ओडिशा के किसानों के लिए कृषि एडवाइजरी जारी, अच्छी फसल के लिए इन बातों का रखें ध्यान

ओडिशा के किसानों के लिए कृषि एडवाइजरी जारी, अच्छी फसल के लिए इन बातों का रखें ध्यान

टमाटर की फसल में पत्ती धब्बा, डाउनी फफूंदी और पाउडरी फफूंदी के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 4.8 प्रतिशत और क्लोरोथालोनिल 40 प्रतिशत एससी को 6 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. इस मौसम में फसलों को बहुत नुकसान होता है जिससे बचाव जरूरी है.

Agriculture AdviceAgriculture Advice
क‍िसान तक
  • Bhuvneshwar,
  • Jan 15, 2024,
  • Updated Jan 15, 2024, 1:40 PM IST

ओडिशा में किसानों के लिए कृषि सलाह जारी की गई है, ताकि मौसम में हो रहे उतार चढ़ाव का असर फसलों पर कम से कम हो सके और किसानों के नुकसान को कम किय जा सके. भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD की ओर से जारी सलाह में कहा गया है कि पश्चिमी तटीय क्षेत्र में धान की नर्सरी में तना छेदक कीट का संक्रमण देखा जा सकता है. संक्रमण होने पर स्किरपोल्योर के साथ फेरोमोन जाल स्थापित करें. इसके साथ ही दानेदार कीटनाशक कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड 4जी का 10 किग्रा प्रति एकड़ को 1:1 के अनुपात में रेत के साथ मिलाकर खेत में फैलाएं. या क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5 प्रतिशत एससी को 3 मिली प्रति10 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें.

टमाटर की फसल में पत्ती धब्बा, डाउनी फफूंदी और पाउडरी फफूंदी के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 4.8 प्रतिशत और क्लोरोथालोनिल 40 प्रतिशत एससी को 6 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें. पूर्वी और दक्षिण पूर्वी तटीय मैदानी क्षेत्र में, धान के पौधों की बेहतर बढ़वार के लिए पर्याप्त सिंचाई करें. ठंड के नुकसान से बचने के लिए सब्जियों को पुआल से मल्चिंग करें और खेत में पर्याप्त नमी बनाएं रखें. इसके साथ ही फसलों की निराई गुड़ाई करें और उर्रवरक डालें. मिर्च में घुन को नियंत्रित करने के लिए इथियन 50 प्रतिशत ईसी को 600 मिली प्रति एकड़ या स्पाइरोमेसिफेन 22.9 फीसदी एससी को 200 मिली प्रति एकड़ या प्रोपरगाइट 57 प्रतिशत को 600 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें.

ये भी पढे़ेंः इन छह राज्यों के किसान सावधान, घने कोहरे से चौपट हो सकती है आलू-टमाटर की फसल, तुरंत करें ये उपाय

सरसों में एफिड्स का प्रकोप

ओडिशा के पश्चिम मध्य टेबल लैंड ज़ोन में, वर्तमान मौसम में सरसों की फसल में एफिड्स का प्रकोप हो सकता है. यदि एफिड का प्रकोप दिखे, तो इमिडाक्लोरोप्रिड को 0.33 मि.ली. या थियामेथोक्सम को 0.3 ग्राम प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें. सरसों में लाही को नियंत्रित करने के लिए क्लोरपायरीफॉस 0.5 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. बोलांगीर जिले में उड़द और मूंग की फसल में पाउडरी मिल्ड्यू रोग लगने की संभावना है. नियंत्रण के लिए, सल्फर 80 प्रतिशत डब्ल्यूपी को 800 ग्राम प्रति एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5 प्रतिशत ईसी को 300 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें.

ये भी पढ़ेंः दिल्ली में जारी है शीतलहर और घने कोहरे का प्रकोप, दिल्ली एयरपोर्ट ने यात्रियों के लिए जारी की एडवाइजरी

धान की नर्सरी को ठंड से बचाएं

उत्तर पूर्वी घाट क्षेत्र में, पूर्व-अंकुरित उपचारित धान के बीजों को पोखर वाली मिट्टी में या तो छिड़क कर या ड्रम सीडर का उपयोग करके बोएं. धान की नर्सरी को ठंड से बचाएं. अरहर की फसल फली पकने की अवस्था में है. प्लम कीट के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए, एज़ाडिरेक्टिन 0.03 प्रतिशत डब्ल्यूएसपी 2500-5000 ग्राम प्रति हेक्टेयर या डाइमेथोएट 30 ईसी 1237 ग्राम प्रति हेक्टेयर या इमामेक्टिन बेंजोएट 5 प्रतिशत एसजी 220 ग्राम प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें.

 

MORE NEWS

Read more!