सरकार किसानों की आय को बढ़ाने के लिए नित नए उपाय कर रही है. इस दिशा में खेती में Animal Husbandry और Horticulture से जुड़े कामों को नई तकनीक के साथ हुनर के रूप में किसानों को सिखाने की पहल यूपी में की गई है. किसानों के कौशल विकास में निखार लाने के लिए झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में 8 नए सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किए गए हैं. किसानों काे बहुत कम अवधि वाले इन पाठ्यक्रमों में Bee Farming से लेकर मशरूम की खेती करने और फसल सुरक्षा के प्रबंधन सहित अन्य प्रकार के हुनर से लैस किया जाएगा. इससे गांव के उन भूमिहीन लोगों को भी रोजगार सृजन के माध्यम से फायदा मिलेगा, जो किराए पर जमीन लेकर खेती या पशुपालन आदि का काम करते हैं. इन पाठ्यक्रमों के लिए दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो गई है.
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एके सिंह ने बताया कि किसानों को रोजगार की ओर उन्मुख करने के मकसद से खेती के कामों को तकनीकी रूप से Skill Development से जोड़ना अब समय की मांग है. इसे देखते हुए केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने खेती से जुड़े 8 नए सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किए हैं. उन्होंने बताया कि इन पाठ्यक्रमों में महज 3 महीने के भीतर पाठ्यक्रम से जुड़े हुनर से लैस कर दिया जाएगा.
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इसके अलावा मशरूम की खेती और इसके प्रसंस्करण के लिए Mushroom Production and Processing Course और Bee Farming करने वाले किसानों के लिए शहद उत्पादन एवं प्रसंस्करण कोर्स शुरू किया जाएगा. डॉ सिंह ने बताया कि किसानों को बीज के मामले में आत्मनिर्भर बनाने और इसका सफल कारोबार करने के लिए बीज उत्पादन प्रौद्योगिकी एवं बीज प्रमाणीकरण कोर्स प्रारंभ किया गया है.
डॉ सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय ने बागवानी को किसानों की आय बढ़ाने का प्रमुख जरिया मानते हुए 3 पाठ्यक्रम शुरू किए हैं. इनमें बागवानी एवं सजावटी नर्सरी प्रबंधन यानी Gardening and ornamental nursery management Course और सब्जियों की पॉलीहाउस संरक्षित खेती का कोर्स भी किसानों को मुहैया कराया है. उन्होंने कहा कि युवा किसानों को विश्वविद्यालय की ओर से Hi Tech Forestry Nursery Management Course के माध्यम से वानिकी नर्सरी प्रबंधन के गुर सिखाए जाएंगे.
इसके अलावा खेती में तकनीकी रूप से कुशलता हासिल करने के इच्छुक युवा किसानों के लिए सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली यानी Remote Sensing and Geographical Information System में भी सर्टिफिकेट कोर्स करने को मिलेगा. डाॅ पांडे ने कहा कि इन कोर्स के बारे में विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ पीपी जांभुलकर से आवेदन संबंधी विस्तृत जानकारी ली जा सकती है.
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डॉ जांभुलकर ने बताया कि 3 महीने की अवधि वाले इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए न्यूनतम अर्हता इंटरमीडिएट रखी गई है. उन्होंने बताया कि इन पाठ्यक्रमों का उद्देश्य अभ्यर्थियों को कौशल विकास के साथ उद्योग स्थापित करने में सहायता प्रदान करना है. इस कोर्स में दाखिले की Online Process तय की गई है.
उन्होंने बताया कि इसके लिए अभ्यर्थी विश्विद्यालय की वेबसाइट https://www.rlbcau.ac.in/certificate.php पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिए 5 हजार रुपये की फीस निर्धारित की गई है. साथ ही सामान्य वर्ग के आवेदकों के लिए आवेदन शुल्क 200 रुपए और अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के आवेदकों के लिए 100 रुपये देय होगा.