अभी पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार और केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार के बीच जुबानी जंग तेज है. यहां तक कि एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप के निशाने पर खूब लगाए जा रहे हैं. अभी तक हम किसानों से एमएसपी पर धान की खरीद और धान के उठाव में देरी को लेकर दोनों पार्टियों में तकरार देख रहे थे. लेकिन इसमें अब एक नया मोड़ आ गया है. यह नया मोड़ संगरूर के चावल को लेकर है. दरअसल, एक क्वालिटी चेक में संगरूर के चावल के कुछ सैंपल को इंसानों के खाने लायक नहीं बताया गया है.
मामला कुछ यूं है कि पंजाब के संगरूर से अरुणाचल प्रदेश के बांदरदेवा में चावल के नमूने भेजे गए थे. ये नमूने “रिजेक्शन लिमिट” (बीआरएल) से ऊपर पाए गए हैं और कुछ “इंसानों के खाने के लिए अनफिट” पाए गए हैं. ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 16-21 सितंबर के बीच बांदरदेवा में चावल के गोदाम से लिए गए 19 नमूनों में से 15 नमूने रिजेक्शन लिमिट से ऊपर पाए गए और तीन नमूने लोगों के खाने के लिए अनफिट थे. चावल के सैंपल की क्वालिटी एफएसएसएआई के स्टैंडर्ड के मुताबिक नहीं पाई गई.
इस क्वालिटी चेक की रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. फैसले के मुताबिक, एफसीआई संगरूर और एफसीआई बांदरदेवा के गोदामों में रखे गए चावलों की क्वालिटी की विस्तृत जांच की जाएगी. इन गोदामों में रखे गए 2022-23 और 2023-24 सीजन के चावल की जांच करने का फैसला लिया गया है. संगरूर एफसीआई के जिम्मे संगरूर, मलेरकोटला और बरनाला जिले के गोदाम आते हैं जहां से अरुणाचल प्रदेश के बांदरदेवा में चावल भेजा गया था.
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इस पूरे मामले पर एफसीआई के चेयरमैन को जॉइंट कमिश्नर स्टोरेज एंड रिसर्च ने 23 अक्टूबर को एक चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी की एक कॉपी 'दि ट्रिब्यून' के पास है. चिट्ठी में लिखा गया है कि चावल की जांच की विस्तृत रिपोर्ट 15 दिनों के अंदर केंद्रीय खाद्य और जन वितरण मंत्रालय को सौंप दी जाएगी. चिट्ठी में सलाह दी गई है कि संबंधित स्टॉक का क्रॉस वेरिफिकेशन किया जाना चाहिए 30 दिनों के अंदर रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जानी चाहिए.
पंजाब के एफसीआई अधिकारियों ने बताया कि पिछले दो साल के स्टॉक की सैंपलिंग करने से पहले वे हेड ऑफिस के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं. एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, "हर महीने क्वालिटी जानने के लिए नमूनों की जांच की जाती है. जुलाई में यह चावल की खेप अरुणाचल प्रदेश भेजी गई थी और सितंबर में नमूना लिया गया था. अब यह जांच का विषय है कि चावल की क्वालिटी यहां खराब हुई या बांदरदेवा में."
चावल की क्वालिटी का यह मुद्दा ऐसे समय में उठा है जब पंजाब में धान खरीद बेहद धीमी है. इसे लेकर आप सरकार और किसान संगठन केंद्र सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि राइस मिलर्स और आढ़तियों की मांगें नहीं मानी जा रही हैं जिससे धान की खरीद और उठान बहुत सुस्त चल रहा है. इससे किसानों में रोष है और वे जगह-जगह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में चावल के सैंपल का फेल होना आप सरकार और किसान यूनियनों को केंद्र के खिलाफ विरोध करने का एक और मौका देगा.
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धान की खरीद की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 46.41 लाख मीट्रिक टन धान मंडियों में आ चुका है. इसमें से 42.27 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा जा चुका है और 10.85 लाख मीट्रिक टन धान का उठाव हो चुका है, जिसमें से 2.36 लाख मीट्रिक टन धान का उठाव गुरुवार को ही हुआ है. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री लाल चंद कटारूचक ने कहा, "हर गुजरते दिन के साथ खरीद सीजन तेजी से गति पकड़ रहा है. किसानों के खातों में 5,600 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा की जा चुकी है."