Ground Report: प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क से किसान ही नहीं, व्यापारी और निर्यातक भी परेशान, पढ़ें रिपोर्ट  

Ground Report: प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क से किसान ही नहीं, व्यापारी और निर्यातक भी परेशान, पढ़ें रिपोर्ट  

Nashik onion growers ground report: केंद्र सरकार ने 19 अगस्त को प्याज निर्यात पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगा दिया था. सरकार के इस फैसले से किसान ही नहीं बल्कि व्यापारी और निर्यातक भी परेशान हैं. पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट-

प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क से किसान ही नहीं, व्यापारी और निर्यातक भी परेशानप्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क से किसान ही नहीं, व्यापारी और निर्यातक भी परेशान
सौरभ वक्तानिया
  • Nashik,
  • Aug 23, 2023,
  • Updated Aug 23, 2023, 11:48 AM IST

केंद्र सरकार ने 19 अगस्त को प्याज निर्यात पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगा दिया था. वहीं प्याज उत्पादक किसान इस वजह से बहुत दुखी हैं. सरकार की इस फैसले का विरोध करते हुए किसानों और व्यापारियों ने मंडी को बंद कर दिया और रास्ता भी रोका. वहीं प्याज निर्यातकों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से पाकिस्तान और चीन जैसे थोक प्याज उत्पादन वाले देशों को सीधा फायदा होगा. किसानों, व्यापारियों और निर्यातकों की इन बातों के बीच आजतक इंडिया टुडे ने नासिक जिले के भीतरी इलाकों की यात्रा की और जमीन पर किसानों से बात की और कहानी के उनके पक्ष को समझने की कोशिश की वे सरकार के इस फैसले से कितने प्रभावित हैं?

मालूम हो कि एक बार जब फसल तैयार हो जाती हैं, तो भंडारण किया जाता है और नियमित रूप से बाजार में लाया जाता है. अप्रैल और मई में प्याज काटकर भंडारण किया जाता है, लेकिन इस साल बेमौसम बारिश हुई जिससे प्याज बड़े पैमाने पर बर्बाद हो गया. लगभग 89 प्रतिशत प्याज बर्बाद हो गया.

किसान की 80 फीसदी उपज हो गई बर्बाद 

आजतक इंडिया टुडे की टीम नासिक जिले के शिम्पी टाकली गांव पहुंची. यहां 32 साल के वैभव आह्वाड से बात की, जोकि एक युवा किसान हैं. उन्होंने बताया कि इस साल भारी नुकसान के कारण वो अगले साल प्याज की खेती नहीं करेंगे. किसान वैभव अहवाद ने कहा, "प्याज के दो सीजन होते हैं. हालांकि इस साल बेमौसम बारिश के कारण ज्यादातर प्याज नष्ट हो गए. मैंने 200 क्विंटल प्याज उत्पादन किया था, जिसमें से केवल 20 क्विंटल ही बेच पाया. 80 फीसदी बर्बाद हो गया है. मैं केंद्र सरकार द्वारा 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाने के फैसले का पूरी तरह से विरोध करता हूं. यह सब डिमांड और सप्लाई के बारे में है, अगर डिमांड नहीं होगी तो हमें व्यापारियों से अच्छी कीमत नहीं मिलेगी. अगर हमारे पास खाने के लिए प्याज है तो हमें अतिरिक्त प्याज निर्यात क्यों नहीं करना चाहिए.

इसे भी पढ़ें- Onion Price: किसानों से 24 रुपये प्रति किलो प्याज खरीदेगी सरकार, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम ने दी जानकारी

उन्होंने आगे कहा, “मैं कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा हूं. उत्पादन के बाद प्याज का भंडारण किया जाता है जिसे चाली कहा जाता है. जब उत्पादन हुआ तो पूरा भंडारण क्षेत्र अच्छे प्याज से भर गया था, लेकिन आज केवल बर्बाद और पूरी तरह से नष्ट हो चुके प्याज बचे हैं."

फसल की लागत भी निकालना हुआ मुश्किल   

एक अन्य किसान विश्वनाथ बोडके ने कहा, "175 क्विंटल का उत्पादन हुआ, लेकिन लगभग 20 क्विंटल ही बिका. नेता राजनीति करने में व्यस्त हैं. यही कारण है कि किसान आत्महत्या कर रहे हैं. एक अन्य किसान ने कहा, “मैंने 70 हजार लगाए, लेकिन केवल 25 हजार ही मिले. हमारा भी परिवार है."

खेत में गड्ढे बनाकर प्याज को डंप कर रहे किसान 

आजतक इंडिया टुडे की टीम शरद लोखंडे के फार्म पर पहुंची. हैरानी की बात यह है कि जब टीम यहां पहुंची तो किसान और मजदूर पूरी तरह से खराब प्याज को नष्ट करने और फेंकने में व्यस्त थे. इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि आजतक इंडिया टुडे ने किसानों को अपने ही खेत में बड़े-बड़े गड्ढे बनाकर उसमें प्याज फेंकते हुए पाया. किसान सुमित लोखंडे ने कहा, "खराब प्याज को डंप करने के लिए कोई जगह नहीं है, इससे अच्छे प्याज का भारी नुकसान हो रहा है. इसलिए हम अपने ही खेत में बड़ा गड्ढा खोद प्याज को यहां डंप कर रहे हैं."

किसान ही नहीं, व्यापारी और निर्यातक भी परेशान 

सिर्फ किसान ही नहीं बल्कि व्यापारी, निर्यातक सभी का मानना है कि यह फैसला बहुत जल्दबाजी में लिया गया है. निर्यातक एवं पार्वती इंटरनेशनल के मालिक विकास सिंह ने कहा कि यह फैसला बहुत जल्दी लिया गया है और सभी के लिए कठोर है. इस फैसले से सीधे तौर पर पाकिस्तान और चीन जैसे देशों को फायदा होने वाला है.

इसे भी पढ़ें- Maize Farming: कपास और दालों की बुवाई सुस्त, किसानों ने मक्के की खेती में दिखाई रुचि, जानें कहां कितना रकबा है?

यह दूसरा दिन है जब प्याज बाजार बंद हैं और यह अगले कुछ दिनों तक जारी रहेगा. किसानों का मानना है कि बाजार खुलने पर कीमतें फिर से नीचे चले जाएंगी और उन्हें फिर नुकसान होगा. अब समय आ गया है जब सरकार किसानों के लिए कुछ करे, नहीं तो भारत आयातक बन जाएगा. 

MORE NEWS

Read more!