पटना मेट्रो की पहली महिला लोको पायलट बनीं स्वाति मौर्य, बिहार की बेटियों के सपनों को मिला नया प्लेटफॉर्म

पटना मेट्रो की पहली महिला लोको पायलट बनीं स्वाति मौर्य, बिहार की बेटियों के सपनों को मिला नया प्लेटफॉर्म

स्वाति मौर्य ने दिल्ली मेट्रो से ली ट्रेनिंग, अब पटना मेट्रो को दे रही हैं रफ्तार. बैंक की परीक्षा छोड़ी, चुनी ट्रेन चलाने की राह. लॉकडाउन में किया प्रमोशन हासिल, बनीं लोको पायलट. राजधानी में महिलाओं के आत्मविश्वास की नई शुरुआत.

Swati MauryaSwati Maurya
अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • Patna,
  • Oct 09, 2025,
  • Updated Oct 09, 2025, 5:37 PM IST

बिहार की राजधानी पटना में मेट्रो ने अब रफ्तार पकड़ ली है. बीते दिनों जहां राजधानी में मेट्रो ट्रेन सेवा की शुरुआत हुई, वहीं पटनावासियों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी इस शहर की बेटी स्वाति मौर्य को लोको पायलट के तौर पर सौंपी गई. जब उन्होंने मेट्रो के ड्राइविंग कंसोल पर नियंत्रण लीवर संभाला, तो यह सिर्फ एक ट्रेन की शुरुआत नहीं थी, बल्कि  बिहार की महिलाओं के आत्मविश्वास और नई उड़ान की प्रतीक कहानी की शुरुआत भी थी. 

पटना मेट्रो की पहली महिला लोको पायलट(ट्रेन ऑपरेटर) स्वाति मौर्य कहती हैं —“करीब 15 साल पहले मैं पटना से अपने सपनों को नई उड़ान देने और एक अलग पहचान बनाने के लिए दिल्ली मेट्रो में नौकरी करने गई थी. आज, डेढ़ दशक बाद अपने जन्मस्थान पटना में शुरू हुई मेट्रो सेवा की पहली महिला लोको पायलट बनना मेरे लिए गर्व और भावनात्मक पल है.”

पटना सहित बिहार की बदलती सोच

स्वाति मौर्य अपने अनुभव साझा करते हुए कहती हैं कि राजधानी पटना सहित पूरे बिहार में काफी कुछ बदला है. सामाजिक स्तर पर भी लोगों की सोच में उल्लेखनीय परिवर्तन देखने को मिल रहा है. कभी इसी राजधानी में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के पास केवल दो-तीन ही सपने हुआ करते थे—एक इंजीनियर बनना, दूसरा डॉक्टर बनना और तीसरा किसी सरकारी नौकरी को हासिल करना. लेकिन अब परिस्थितियां काफी बदल चुकी हैं. आज लड़के हों या लड़कियां, वे केवल नौकरी या इंजीनियरिंग-डॉक्टरी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अपनी एक अलग पहचान बनाने के उद्देश्य से स्टार्टअप और अन्य क्षेत्रों में भी कदम बढ़ा रहे हैं. यह बदलाव बिहार के उज्जवल भविष्य की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है.

बैंक परीक्षा छोड़ी, दिल्ली मेट्रो की दी परीक्षा

राजधानी पटना के महेंद्रू इलाके की रहने वाली स्वाति मौर्य बताती हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि पटना मेट्रो की शुरुआत के समय ट्रेन की गति देने की जिम्मेदारी उन्हीं को मिलेगी. वर्ष 2008 में उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई शुरू की और उसी दौरान से सरकारी नौकरी की तैयारी में जुट गईं. एक दिन जब वे बैंक में पैसा जमा करने गईं, तो देखा कि वहां कई लोग दिल्ली मेट्रो में निकली वैकेंसी का फॉर्म भर रहे थे. जिज्ञासा से उन्होंने भी फॉर्म देखा — योग्यता स्नातक मांगी गई थी. बस, 300 रुपये देकर फॉर्म भर दिया और भूल भी गईं कि कोई फॉर्म भरा है. कुछ समय बाद जब दिल्ली मेट्रो और बैंक परीक्षा की तिथि एक ही दिन घोषित हुई, तो उन्होंने बैंक परीक्षा छोड़ दिल्ली मेट्रो की परीक्षा देने का निर्णय लिया. परिणामस्वरूप, उनकी नियुक्ति कस्टमर रिलेशन असिस्टेंट (CRA) के पद पर हुई.

सीआरए से लोको पायलट तक का सफर

स्वाति मौर्य बताती हैं कि वर्ष 2011 में दिल्ली मेट्रो में उनकी नियुक्ति कस्टमर रिलेशन असिस्टेंट के पद पर हुई थी. लॉकडाउन के दौरान 2020 में उन्होंने विभागीय प्रमोशन परीक्षा पास की और लोको पायलट बनने का अवसर पाया. इस पद के लिए उन्हें एक वर्ष की कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना पड़ा, जिसमें थ्योरी और प्रैक्टिकल दोनों शामिल थे. बाद में जब दिल्ली मेट्रो द्वारा पटना मेट्रो परियोजना को लेकर घोषणा हुई, तो उन्होंने अपने गृह राज्य लौटने का निर्णय लिया. कई अभ्यर्थियों में चयन प्रक्रिया के बाद उन्हें यह जिम्मेदारी मिली — और इस तरह वे पटना मेट्रो चलाने वाली पहली महिला लोको पायलट बनीं.

पटना मेट्रो: परिवहन क्षेत्र में सबसे बड़ा बदलाव

तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी स्वाति को मेट्रो में नौकरी करने की प्रेरणा उनके पिता से मिली, जो रेलवे से सेवानिवृत्त हैं. उनके पति डॉक्टर हैं, जबकि सास को अपनी बहू पर गर्व है. स्वाति कहती हैं, “जब घर का माहौल सकारात्मक होता है, तो महिलाएं किसी भी क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ सकती हैं. वह आगे कहती हैं कि पटना मेट्रो राजधानी की विकास यात्रा का प्रतीक बनने जा रही है — यह आधुनिक बिहार की बदलती तस्वीर और प्रगतिशील सोच का उदाहरण है.

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