ओडिशा के सफल मशरूम उत्पादक, 36 रुपये में की थी शुरुआत, आज सालाना कमाई है 10 लाख

ओडिशा के सफल मशरूम उत्पादक, 36 रुपये में की थी शुरुआत, आज सालाना कमाई है 10 लाख

कॉलेज में संतोष मिश्रा की अपनी एक अलग पहचान थी क्योंकि वह पढ़ाई के साथ साथ गायन और खेल में भी काफी बेहतर थे. इस कारण से उनके मशरम की खेती करने के फैसले पर शुरुआत में उनके कॉलेज के लोगों ने खूब मजाक भी उड़ाया. पर संतोष ने हिम्मत नहीं हारी और फैसला किया की वो एक दिन बेहतर कार्य करके दिखाएंगे. 

क‍िसान तक
  • Bhuvneshwar,
  • Dec 11, 2023,
  • Updated Dec 11, 2023, 10:27 AM IST

मशरूम की खेती आज के दौर में बेहतर और अधिक कमाई का बेहतर माध्यम बनता जा है यही कारण है कि कई युवा स्टार्टअप के तौर पर इसकी शुरुआत करते हैं और  बेहतर कमाई कर रहे हैं.   ओडिशा के किसान संतोष मिश्रा की भी ही कहानी है, जिन्होने मशरूम की खेती शुरू की और आज सालाना 10 लाख रुपए की कमाई करते हैं. एक छोटी सी शुरुआत के बाद संतोष मिश्रा के पास आज एक मशरूम का फार्म है. बेहतर कार्य करने के लिए उनके फार्म को पुरस्कार भी दिया गया है. आज 56 वर्ष के संतोष मशरूम उत्पादन के लिए अपने क्षेत्र भर में जाने जाते हैं और कई किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं. 

संतोष मित्रा ने ग्रामीण विकास में स्नातक की डिग्री हासिल की, इसके बाद वो आगे की पढ़ाई करना चाहते थे पर आगे की पढ़ाई के लिए उनके पास पैसे नहीं थे. इसलिए उन्होंने मशरूम की खेती की तरफ रुख किया. हालांकि कॉलेज में संतोष मिश्रा की अपनी एक अलग पहचान थी क्योंकि वह पढ़ाई के साथ साथ गायन और खेल में भी काफी बेहतर थे. इस कारण से उनके मशरम की खेती करने के फैसले पर शुरुआत में उनके कॉलेज के लोगों ने खूब मजाक भी उड़ाया. पर संतोष ने हिम्मत नहीं हारी और फैसला किया की वो एक दिन बेहतर कार्य करके दिखाएंगे. 

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इस तरह से की थी शुरुआत

द बैटर इंडिया के मुताबिक इसके बाद संतोष को एक वैज्ञानिक के पास हए जिन्होंने उनके गांव आए थे और मशरूम की खेती के बारे में होने वाले फायदों के बारे में बताया था. 1989 में, संतोष ने भुवनेश्वर में ओडिशा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (ओयूएटी) में एक मशरूम खेती प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया. इसके बाद जब उन्होंने मशरूम की खेती की शुरूआत की तो उनके पास मात्र 36 रुपये थे, जिससे उन्होंने मशरूम के स्पॉन की चार बोतल खरीदी और अपने बिजनेस की शुरूआत की. हालांकि यह रकम कम थी पर हौसला बड़ा था. 

शुरुआत में गलती से हुआ था नुकसान

हालांकि शुरुआत में जब उपज में कमी आई तो उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ  कि उन्होंने मशरूम के बेड को सेनिटाइज नहीं किया था. उन्होंने बताया की उन्होंने फिर से  खेती की और इस बार गलतिया नहीं की इससे उन्हें फायदा हुआ अब वो एक बेड से सात किलोग्राम तक उपज हासिल करते हैं. इस छोटी शुरुआत के साथ आज संतोष ने अपने गांव में स्पॉन उत्पादन-सह-प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया है.  हर दिन, वह 2,000 बोतल स्पॉन का उत्पादन करने में सक्षम है. उनकी उपज न केवल ओडिशा में बल्कि पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, असम और पुडुचेरी में भी बेची जाती है. इससे वह सालाना कम से कम 10 लाख रुपये कमा लेते हैं.

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प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने की कर रहे तैयारी

संतोष ने बताया कि वह मशरूम को प्रोसेसिग करके वैल्यू एडिशन करके अचार, बिस्कुट, पापड़ , सूप पाउडर और यहां तक कि नूडल्स जैसे उत्पाद बनाने के लिए 2 करोड़ रुपये का प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित कर रहे हैं. संतोष दो किस्मों के स्पॉन की खेती करते हैं: ऑयस्टर मशरूम और धान के भूसे मशरूम. बटन किस्म के लाभ के बारे में बताते हुए, वह कहते हैं, “बटन मशरूम की तुलना में, हम धान की किस्म उगाते हैं क्योंकि 1 किलोग्राम धान की किस्म की खेती करने में हमें 100 रुपये का खर्च आता है.

10,000 महिलाओं को दिया है मुफ्त प्रशिक्षण

दिलचस्प बात यह है कि संतोष सिर्फ सफेद ही नहीं, बल्कि कई रंगों के मशरूम उगाते हैं. वह बताते हैं कि  उन्होंने ओडिशा सरकार के मिशन शक्ति के तहत निम्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की लगभग 10,000 महिलाओं को मुफ्त में प्रशिक्षित किया है. महिलाओं के अलावा, आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में कामकाजी पेशेवर और कॉलेज छात्र प्रशिक्षण के लिए उनके पास पहुंचते हैं.
 

 

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