केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को पटना में किसानों से सीधे संवाद किया. बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में वे किसानों से मिले, उनकी बातें सुनीं और भरोसा दिलाया कि सरकार उनकी हर परेशानी को दूर करने के लिए पूरी तरह तैयार है. शिवराज ने कहा, "मैं यहां कोई नेता या मेहमान बनकर नहीं आया हूं, बल्कि एक साथी किसान की तरह आपकी बात सुनने और समाधान खोजने आया हूं." उन्होंने किसानों की विभिन्न परेशानियों पर बात करते हुए उनके समाधान पर बातचीत की.
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'राष्ट्र प्रथम' नीति की सराहना करते हुए कहा कि इससे देश की खेती को विदेशी ताकतों के दबाव से बचाया गया है. शिवराज ने बताया कि अब रिसर्च सिर्फ लैब में नहीं, बल्कि खेतों में और गांवों में होगी, ताकि किसान सीधा फायदा उठा सकें. उन्होंने कहा कि बिहार के किसान खुद अपने स्तर पर बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और नए-नए प्रयोग कर खेती को बेहतर बना रहे हैं.
उन्होंने छोटे किसानों की मदद के लिए खेतों में मशीनीकरण और वैज्ञानिक तरीकों के इस्तेमाल पर जोर दिया और कहा कि हम कम लागत में ज्यादा फसल और बेहतर मुनाफा कैसे हो, इस पर लगातार काम कर रहे हैं. शिवराज ने आवारा पशुओं की समस्या पर भी बात की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के साथ मिलकर खेतों की घेराबंदी और पशुओं के संरक्षण के उपाय किए जाएंगे. साथ ही, उन्होंने बताया कि बिहार के 3 करोड़ मवेशियों की नस्ल सुधार और दूध उत्पादन बढ़ाने पर भी ध्यान दिया जा रहा है.
उन्होंने किसानों से खेती के साथ-साथ पशुपालन, मछली पालन और मधुमक्खी पालन जैसे दूसरे विकल्पों को भी अपनाने की सलाह दी, ताकि आमदनी के नए रास्ते खुल सकें. पटना में आयोजित किसान संवाद कार्यक्रम के दौरान कृषि मंत्री ने अमेरिका से भारत अनाज के निर्यात को लेकर भी बयान दिया. साथ ही अपने बेटे को भी खेती करने की सलाह दी.
चौहान ने उर्वरकों के साथ जबरदस्ती नैनो यूरिया बेचने वालों पर भी एक्शन लेने की बात कही और उन्हें चेतावनी दी कि वे समय रहते सुधर जाएं. कार्यक्रम के अंत में शिवराज ने सभी से अपील करते हुए कहा कि वे संकल्प लें कि हम स्वदेशी उत्पादों को अपनाएंगे और आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करेंगे.