महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में इस सीजन में मॉनसूनी बारिश बहुत कम हुई है. नतीजतन, मौजूदा वक्त में इन इलाकों के किसान सूखे की मार झेल रहे हैं. वहीं इन इलाकों के किसानों को सूखे की मार से राहत देने के लिए महाराष्ट्र सरकार क्लाउड सीडिंग कराने पर विचार कर रही है.क्लाउंड सीडिंग का मतलब होता है आसमान में कृत्रिम बादलों को बनाना. फिर इन्हीं बादलों से बारिश होती है. यह प्रयोग उन इलाकों में किया जाता है जहां बारिश की घोर कमी होती है. सरकार को उम्मीद है कि क्लाउड सीडिंग से खरीफ फसलों को बचाया जा सकता है और बांधों में घटते जल स्तर को भी संतुलित किया जा सकता है.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के जल आपूर्ति मंत्री गुलाबराव पाटिल ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “हम कृत्रिम बारिश के लिए अनुकूल वातावरण की जांच करने के लिए वैज्ञानिकों से परामर्श करेंगे. हमने इस मामले पर चर्चा की है.”
क्लाउड सीडिंग में किसी इलाके में कृत्रिम बादल बनाए जाते हैं. जैसा कि आपको पता है कुदरती तौर पर आसमान में बादल तब बनते हैं जब पर्यावरण में पानी का भाप ठंडा होता है. फिर यही भाप कंडेंस होने के बाद पानी की बूंदों में बदल जाती है. इसके बाद मौसमी बदलाव होने से बारिश होती है. ये रही बात कुदरती बारिश की. लेकिन क्लाउड सीडिंग क्या है, आइए जानते हैं.
कृत्रिम क्लाउड सीडिंग के लिए जमीन पर से काम होता है जिसमें बड़े जनरेटर या एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल होता है. ये जनरेटर या एयरक्राफ्ट सिल्वर आयोडाइड की मदद से पानी को बादल में बदलते हैं. सिल्वर आयोडाइड हमारे पर्यावरण में पहले से मौजूद होता है जिसे जमीन पर लगे जनरेटर या एयरक्राफ्ट से जलाया जाता है. जलने से पैदा हुई गर्मी सिल्वर आयोडाइड के पानी को बारिश में बदल देती है. फिर उस इलाके में बारिश होती है.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार कृत्रिम बारिश का प्रयोग करने की इच्छुक है, क्योंकि महाराष्ट्र के कई जिले 9-21 प्रतिशत तक मॉनसून की कमी का सामना कर रहे हैं. राज्य में आठ फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है. एक जून से अगस्त के अंत के बीच, राज्य में 772.4 मिमी बारिश हुई और इस मौसम के दौरान वास्तविक वर्षा 709.5 मिमी दर्ज की गई है. वहीं, महाराष्ट्र के मध्य भागों में बारिश की कमी 21 प्रतिशत, जबकि मराठवाड़ा क्षेत्र में 18 प्रतिशत की कमी बताई गई है. विदर्भ में 9 प्रतिशत की कमी है.
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महाराष्ट्र के औरंगाबाद क्षेत्र के बांधों में केवल 31.51 प्रतिशत जल भंडारण है जिससे खतरे की घंटी बज रही है. पिछले साल इसी महीने में क्षेत्र के बांधों में 75 फीसदी पानी था. नासिक क्षेत्र के बांधों में 79 प्रतिशत की तुलना में 61 प्रतिशत पानी है, जबकि अमरावती क्षेत्र के बांधों में पिछले साल के 87 प्रतिशत की तुलना में 70 प्रतिशत पानी है. यहां तक कि महाराष्ट्र की चीनी बेल्ट माने जाने वाले पुणे क्षेत्र में भी बांधों में पानी का स्तर पिछले साल की तुलना में कम है. किसान खरीफ फसल को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि राज्य सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि पीने के पानी को पहली प्राथमिकता दी जाएगी.