देश में मॉनसून की शुरुआत होने वाली है. इसके साथ ही खरीफ सीजन की शुरुआत हो जाएगी. खरीफ के सीजन में देश में सबसे अधिक धान की खेती की जाती है. देश के कई हिस्सों में किसान बड़े पैमाने पर इसकी खेती करते हैं. अब किसान इसकी खेती में जुट गए हैं. इसकी खेती में अच्छा उत्पादन हासिल करने के लिए पहले नर्सरी तैयार की जाती है. नर्सरी से धान की रोपाई करने पर किसान धान की खेती में अच्छा उत्पादन हासिल कर सकते हैं. नर्सरी तैयार करने के लिए किसानों को इसकी वैज्ञानिक पद्धति अपनानी पड़ती है. इसमें नर्सरी के आकार से लेकर इसकी चौड़ाई, बीज की मात्रा, खाद की मात्रा जैसी प्रमुख चीजों का भी ध्यान रखना पड़ता है.
धान की नर्सरी की तैयारी धान खेती का पहला चरण होता है. धान की अच्छी पैदावार के लिए इस चरण में विशेष तैयारी करनी पड़ती है. तब जाकर धान की उप अच्छी होती है. किसानों को धान की खेती में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. जहां तक हो सके किसानों को प्रमाणित बीज का ही इस्तेमाल करना चाहिए. रोपाई के लिए धान की नर्सरी तैयार करने के लिए किसानों को सबसे पहले खेत की तैयारी अच्छे से करनी चाहिए. दो से तीन बार खेत की गहरी जुताई करने के बाद धान की बुवाई क्यारियों में करनी चाहिए. इसके लिए क्यारियों का आकार 8 मीटर लंबा और 1.5 मीटर चौड़ा होना चाहिए. बेड का उभार खेत से ऊंचा होना चाहिए, ताकि क्यारियों में जल जमाव नहीं हो सके.
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क्यारी के चारों तरफ एक नाली बनाई जाती है ताकि पानी की निकासी सही तरीके से हो सके. बेड में धान की बुवाई करने से पहले धान को रात में ही भीगा कर रख दें. पानी में भिगो कर कम से कम छह घंटे तक रखने पर धान का अंकुरण जल्दी होता है. धान की बुवाई बेड में करने के बाद इसे पक्षियों से बचाने के लिए इसके ऊपर पुआल से ढक देना चाहिए. जबतक पौधे हरे नहीं हो जाएं तब तक पुआल को नहीं हटाना चाहिए. बेड में ऊपर से सड़ी हुई गोबर खाद का का भुरकाव करना चाहिए. इससे धान की रोपाई करते समय पौधों को उखाड़ने से पौधे आसानी से उखड़ जाते हैं और नहीं टूटते हैं. साथ ही उनका तना मोटा और मजबूत भी होता है.
पुआल से ढकने के बाद उसके ऊपर पानी की हल्की बौछार करनी चाहिए. इससे जल्दी अंकुरण में मदद मिलती है. बीज की बुवाई से पहले ट्राइकोडर्मा 4 ग्राम या 2.5 ग्राम कार्बेंडाजिम या थीरम से बीजोपचार करना चाहिए. नर्सरी तैयार करने के लिए प्रति हेक्टेयर की दर से मध्यम आकार के धान के लिए 40 किलोग्राम बीज और मोटे धान के लिए 45 किलोग्राम बीज की नर्सरी तैयार करनी चाहिए. जिन जगहों पर झुलसा रोग की शिकायत होती है, वहां पर धान को 25 किलोग्राम बीज के लिए 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन या 40 ग्राम प्लांटोंमाइसीन को मिलाकर पानी में रातभर भिगा कर छोड़ देना चाहिए.
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धान की रोपाई से लगभग एक महीने पहले ही नर्सरी तैयार की जाती है. नर्सरी तैयार करने से पहले खरपतवार की सफाई अच्छे से कर लेनी चाहिए. जिस खेत में नर्सरी तैयार की जाती है, उस खेत को मई जून के महीने में ही जुताई करके छोड़ देना चाहिए. नर्सरी में पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए 1000 वर्ग मीटर के क्षेत्र में 10 क्विंटल सड़ी हुई खाद, 10 किलो डीएपी, 2.5 किलोग्राम जिंक सल्फेट को जुताई से पहले मिट्टी में मिला देना चाहिए. इसके बाद इसमें 10 किलोग्राम यूरिया डालनी चाहिए. इससे पौधों में हरापन आता है और पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं.