पंजाब में धान की खरीद न होने को लेकर किसानों ने एक बार फिर से मोर्चा खोल दिया गया है. वहीं भारतीय किसान यूनियन राजेवाल के मुख्य प्रवक्ता और दोआबा प्रभारी जत्थेदार कश्मीर सिंह जंडियाला ने आज यानी सोमवार को जालंधर-लुधियाना-दिल्ली हाईवे जाम कर दिया. किसानों के हाईवे जाम किए जाने से लंबा जाम लग गया है. मामले की जानकारी देते हुए किसान नेता ने कहा कि बलबीर सिंह राजेवाल यूनियन की ओर से 3 दिन पहले जालंधर के डिप्टी कमिश्नर हिमांशु अग्रवाल को एक मांग पत्र दिया था. इसमें मंडियों में धान की लिफ्टिंग न होने और किसानों को डीएपी की खाद ना मिलने से जुड़ी जानकारी दी गई थी.
किसान नेता राजेवाल ने कहा कि सरकार द्वारा उनकी मांगें पूरी ना करने के कारण किसानों को 21 अक्टूबर को नेशनल हाईवे (जालंधर-लुधियाना रोड) जाम करने पर मजबूर होना पड़ा है. किसानों ने इस हाईवे पर धरना देने के लिए मजबूर होने पड़ रहा है. जत्थेदार जंडियाला ने यह भी बताया कि डीएपी खाद मामले को लेकर कृषि पदाधिकारी की विजिलेंस जांच कराने की भी मांग की गई है. उन्होंने कहा कि डीएपी खाद न मिलने से दोआबा क्षेत्र के तमाम किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. बता दें कि इससे पहले किसानों ने टोल प्लाजा पर धरना देकर टोल को फ्री किया था. वहीं आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के घर के बाहर प्रदर्शन किया गया था.
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दूसरी ओर एसकेएम ने केंद्र सरकार पर धान की खरीद और उठाव में देरी का ठीकरा फोड़ा है. यही आरोप हरियाणा में भी लगाए जा रहे हैं. एसकेएम के मुताबिक, गोदामों और राइस मिल्स में पड़े पिछले साल के धान को भी एफसीआई ने अभी तक नहीं उठाया है. यही वजह है कि मौजूदा सीजन में भी उठान में समस्या आ रही है. पंजाब में हर साल 180 लाख मीट्रिक टन धान की उपज होती है. इतने धान से मिलिंग के बाद 125 लाख मीट्रिक टन चालव का उत्पादन होता है.
एसकेएम का आरोप है कि पंजाब में पिछले साल के कुल स्टॉक का 130 एलएमटी चावल अभी भी स्टोर है और इसे एफसीआई के जरिये उठाव करना है. पंजाब के गोदाम पूरी तरह से भरे पड़े हैं और राइस मिलर्स इस साल की उपज को नहीं उठा पा रहे हैं क्योंकि उनके पास स्टोरेज के लिए जगह नहीं बची है. यही वजह है कि मंडियों में किसानों की उपज का भी समय पर उठान नहीं हो रहा है. इससे किसानों के साथ-साथ आढ़तियों और मजदूरों को भी परेशानी हो रही है. आढ़तिये और मजदूरों ने इसे लेकर हड़ताल भी की थी. मजदूरों की शिकायत थी कि जब समय पर धान का उठान नहीं होगा तो उनका काम ठप पड़ जाएगा और उनकी रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है.
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एसकेएम का कहना है कि पंजाब में धान की कटाई लगभग पूरी हो चुकी है और किसानों के घर के सामने धान की बोरियों से लदे ट्रैक्टर खड़े हुए हैं. किसान संगठन ने आरोप लगाया कि पूरे खरीद सिस्टम को डिस्टर्ब करने के लिए और खरीद संकट को बढ़ाने के लिए किसानों, आढ़तियों, राइस मिलर्स और मजदूरों के बीच संबंध को खराब किया गया है. यही हाल हरियाणा में भी है जहां किसानों के साथ साथ आढ़तिये और मजदूर धान के उठान को लेकर चिंतित हैं.(दविंदर कुमार का इनपुट)
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