बारिश का पैटर्न बदलने से बर्बाद हो रहीं फसलें, धान और कपास पर सबसे अधिक मार

बारिश का पैटर्न बदलने से बर्बाद हो रहीं फसलें, धान और कपास पर सबसे अधिक मार

जानकारी के मुताबिक, फतेहाबाद में करीब 36 फीसदी बारिश की कमी है. जिले में लगभग तीन लाख एकड़ धान की खेती है, जिसमें से लगभग 50% फसल को सिंचाई की जरूरत होती है. ऐसे में ट्यूबवेल से धान की सिंचाई करना किसानों को बहुत महंगा पड़ता है. धान की फसल को भी सिंचाई की सख्त जरूरत होती है.

पानी के अभाव में खराब हो रही धान की फसलेंपानी के अभाव में खराब हो रही धान की फसलें
क‍िसान तक
  • Hisar,
  • Sep 02, 2023,
  • Updated Sep 02, 2023, 1:38 PM IST

इस साल देश के अलग-अलग कोने में मौसम का अलग-अलग रूप देखने को मिल रहा है. कहीं लगातार हो रही बारिश से फसलें खराब हो रही हैं तो कहीं सूखे की वजह से फसलों का नुकसान हो रहा है. दोनों ही स्थिति में नुकसान का सामना किसानों को करना पड़ रहा है. हरियाणा के हिसार में लगभग 50% कम बारिश के कारण, किसानों को खरीफ सीजन में फसल खराब होने का डर है. आस-पास के जींद, फतेहाबाद और भिवानी जिलों में भी कम बारिश हुई है, जिससे मुख्य रूप से धान और कपास की फसलों के सूखने का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है.

हालांकि हाल ही में फतेहाबाद जिले के कुछ क्षेत्रों में लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ा, जिससे लगभग 80,000 एकड़ में धान की फसल को भी नुकसान हुआ.

बारिश का पैटर्न बदलने से बर्बाद हो रहीं फसलें

जानकारी के मुताबिक, फतेहाबाद में करीब 36 फीसदी बारिश की कमी है. जिले में लगभग तीन लाख एकड़ धान की खेती है, जिसमें से लगभग 50% फसल को सिंचाई की आवश्यकता होती है. ऐसे में ट्यूबवेल से धान की सिंचाई करना किसानों को बहुत महंगा पड़ता है. धान की फसल को सिंचाई की सख्त जरूरत होती है. जिस वजह से किसानों की निर्भरता बारिश पर रहती है.

द ट्रिब्यून के मुताबिक फतेहाबाद में धान को दोहरी मार पड़ी है क्योंकि पंजाब की ओर से आए बाढ़ के पानी के कारण टोहाना और रतिया के कुछ हिस्सों में खेत बह गए. कृषि विभाग के अधिकारियों ने स्वीकार किया कि अब बाकी क्षेत्रों में धान के खेतों को बारिश की कमी के कारण नुकसान हो रहा है.

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धान की फसल पर मंडरा रहा खतरा

भारतीय मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, हिसार जिले में स्थिति और भी खराब है, जहां इस मॉनसून में औसत वर्षा में 50% की कमी देखी गई है. अधिकारियों ने कहा कि हिसार में लगभग 80,000 हेक्टेयर धान में से लगभग 50% फसलों पर बर्बादी का खतरा मंडरा रहा है. इसी तरह, जींद (35%), भिवानी (21%) और रोहतक (25%) जिलों में बारिश की कमी का असर खरीफ फसलों पर पड़ा है. हिसार में 124.6 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो मॉनसून सीजन के दौरान औसत बारिश 247.7 मिमी से काफी कम है. इसी तरह, भिवानी में 194 मिमी, जींद में 203.5 मिमी और फतेहाबाद में 135.4 मिमी बारिश दर्ज की गई.

50 हजार रुपये प्रति एकड़ दिया जाए मुआवजा

सूखे की समस्या को देखते हुए किसान सभा के कार्यकर्ता दयानंद पुनिया ने कहा कि धान के अलावा, कपास जैसी अन्य फसलों को भी नुकसान हुआ है और बारिश के अभाव में फसलों के लंबे समय तक बचे रहने की संभावना बहुत कम है. पुनिया ने कहा कि सरकार को उन क्षेत्रों में फसल नुकसान के लिए विशेष गिरदावरी की घोषणा करनी चाहिए जहां बारिश की कमी है. पुनिया ने कहा गिरदावरी के बाद प्रभावित किसानों को 50,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा दिया जाना चाहिए. 

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