Cotton Import: कपास का आयात टैक्स-फ्री करने पर SKM ने किया विरोध, किसानों के लिए बताया मौत का वारंट

Cotton Import: कपास का आयात टैक्स-फ्री करने पर SKM ने किया विरोध, किसानों के लिए बताया मौत का वारंट

Cotton Import: संयुक्त किसान मोर्चा ने 30 सितंबर तक कच्चे कपास के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने वाली सरकारी अधिसूचना का विरोध किया और इसे देश भर के कपास उत्पादकों के लिए मौत का वारंट बताया है. SKM ने दावा किया कि इस कदम का कपास की घरेलू कीमत पर सीधा असर पड़ेगा.

SKM KMM 26 नवंबर से अनशन और विरोध प्रदर्शन करेगा. SKM KMM 26 नवंबर से अनशन और विरोध प्रदर्शन करेगा.
क‍िसान तक
  • नोएडा,
  • Aug 20, 2025,
  • Updated Aug 20, 2025, 1:07 PM IST

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने शुल्क-मुक्त कपास आयात की घोषणा पर नाराजगी जताई है. एक सरकारी अधिसूचना में 30 सितंबर तक कच्चे कपास के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति देने का ऐलान किया है. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सरकार का ये आदेश देश भर के कपास उत्पादकों के लिए मौत का वारंट है. एक बयान में, किसान संघों के समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर "दोगलापन और विश्वासघात" का आरोप लगाया है. वित्त मंत्रालय की 18 अगस्त की अधिसूचना के अनुसार, कपास पर टैक्स छूट 19 अगस्त से प्रभावी होगी और 30 सितंबर तक लागू रहेगी.

कपास की गिरेगी घरेलू कीमत

इस फैसले को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, "सरकार ने कहा है कि कपास पर आयात शुल्क और कृषि अवसंरचना विकास उपकर (AIDC) को खत्म करना जनहित में जरूरी है. SKM कपास पर आयात शुल्क समाप्त करने की अधिसूचना का कड़ा विरोध करता है और इसे देश भर के कपास किसानों के लिए मौत का वारंट बताता है." SKM ने दावा किया कि इस कदम का कपास की घरेलू कीमत पर सीधा असर पड़ेगा. एसकेएम का कहना है कि कपास की कीमत निश्चित रूप से गिरेगी और किसानों को और अधिक संकट और कर्ज का सामना करना पड़ेगा. बता दें कि एसकेएम ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया था, जिसके बाद दिसंबर 2021 में इन्हें वापस ले लिया गया.

लाखों कपास किसान परिवारों पर संकट

संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कपट और विश्वासघात का आरोप लगाया और मांग की कि वे बताएं कि अब उनकी 'सर्वोच्च प्राथमिकता' क्या है? उन्होंने कहा पूरा कपास क्षेत्र भारत का सबसे ज़्यादा किसान आत्महत्या वाला क्षेत्र है. कपास पर आयात शुल्क समाप्त करने से लाखों कपास किसान परिवारों की आजीविका और भी ख़त्म हो जाएगी. गौरतलब है कि सरकार ने कपड़ा क्षेत्र के लिए प्रमुख कच्चे माल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए 30 सितंबर तक कच्चे कपास के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति दे दी है. इस कदम से अमेरिका को मदद मिलने की उम्मीद है. कपास पर अब तक 11 प्रतिशत आयात शुल्क के साथ-साथ कृषि अवसंरचना एवं विकास उपकर (AIDC) भी लगता था.

भारतीय कपड़ा उद्योग पर था संकट

बता दें कि भारतीय कपड़ा उद्योग परिसंघ (CITI) ने अमेरिका के भारी टैरिफ के बीच, कच्चे माल की आसान उपलब्धता के लिए भारत सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग उठाई थी. CITI ने बताया कि भारत के लिए अमेरिकी टैरिफ दर 50 प्रतिशत फिक्स की गई है और नई अमेरिकी दरें बांग्लादेश जैसे कपास में प्रतिस्पर्धी देशों के लिए 20 प्रतिशत, इंडोनेशिया और कंबोडिया में 19-19 प्रतिशत और वियतनाम में 20 प्रतिशत है. सरकार के इस फैसले पर CITI की महासचिव चंद्रिमा चटर्जी ने कहा कि हम लंबे समय से कपास पर आयात शुल्क हटाने की मांग करते आ रहे थे ताकि घरेलू कपास की कीमतें अंतरराष्‍ट्रीय कीमतों के अनुरूप हो सकें. इसलिए, हम सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं.

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