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी. मगर जैसे जैसे फसल कटाई के लिए तैयार होने लगी, वैसे-वैसे अचानक मौसम में बदलाव होने लगे और तापमान में भी इजाफा होने लगा. इसके कारण उनके केले की फसल पर सिगाटोका बीमारी ने हमला कर दिया. इसकी वजह से केले के पत्ते पीले होकर सूखने लगे हैं. वहीं केलों के फल भी काले होकर गिरने लगे हैं.
 

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किसान गंगाराम फटांगले का कहना है कि यह बीमारी तब होती है जब तापमान बढ़ता है. केले के अच्छे उत्पादन के लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त रहता है. तापमान में अधिक कमी या वृद्धि होने पर पौधों की वृद्धि, फलों के विकास और उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है. इससे ज्यादा नुकसान होने का खतरा होता है.

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किसान गंगाराम फटांगले ने इस साल केले की अच्छी मांग को देखते हुए अधिक फसल लगाई थी. उन्होंने बुवाई से लेकर दवा आदि पर बहुत पैसे खर्च किए थे. केले की बुवाई से लेकर अब तक डेढ़ से 2 लाख रुपये के करीब खर्च किया है.

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केले की फसल से आठ से दस लाख के करीब फायदा मिलने की उम्मीद थी. मगर अनेकों कोशिश करने के बावजूद सिगाटोका रोग कम नहीं हो रहा है. इसके कारण पूरी केले की फसल बर्बाद हो रही है.
 

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