अलकनंदा नदी के किनारे बनाए गए डंपिंग जोन, मलबे से हो रहा है नदियों को नुकसान  

अलकनंदा नदी के किनारे बनाए गए डंपिंग जोन, मलबे से हो रहा है नदियों को नुकसान  

पहाड़ों को खोदकर बनाई जा रही सुरंग का मलबा डंपिंग जोन में डाला जा रहा है और ऑल वेदर कार्य का मलबा भी इन्हीं डपिंग जोन में डाला जा रहा है, जिस कारण यह डंपिंग जोन काफी भर गया है.

अलकनंदा नदी के किनारे बनाए गए डंपिंग जोन, (सांकेतिक तस्वीर)अलकनंदा नदी के किनारे बनाए गए डंपिंग जोन, (सांकेतिक तस्वीर)
प्रवीण सेमवाल
  • Rudraprayag,
  • Dec 03, 2023,
  • Updated Dec 03, 2023, 11:20 AM IST

उत्तराखड़ के बद्रीनाथ और केदारनाथ हाईवे पर बनाए गए डंपिंग जोन भविष्य में किसी बड़ी आपदा को निमंत्रण दे सकते हैं. इन डंपिंग जोन में सीमा से अधिक भार डालने से नदियों का अस्तित्व संकट में है. यहां भारी मात्रा में डंपिंग जोन में मलबा डाला जा रहा है, वहीं निर्माण कार्यो का मलबा सीधे नदियों में डाले जाने से नदी के प्रवाह को रोककर जीव-जंतुओं के अस्तित्व को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है. यह सब कुछ देखने के बाद जहां वन विभाग दंड वसूलने तक सीमित रह गया है.

बद्रीनाथ से लेकर ऋषिकेश तक हाईवे पर जगह-जगह रेलवे के साथ ही ऑल वेदर कार्य के डंपिंग जोन देखे जा सकते हैं. इसके अलावा रुद्रप्रयाग संगम से लेकर गौरीकुंड हाईवे तक भी कई जगहों पर डंपिंग जोन बने हुए हैं. हालांकि रुद्रप्रयाग से लेकर गौरीकुंड तक ऑल वेदर कार्य का मलबा फेंका जा रहा है, लेकिन कर्णप्रयाग से लेकर ऋषिकेश तक हाईवे के किनारे रेलवे के साथ ही ऑल वेदर का भी मलबा भरा पड़ा है.

पहाड़ों को खोदकर बनाई जा रही सुरंग

पहले इन डंपिंग जोन की संख्या बहुत कम थी, लेकिन ऑल वेदर कार्य के बाद तेजी से शुरू हुए ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के कार्य का मलबा भी राजमार्गो के किनारे अब देखा जा सकता है. खासकर जिन स्थानों पर रेलवे स्टेशन या फिर सुरंग दिखाई दे रही है, उन स्थानों के आस-पास बड़े से स्थान पर डंपिंग जोन साफ नजर आ रहे हैं.

पहाड़ों को खोदकर बनाई जा रही सुरंग का मलबा डंपिंग जोन में डाला जा रहा है और ऑल वेदर कार्य का मलबा भी इन्हीं डपिंग जोन में डाला जा रहा है, जिस कारण यह डंपिंग जोन काफी भर गया है. भविष्य के लिए किसी बड़ी आपदा को जन्म दे सकते हैं. एक ओर जहां हिमालयी क्षेत्र केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम में शीतकाल के समय निर्माण कार्य चल रहे हैं.  वहीं ग्रामीण से लेकर शहरी इलाकों में ऑल वेदर के साथ रेलवे कार्य जोरों पर होने से मौसम परिवर्तन हो गया है.

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नदियों का पानी अब शुद्ध नहीं 

पहले मंदाकिनी और अलकनंदा नदी का जल शीतकाल में साफ नजर आता था, वहीं अब गर्मी के मौसम के साथ ही शीतकाल में भी दोनों नदियों का पानी शुद्ध नहीं है. मिट्टीनुमान पानी हर समय नदियों की गंदगी को बयां कर रहा है.
मामले में विपक्ष भी गंभीर अवस्था में नजर आ रहा है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सूरज नेगी ने कहा कि ऑल वेदर और रेल परियोजना का मलबा सीधे मंदाकिनी और अलकनंदा नदी में डाला जा रहा है. वन विभाग के नीचे एनएच विभाग का सुरक्षा दीवार का काम जारी है. यहां पर भी गलत तरीके से नदी के प्रवाह को रोका जा रहा है.

पर्यावरण विशेषज्ञों ने गहरी चिंता जताई

दूसरी ओर हाईवे पर जगह-जगह बनाए गए डंपिंग जोन पर पर्यावरण विशेषज्ञों ने गहरी चिंता जताई है. पर्यावरण विशेषज्ञ देव राघवेन्द्र बद्री ने कहा कि किसी भी प्रकार के निर्माण काम को करने के लिए एनजीटी का एक मानक होता है. मानकों के तहत जिस स्थान पर डंपिंग जोन बनाया जाएगा, उस स्थान पर पेड़ों को भी उगाया जाएगा, लेकिन निर्माण विभाग अपनी सुविधा के लिए चोरी-छिपे मलबे को नदियों में डाल देते हैं. जबकि सुप्रीम कोर्ट का साफ आदेश है कि नदी में जीवन है.उसमें किसी प्रकार का कंकड़ भी नहीं डाल सकते हैं. डम्पिग जोन के मलबे से नदियों का इको सिस्टम बिगड़ रहा है. मलबे से जलीय जीवों को नुकसान पहुंच रहा है.

20 लाख रुपये का वसूला गया दंड 

डीएफओ अभिमन्यु ने कहा कि बद्रीनाथ और केदारनाथ हाईवे पर अनियंत्रित तरीके से मलबे का निस्तारण किया जा रहा है. वन विभाग की ओर से इन मामलों में कार्यवाही कर रहा है. वाहनों को सीज किया जा रहा है, जबकि दंड भी वसूला जा रहा है. कहा कि लोनिवि, पीएमजीएसवाई, एनएच, रेलवे परियोजना का कार्य कर रही कार्यदायी संस्थाओं से पत्राचार करके बार-बार नदियों को स्वच्छ रखे जाने की अपील की जा रही है. उन्होंने कहा कि वन विभाग ने अब तक रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के अन्तर्गत डंपिंग जोन की शिकायत पर 20 लाख रुपये का दंड वसूला गया है, जबकि छह प्रकरण ऐसे हैं, जिन्हें वसूली की कार्यवाही की गई है. इनमें करीब 10 लाख वसूली की जानी है.

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