
वह समय फिर आ गया है जब दिल्ली में धुएं की मोटी चादर छाई हुई है और ताजी हवा के लिए लोग जूझ रहे हैं. पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की वजह से स्थिति और भी खराब हो गई है, जिससे राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. किसानों की परेशानी और भी बढ़ गई है क्योंकि उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई शुरू हो गई है. इसके खिलाफ किसान 26 अक्टूबर से आंदोलन करेंगे. किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने पत्रकारों से कहा कि "पंजाब में हम पराली जलाने (किसानों के खिलाफ़ दर्ज की गई रेड एंट्री और एफआईआर) और धीमी गति से चल रही खरीद और डीएपीए के मुद्दे पर माझा-मालवा-दोआबा क्षेत्र में हाईवे को बंद करेंगे. हम बटाला, फगवाड़ा, संगरूर और मोगा में हाईवे को पूरी तरह से बंद करेंगे". ऐसे में सवाल है कि किसान फिर से आंदोलन की राह पर क्यों हैं?
आइए इसके लिए पराली जलाने की घटनाओं पर एक निगाह डाल लेते हैं-
यहां रेड एंट्री का मतलब है धान की कटाई के मौसम में अपने खेतों में पराली जलाते हुए पाए जाने वालों को दंडित करना. ई-खरीद पोर्टल पर किसान अपनी उपज को दो सीजन तक नहीं बेच पाएंगे. यहां तक कि किसान अपनी इन जमीनों के बदले बैंकों से लोन नहीं ले पाएंगे.
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आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के आंकड़ों के अनुसार, इस साल 15 सितंबर से 21 अक्टूबर तक उत्तर प्रदेश में खेतों में आग लगने की 723 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि हरियाणा में 655 घटनाएं हुईं. पंजाब में सबसे ज्यादा 1,510 मामले दर्ज किए गए. दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना ने पराली जलाने की जिम्मेदारी पंजाब से हटाते हुए उत्तर प्रदेश और हरियाणा पर दोष मढ़ दिया.
सु्प्रीम कोर्ट की ओर से फटकार लगाए जाने के बाद हरियाणा और पंजाब दोनों ने ही कार्रवाई शुरू कर दी है. पंजाब पुलिस संगरूर में खेतों में लगी आग को बुझाने की कोशिश कर रही है. कार्रवाई न करने के कारण किरकिरी झेल रही हरियाणा सरकार ने हाल ही में पराली जलाने पर काबू न कर पाने के कारण 24 अधिकारियों को निलंबित कर दिया.
हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि राज्य में खेतों में आग लगाने से संबंधित 3,000 एफआईआर दर्ज की गई हैं. उन्होंने जोर देकर कहा, "पराली नहीं जलाई जानी चाहिए... दबाव में भी इसे जलाना मंजूर नहीं है," उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है कि यह केवल किसानों की गलती है.
पंजाब ने भी कड़े कदम उठाए हैं. अर्पित शुक्ला, विशेष डीजीपी कानून व्यवस्था, पंजाब ने कहा कि पंजाब में पराली जलाने के 1228 मामले दर्ज हैं. 1568 आग के मामलों की जांच की जा रही है. पराली जलाने से रोकने और किसानों को पराली न जलाने के लिए समझाया जा रहा है. इसके लिए पुलिस और प्रशासन की संयुक्त टीमें बनाई गई हैं और गांव स्तर पर किसानों के साथ 3000 बैठकें की गई हैं.
हरियाणा और पंजाब दोनों ही इस बात पर जोर दे रहे हैं कि पराली जलाने की संख्या में काफी कमी आई है. इस बीच पंजाब बीजेपी भी इस विवाद में कूद पड़ी है. इसके नेता हरजीत सिंह गरेवाल ने कहा कि आप पार्टी के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार हर चीज के लिए बीजेपी को दोषी ठहराती है जो कि गलत है. हम सभी के फेफड़े एक जैसे हैं और हम सभी को स्वच्छ वातावरण की जरूरत है और सरकार और किसानों को यह समझना चाहिए.
दूसरी ओर, क्लाइमेट ट्रेंड्स द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चला है कि 2019 से 2023 तक पंजाब और हरियाणा दोनों में पराली की आग में कमी आई है. पंजाब में घटनाएं 95,048 से घटकर 52,722 हो गईं, जबकि हरियाणा में 14,122 से घटकर 7,959 हो गईं.
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मगर पराली जलाना ही एकमात्र मुद्दा नहीं है जो किसानों को नाराज कर रहा है. संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के पंजाब धड़े ने धान की खरीद और उठान में चल रहे संकट को लेकर पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है. यूनियनों ने 25 अक्टूबर को सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक राज्य भर में सभी प्रमुख हाईवे को जाम करने का फैसला किया है.(अमन भारद्वाज का इनपुट)
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