कृषि में आधुनिक तकनीकों का उपयोग किसानों को विकास से जोड़कर उन्हें लाभ देने के लिए किया जाता है पर इसी आधुनिक तकनीक के कारण मूंग किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि आधुनिक तकनीक के कारण मूंग उत्पादक किसानों को एक क्विंटल पर 1558 रुपए का नुकसान हो रहा है. क्योंकि ऑनलाइन गिरदवारी किसानों की दुश्मन बन गई है. हालांकि इसका आसानी से इस समाधान जल्द ही किया जा सकता है. राजस्थान के किसान पिछले 7 वर्षों से लगातार आग्रह कर रहे हैं कि खसरा गिरदावरी की नकल के आधार पर ऑनलाइन एवं ऑफलाइन पंजीयन की प्रणाली बंद की जाए और किसान के द्वारा बोई गई फसल का विवरण सरकार द्वारा सरकारी खरीद केंद्र पर पहुंचाई जाए.
इस तरीके को अपनाने से किसानों को गिरदावरी की नकल प्राप्त करने की उलझन एवं अपमान से बचते हुए उनके साथ होने वाली लूट से भी मुक्ति मिलेगी. किसानों की इस शिकायत के बाद भी अभी तक इस व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है. जबकि इसके संबंध में राज्य स्तर पर चर्चा में सहमति हो गई थी. इसके कारण इससे जयपुर जिले की फुलेरा और फागी, दूदू जिले की तहसील समेत मोजमाबाद एवं दूदू तथा नागौर जिले की मेड़ता जैसी अनेक तहसीलों के किसानों को ऑनलाइन गिरदावरी प्राप्त नहीं होने के कारण अपना मूंग बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकें.
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राज्य के तंत्र की इस विफलता का दंड किसानों को भुगतना पड़ रहा है. इसके परिणामस्वरूप किसानों को मूंग का घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य 8558 प्रति क्विंटल नहीं मिल पा रहा है और उन्हें मजबूरी में अपना मूंग बाजार में 7000 रुपये प्रति क्विंटल तक बेचना पड़ रहा है. केंद्र सरकार द्वारा 2018 में आरंभ की गई प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान के तहत कुल उत्पादन में से 25 प्रतिशत से अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के प्रतिबंध के कारण इस प्रकार के पंजीयन की व्यवस्था है. हालांकि इस योजना में छूट देते हुए शत प्रतिशत खरीद की घोषणा देश के गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 8 अक्टूबर को की थी.
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पर अभी तक उसका क्रियान्वयन आदेश नहीं आया है. जिसके कारण यह स्थिति उत्पन्न हो गई है. प्रेस रिलीज के जरिए किसान महापंचायत ने कहा कि राज्य के तंत्र के साथ केंद्र की नीतियां भी उतनी ही उत्तरदायी है. इधर टोंक जिले के मालपुरा में 27 नवंबर के बाद भी मूंग की तौलाई आरंभ नहीं हो पाई थी, क्योंकि 149 पंजीकृत किसानों का मूंग खरीद कर केंद्र के गोदाम में जमा करने के लिए भेजा गया था पर केंद्र की ओर से गोदाम पर सर्वेयर नहीं होने के कारण सभी लदे हुए ट्रकों को लौटा दिया गया. राजस्थान में मूंग के उत्पादन 13,61,505 में से 11240 मेट्रिक टन की अभी तक खरीद हुई है जो कुल उत्पादन का 1 प्रतिशत भी नहीं है. जबकि खरीद की आधी अवधि पूर्ण हो चुकी है. यही स्थिति मूंगफली जैसी अन्य उपजों की है.
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