व्यापारियों को MSP से कम रेट पर धान बेचने को मजबूर किसान, 5000 करोड़ रुपये का नुकसान

व्यापारियों को MSP से कम रेट पर धान बेचने को मजबूर किसान, 5000 करोड़ रुपये का नुकसान

कई किसानों ने दावा किया कि सरकारी एजेंसियों द्वारा धान की खरीद नहीं किए जाने और उठान नहीं होने के कारण उन्होंने अपनी धान की उपज निजी व्यापारियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम पर बेची है. सुल्तानपुर लोधी के स्वाल गांव के कुलवंत सिंह ने कहा, "मैं अपनी उपज 2,320 रुपये प्रति क्विंटल के MSP पर नहीं बेच सका. वास्तव में, मुझे इसे MSP से काफी कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा."

धान की खरीदधान की खरीद
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Oct 22, 2024,
  • Updated Oct 22, 2024, 12:21 PM IST

पंजाब के जालंधर में कई गांवों के किसान अपने धान को समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे के दाम पर बेचने को मजबूर हैं. इन किसानों का कहना है कि धान की खरीद और उठान में देरी से उनकी परेशानी बढ़ गई है. इस परेशानी की वजह से वे सरकारी एजेंसियों या मंडियों में धान बेचने के बजाय निजी व्यापारियों को बेच रहे हैं. किसानों का कहना है कि उन्हें सही रेट भी मिल रहा है और मंडियों की मारामारी से बच रहे हैं. जालंधर जिले के सुल्तानपुर लोधी गांव के किसानों ने एमएसपी, धान खरीद में देरी और उठान की समस्या पर चिंता जाहिर की है.

सुल्तानपुर लोधी के कई किसानों ने दावा किया कि सरकारी एजेंसियों द्वारा धान की खरीद नहीं किए जाने और उठान नहीं होने के कारण उन्होंने अपनी धान की उपज निजी व्यापारियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम पर बेची है. सुल्तानपुर लोधी के स्वाल गांव के कुलवंत सिंह ने कहा, "मैं अपनी उपज 2,320 रुपये प्रति क्विंटल के MSP पर नहीं बेच सका. वास्तव में, मुझे इसे MSP से काफी कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा." 

किसानों का आरोप

किसानों ने आरोप लगाया कि उन्हें अपनी उपज 2,050 रुपये से 2,150 रुपये के बीच बेचने के लिए कहा गया. चूंकि इस क्षेत्र के अधिकांश किसान सब्जियां उगाते हैं, इसलिए उनके पास फसल काटने, बेचने और अगली फसल की बुवाई के लिए अपनी जमीन तैयार करने के लिए कम समय होता है. इस प्रकार, उन्हें बीज और कीटनाशक खरीदने के लिए अपनी उपज एमएसपी से कम पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है.

ये भी पढ़ें: एक हेक्टेयर में बुवाई करने के लिए कितना लगेगा गेहूं का बीज, कौन-कौन सी हैं बेहतरीन किस्में? 

किसानों ने दावा किया कि उन्हें जे-फॉर्म के बजाय “कच्ची पर्ची” जारी की गई. किसान कुलवंत ने 'दि ट्रिब्यून' से कहा, “हालांकि हमें अपने खाते में भुगतान मिलता है, लेकिन बाकी सब कुछ आढ़तिये करते हैं. अगर हमें अतिरिक्त भुगतान मिलता है, तो हम इसे कमीशन एजेंटों (आढ़तिये) को नकद में वापस कर देते हैं.” स्वाल गांव के 67 साल के सुरजीत सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में ऐसी स्थिति नहीं देखी. “यह ऐसा है जैसे हम उस धान से छुटकारा पा रहे हैं, जिसे हमने बहुत प्यार से उगाया था.” 

जालंधर के मेहराजवाला के सरबजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने अपनी फसल 2,050 रुपये प्रति क्विंटल बेची है. उन्होंने कहा, "मैं इसे कहां रखता. हम अभी मजबूर हैं." सुल्तानपुर लोधी की एसडीएम अपर्णा ने बताया कि किसानों ने उनके सामने भी यह मुद्दा उठाया है. उन्होंने बताया कि उन्होंने जिला मंडी अधिकारी से निरीक्षण करने को कहा है.

प्रशासन का बयान

एसडीएम ने कहा, "हमने किसानों से कहा है कि अगर इस तरह की कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो इस तरह की गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. हर चीज की जांच की जा रही है. अभी तक मुझे कोई गड़बड़ी नहीं मिली है." सुल्तानपुर लोधी के विधायक राणा इंदर प्रताप सिंह ने इस संबंध में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव विकास गर्ग को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा कि मिल मालिक बेईमान लोगों के साथ मिलकर मौजूदा स्थिति का फायदा उठा रहे हैं और 2,100 रुपये प्रति क्विंटल पर धान खरीद रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि कम कीमत पर खरीदा गया धान, व्यापारी सरकार को एमएसपी पर बेचेंगे और इससे किसानों को 5,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.

ये भी पढ़ें: Punjab: पंजाब में धान खरीद की देरी पर किसानों ने खोला मोर्चा, जालंधर-दिल्ली हाईवे किया जाम

 

MORE NEWS

Read more!