Pashupalan Tips: इस वक्त आधा से अधिक भारत गंभीर शीतलहर की चपेट में है. ठंड के कारण फसल, सब्जियों के साथ-साथ पशुओं पर भी असर पड़ रहा है. ऐसे में पशुपालकों को अपने पशुओं को खासकर दुधारू पशुओं पर खास ध्यान देना चाहिए ताकि उन्हें ठंड के प्रकोप से बचाया जा सके. किसानों को इसकी जानकारी देने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा सलाह जारी की जाती है. इसके अनुसार मध्यप्रदेश में जिस तरह से ठंड पड़ रही है उसके मुताबिक मध्य प्रदेश में दुधारू पशुओं के बछड़ों को कृमि मुक्ति की दवा खिलानी चाहिए. दूधारू पशुओं को मिल्क फीवर से बचाने के लिए बच्चा देने के 7-8 दिन बाद 70 से 100 ग्राम कैल्शियम-फास्फोरस का घोल दें. इसके साथ ही ठंड से बचाव के लिए दिन में दो बार सूखा चारा दें. साथ ही पशुओं को समय-समय पर पीने का पानी उपलब्ध कराएं. पशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए समय के अनुसार उन्हें खाने के लिए हरे चारे की फसल खिलाएं.
इसी तरह छत्तीसगढ़ के पशुपालक पशुओं को कम तापमान से बचाने के लिए गौशाला की छत को कंक्रीट या ईंट से ढंककर रखें. दुधारू पशुओं को ताजा पीने का पानी उपलब्ध कराएं. हालांकि अधिक ठंडा पानी देने से परहेज करें. इसके साथ ही दूधारू पशु को प्रतिदिन 25-30 ग्राम की दर से मिनरल मिक्सचर खिलाना चाहिए. अगर दुधारू पशुओं को कब्जियत की समस्या हो तो उन्हें टिमपोल दवा 100 ग्राम दें और बकरी के लिए 15-20 ग्राम गुनगुने पानी में मिलाकर दें.
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जम्मू-कश्मीर के पशुपालकों से कहा गया है कि मध्यवर्ती क्षेत्र में रात के कम तापमान को देखते हुए किसान पशुओं को गर्माहट देने के लिए उचित व्यवस्था करें. जानवरों को ठंडी हवाओं से बचाएं और सूखे स्थान पर रखें. खासकर जो नवजात छोटे पशु हैं उन्हें ठंड के मौसम में विशेष देखभाल की जरूरत होती है क्योंकि उन पर निमोनिया का हमला होने की आशंका रहती है. जानवर को ठंडी हवाओं से बचाने के लिए विशेष रूप से रात के समय सभी तरफ से शेड को ठीक करें. साथ ही उनके बेड को ठीक से रखें. सर्दियों के दौरान पशु शेड में सूखे भूसे जैसी सामग्री का उपयोग किया जाना चाहिए.
गुजरात के लिए सलाह जारी करते हुए कहा गया है कि इस मौसम में जानवरों को हरी घास के साथ खनिज और सूखा चारा का मिश्रण खिलाएं. नवजात बछड़ों को ठंड की स्थिति से सुरक्षित रखें. सभी दुधारू पशुओं को रात के समय गौशाला में रखें. इसके अलावा उनके थनों का विशेष खयाल रखें. उन्हें जिंक ऑक्साइड या बोरिक पाउडर से ठीक से साफ करना चाहिए. इधर अंडमान और निकोबार द्वीप में सभी सूअरों को आयरन टॉनिक या फेरस सल्फेट का घोल दें. साथ ही उनके साफ-सफाई पर फोकस करें. पश्चिम बंगाल में, 2-4 सप्ताह की उम्र में सूअर के बच्चों को स्वाइन बुखार के खिलाफ टीका लगाया जाता है.
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ओडिशा के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि मवेशियों को गीला या पानी से भिगोया हुआ भूसा न खिलाएं. खिलाने से पहले इसे धूप में अच्छी तरह सुखा लें. सर्दियों में बकरियों को ठंडी हवा से बचाएं और उनके फर्श को गीला नहीं रखें. इसके साथ ही पशुओं को पर्याप्त हरी घास उपलब्ध कराएं.
बिहार के लिए कहा गया है कि सर्दी के मौसम में गायों को फलदार हरा चारा जैसे बरसीम, जई, लूसर्न आदि खिलाएं. पूर्वोत्तर राज्यों में मुर्गों को ठंड से होने वाली चोट से बचाने के लिए निवारक उपाय करें. बेड के रूप में सूखे धान के भूसे का उपयोग करें और रात के दौरान कॉप के किनारों को मोटे कपड़े से ढंक दें. नए चूजों को हल्का गर्म पानी दें. पोल्ट्री हाउस को पॉलीथिन शीट से ढकें.