लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से महाराष्ट्र बाढ़ की चपेट में है, जिससे राज्य के किसानों को भारी नुकसान हुआ है. इसको लेकर छत्रपति संभाजी नगर एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि दशहरा रैली में उन्होंने वादा किया था कि राज्य के किसानों की दिवाली काली नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि जहां बाढ़ आई है, वहां के किसान और आम लोग परेशान हैं. किसानों की आंखों में आंसू है और इसी वजह से राज्य सरकार ने एनडीआरएफ के नियमों को किनारे रखकर 32,000 करोड़ रुपये का पैकेज किसानों के लिए मंजूर किया है.
एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह राजनीति करने का समय नहीं है, बल्कि किसानों की मदद करने का समय है. हमने इतना बड़ा अमाउंट किसानों के लिए इसलिए दिया है ताकि दिवाली से पहले ही उनके खातों में पैसा पहुंच जाए और वे त्योहार खुशी से मना सकें. उन्होंने बताया कि जिन किसानों की जमीन बाढ़ में बह गई है उन्हें 47,000 रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा देने का निर्णय लिया गया है.
एकनाथ शिंदे ने आगे कहा कि जब देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री मुंबई आए थे, तब उन्होंने मुख्यमंत्री और दोनों उप मुख्यमंत्रियों के साथ मिलकर किसानों की समस्या उन तक रखी. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की परेशानी को गंभीरता से लिया है और इस मुद्दे पर सकारात्मक रुख दिखाया है.
राहत पैकेज के तहत किसानों को 3 हेक्टेयर की सीमा के भीतर फसल के नुकसान के लिए सहायता मिलेगी. इसमें असिंचित फसलों के लिए 8,500 रुपये प्रति हेक्टेयर, सिंचित फसलों के लिए 17,000 रुपये प्रति हेक्टेयर और बारहमासी फसलों के नुकसान लिए 22,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की आर्थिक मदद दी जाएगी. सरकार ने निर्देश दिया है कि लाभार्थियों को सभी भुगतान सुव्यवस्थित किए जाएं. एग्रीस्टैक में ई-केवाईसी के साथ रजिस्टर्ड किसानों को सहायता के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के लिए ई-केवाईसी प्रक्रिया से छूट दी गई है.
बारिश के बाद महाराष्ट्र में कई फसलों को 100 फीसदी तक नुकसान हुआ है. इन फसलों में ज्यादातर फसलें पूरी तरह से तैयार हो चुकी थीं और इनकी कटाई की तैयारी शुरू हो रही थी, लेकिन प्रकृति किसानों पर आफत बन बरसी और फसल पूरी तरह से चौपट हो गई. फसलों में सबसे अधिक नुकसान, सोयाबीन, कपास, अरहर, मूंग, उड़द, कई जगह पर मक्का, संतरा, मौसमी, अनार और केला पर सबसे अधिक नुकसान देखा गया है. विदर्भ और मराठवाड़ा के कई जिलों में बागवानी फसलें 100 फीसदी तक प्रभावित हुई हैं. (इसरारुद्दीन चिश्ती की रिपोर्ट)