कोटा जिले में नेशनल मिशन ऑन ऑयल सीड कार्यक्रम के अंतर्गत 4000 किसानों को 3200 क्विंटल प्रमाणित सोयाबीन बीज पूरी तरह से मुफ्त (शत-प्रतिशत सब्सिडी पर) बांटे गए. बीज बांटने का यह काम अपने आप में एक कीर्तिमान रहा, क्योंकि यह पहली बार था जब राजस्थान के किसी भी जिले में इस योजना के अंतर्गत इतने बड़े स्तर पर किसानों को एक साथ मुफ्त बीज उपलब्ध कराए गए. कोटा जिले में नेशनल मिशन ऑन ऑयल सीड कार्यक्रम के अंतर्गत पंचायत समिति सांगोद क्षेत्र के लिए जिला कलेक्टर कोटा की ओर से दिशा-निर्देशों की शर्तों को पूरा करने पर एफपीओ सांगोद समृद्धि फार्मर प्रोड्यूसर ऑग्रेनाईजेशन का नेशनल मिशन ऑन ऑयल सीड कार्यक्रम के तहत वेल्यू चेन पार्टनर के रूप चयन किया गया.
सांगोद पंचायत समिति में 1000 किसानों का पंजीकरण कर प्रगतिशील किसानों को अधिकतम 1 हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए अधिक उपज देने वाली 5 साल की अधिसूचित किस्में जैसे JS-20116, JS-2098 का 80 किलोग्राम सोयाबीन बीज प्रति हेक्टेयर की दर से 800 क्विंटल सोयाबीन बीज मुफ्त में उपलब्ध करवाया गया. इन किस्मों की विशेषताएं जैसे बेहतर उपज क्षमता, अधिक तेल प्रतिशत, झुलसा रोग और अन्य प्रमुख बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता ने किसानों को नई तकनीकों को अपनाने के लिए तैयार किया. इससे क्षेत्रीय उत्पादन क्षमता में खास वृद्धि की संभावनाएं प्रबल हुई हैं.
बीज बांटने की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी, डिजिटल और डेटा के आधार पर थी. हर किसान का पंजीकरण पहले से ही कृषि मैपर पोर्टल (Krishi Mapper App) पर किया गया, जिसमें आधार कार्ड, भूमि रिकॉर्ड और मोबाईल नंबर पर ओटीपी वेरिफिकेशन, बीज वितरण करते हुए किसानो की फोटो, बीज वितरण के बाद बोए गए क्षेत्र का जीपीएस और क्षेत्र का फोटो जैसी डिटेल शामिल किए गए.
सभी लाभार्थियों के खेतों की मिट्टी जांच कराई गई, ताकि क्षेत्रीय मिट्टी की क्वालिटी के अनुसार बीज का वितरण किया जा सके. मिट्टी परीक्षण की रिपोर्ट के आधार पर बीज की उपयुक्त किस्म का निर्धारण किया गया, जिससे किसानों को अधिकतम उत्पादन मिलने में सहायता मिले. साथ ही किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड की सिफारिशों के अनुसार पोषक तत्त्व प्रबंधन की तकनीकी जानकारी भी कृषि विभाग, और एफपीओ के तकनीकी जानकारों ने दी.
बीज वितरण में समाज के सभी वर्गों का ध्यान रखा गया. लाभार्थी किसानों में लगभग 34% सामान्य, 28% अन्य पिछड़ा वर्ग, 21% अनुसूचित जनजाति और 17% अनुसूचित जाति के किसान शामिल रहे. साथ ही महिला किसानों ने भी इस योजना का लाभ हासिल किया. योजना की सफलता से प्रभावित होकर नए किसानों ने एफपीओ से जुड़ने की रुचि भी दिखाई, जो कि किसानों के विश्वास और एफपीओ की साख के बारे में बताता है.