ओडिशा राज्य सरकार ने किसानों के हित को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से शाकनाशी पैराक्वाट के निर्माण, विरतण, बिक्री और उपयोग पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया है. पैराक्वाट एक जहरीला रसायन है जिलाक उपयोग ओडिशा के किसान व्यापक तौर पर खरपतवार के नियंत्रण के लिए करते हैं. खेत में उगर गए घांस को खत्म करने में इसका उपयोग किया जाता है. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के निर्देश पर, कृषि प्रमुख सचिव अरबिंद पाधी ने केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण सचिव को पत्र लिखकर उनसे कीटनाशक अधिनियम, 1968 की धारा 27 (2) के तहत उचित आदेश पारित करने का अनुरोध किया है. क्योंकि इस खतरनाक रसायन को बैन करने को लेकर लगातार आवेदन मिल रहे थे.
ओडिशा के कृषि सचिव की तरफ से जारी पत्र में कहा गया है कि ओडिशा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी (ओयूएटी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, पैराक्वाट और इसके डेरिवेटिव अत्यधिक जहरीले रसायन हैं और मानव शरीर पर घातक प्रभाव डालते हैं.ओडिशा यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नॉलॉजी ने बताया की पैराक्वाट औऱ इसके डेरिवेटिव चूहों के लिए अत्यधिक खतरनाक होते हैं. इसका मानक 40-150 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम है. इतनी कम मात्रा में भी मानव शरीर पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है. हालांकि अब तक इसके इस्तेमाल से होने वाले मिट्टी के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ने वाले असर को लेकर कोई विशेष वैज्ञानिक शोध नहीं किया गया है.
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द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक एक दूसरे रिपोर्ट में बुर्ला के प्रमुख मेडिकल कॉलेज VIMSAR की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार अस्पताल में भर्ती 149 मरीजों में से 140 की सितंबर 2017 से अगस्त 2019 तक पैराक्वाट के प्रतिकूल प्रभाव के कारण मृत्यु हो गई. VIMSAR की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पैराक्वाट के इस्तेमाल से किडनी और लीवर पर गंभीर असर पड़ा है. कुछ रोगियों में पैराक्वाट के प्रभाव के कारण सांस की समस्या भी होती है. इसलिए मेडिकल कॉलेज प्राधिकरण ने राज्य सरकार से इस हर्बीसाइड पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी.
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इसी तरह 15 जिलों के कलेक्टरों और मुख्य जिला कृषि अधिकारियों ने राज्य सरकार को रिपोर्ट दी है कि पैराक्वाट खाकर लोग आत्महत्या कर रहे हैं. पाधी ने कहा, नयागढ़ जिले में कम से कम 13 किसानों ने जड़ी-बूटी के जहरीले प्रभाव के कारण अपनी जान गंवा दी है. गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पिछले साल पांच अक्टूबर से ही इस हर्बीसाइड पर प्रतिबंध लगा दिया था. विभाग ने यह भी कहा है कि उनके पास पैराक्वाट को प्रतिबंधित करने से संबंधित कई आवेदन आए हैं.