
वैसे तो आपने लोगों द्वारा विरोध करने के अलग-अलग अनोखे तरीके देखे होंगे. लेकिन राजस्थान के अलवर जिले में जिला पार्षदों ने किसानों की समस्या को लेकर कुछ अलग ही अंदाज में अपना विरोध दर्ज कराया. दरअसल, जिला परिषद की बैठक में जिला पार्षद खेत में फसल जोतने का हल कंधे पर लेकर पहुंचे. जिला पार्षदों का ये अनोखा अंदाज अब चर्चा का विषय बन गया है. पार्षदों ने कहा कि सरकार किसानों कि नहीं सुन रही है. किसान परेशान है और कई फसलों में किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. अगर किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो वो लोग अपना इस्तीफा दे देंगे.
जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक शुक्रवार को हंगामे के माहौल में शुरू हुई. बैठक की शुरुआत में ही जिला पार्षद संदीप फौलादपुरिया अपने साथियों के साथ खेत जोतने वाला हल लेकर जिला परिषद भवन पहुंचे. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. किसान आज प्याज के दामों से लेकर खेती-किसानी की कठिनाइयों से बेहद परेशान हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.
संदीप फौलादपुरिया ने व्यंग्य करते हुए कहा कि हम आज हल लेकर आए हैं, शायद इसी हल से हमारी समस्या का हल हो जाए. उन्होंने आगे कहा कि सरकार किसानों की पीड़ा को समझने में पूरी तरह असफल रही है, इसलिए यदि इस बैठक में किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे अपना इस्तीफा देकर चले जाएंगे. फिलहाल खबर लिखे जाने तक बैठक जारी है और किसानों से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा हो रही है संदीप फौलादपुरिया के इस अनोखे विरोध से जिले में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बैठक समाप्त होने के बाद सरकार और प्रशासन किसानों की समस्याओं को लेकर क्या ठोस निर्णय लेते हैं.
अलवर प्याज की देश में नासिक के बाद दूसरी सबसे बड़ी मंडी है. किसानों को प्याज के बेहतर दाम नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में किसान परेशान है और मजबूरी में अपनी प्याज की फसल सड़कों पर फेंक रहा है. क्योंकि एक बीघा कि प्याज की फसल की बुवाई में 40 से 50 हजार रुपये का खर्चा आता है. लेकिन किसान की प्याज महज 2 से 3 रुपये किलो के हिसाब से बिक रही है. प्याज के दामों ने किसानों के खून के आंसू निकल दिए हैं.