एक तरफ जहां गरीब परिवार अनाज के दाने-दाने के लिए मोहताज हैं. वहीं, मध्य प्रदेश के रीवा में प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेट चढ़ा हजारों क्विंटल अनाज खुले में पड़े-पड़े खराब हो गया. अब आवारा मवेशी भी इस अनाज को नहीं खा रहे हैं. हालात यह हैं कि अनाज की दुर्गंध से 5 किलोमीटर क्षेत्र में रहवासी काफी परेशान हैं. उन्हें गंभीर बीमारियों का डर सताने लगा है. हैरत कि बात यह है कि भ्रष्टाचार कि जांच में लाखों क्विंटल अनाज देखते-देखते सड़ गया. अब जिला प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं.
यह मामला रीवा जिले के सिरमौर उमरी गांव का है, जहां किसान समृद्धि केंद्र और मध्य प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ के बगल में 2014 से अनाज खुले में पड़े पड़े सड़ रहा है. बताया जाता है कि हजारों क्विंटल अनाज का यहां खुले में पड़े ही भंडारण किया गया था. भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने के बाद अनाज उसी हालत में पड़ा रह गया.
आज हालत यह है कि पूरा अनाज सड़कर बिखर गया है और जानवरों के खाने योग्य भी नहीं बचा. स्थानीय लोगों के मुताबिक, इस सड़े हुए अनाज से 4 से 5 किलोमीटर तक का इलाका प्रभावित है. लोगों का आरोप है कि इस गंदगी से हैजा जैसी बीमारियां फैल रही हैं, जिससे इंसान और जानवर दोनों बीमार हो रहे हैं.
एक तरफ सरकार किसानों को उपज बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करती है तो दूसरी तरफ भंडारण के इंतजाम ना होने से लाखों क्विंटल अनाज खराब हो जाता है. इस मामले पर कलेक्टर प्रतिभा पाल ने बताया कि यह स्टॉक 2019 में ही हटा दिया जाना था. यह एक गबन का मामला है, जिसकी मार्कफेड में जांच चल रही है.
यह किसकी लापरवाही से हुआ है, इसकी जांच की जाएगी और आगे कठोर कार्रवाई की जाएगी. कलेक्टर ने तुरंत मार्कफेड को इस सड़े हुए अनाज का डिस्पोज करने का आदेश दिया है, ताकि लोगों को इस परेशानी से जल्द से जल्द निजात मिल सके. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि यह 11 सालों से खुले में पड़ा है इसकी दुर्गंध से बीमारी फैल रही है. (विजय कुमार विश्वकर्मा की रिपोर्ट)