गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों की सूची जारी की गई है. चार किसानों समेत कुल 106 लोगों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. एग्रीकल्चर क्षेत्र से सम्मानित होने वाले चार किसानों में केरल निवासी चेरुवयल रामन, सिक्किम निवासी 98 वर्षीय तुला राम उप्रेती, हिमाचल प्रदेश के नेकराम शर्मा और ओडिशा के पटायत साहू शामिल हैं. इन्हें खेती में विशेष काम के लिए यह पुरस्कार मिलेगा.106 लोगों की सूची में 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्म श्री शामिल हैं. इस सूची में 19 महिलाएं भी शामिल हैं. कुछ साल पहले से ही किसानों को भी पद्म पुरस्कार मिल रहा है.
पद्म पुरस्कारों पाने वाली हस्तियों में दिवंगत सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव, संगीतकार जाकिर हुसैन, दिवंगत दिलीप महालनोबिस, एस एम कृष्णा, श्रीनिवास वर्धन और दिवंगत बालकृष्ण दोशी का नाम भी शामिल हैं. सभी को पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाएगा. फिलहाल, हम यह जानते हैं कि खेती के किस काम के लिए चार किसानों को पद्म पुरस्कार से नवाजा जाएगा.
तुला राम और नेकराम को जैविक खेती के लिए
सिक्किम निवासी 98 वर्षीय तुला राम उप्रेती को जैविक खेती के लिए पद्म श्री मिलेगा. आत्मनिर्भर छोटे किसान हैं. वे पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके जैविक खेती करते हैं. जबकि अन्य (कृषि) के क्षेत्र में मंडी निवासी किसान नेकराम शर्मा को भी पद्म श्री से सम्मानित किया जाएगा. उन्होंने 'नौ-अनाज' की पारंपरिक फसल प्रणाली को पुनर्जीवित किया है. उनका अपना सीड बैंक है, जिनमें पारंपरिक बीज हैं.
पटायत साहू को औषधीय पौधों के लिए
ओडिशा के कालाहांडी जिले के पटायत साहू (Patayat Sahu) की औषधीय पौधों का बगीचा बनाने के लिए प्रधानमंत्री उनकी तारीफ कर चुके हैं. ओडिशा के कालाहांडी के नांदोल में रहने वाले पटायत साहू जी वर्षों से इस क्षेत्र में अनूठा काम कर रहे हैं. उन्होंने डेढ़ एकड़ की भूमि में 3000 से अधक औषधीय पौधे लगाए हैं. साहू ने इन औषधीय पौधों का लेखा-जोखा भी प्रकाशित किया है. उन्होंने रसायनों और उर्वरकों का उपयोग किए बिना बगीचे को विकसित किया है.
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चेरुवयल रामन को धान प्रजातियों के संरक्षण के लिए
चेरुवयल रामन पूरे केरल में स्थानीय धान प्रजातियों के संरक्षक के तौर पर जाने जाते हैं. उन्होने धान की 54 स्थानीय प्रजातियों को बचाकर रखी है. रामन ने पूरी जिंदगी धान की ही खेती की है. उन्हें यह देखर काफी कष्ट होता है कि, देशी-विदेशी कंपनियों ने हाइब्रिड वैरायटी के धान स्थानीय प्रजातियों को हाशिए पर धकेल दिया.
भारत सरकार की ओर से आम तौर पर सिर्फ कला, शिक्षा, उद्योग, साहित्य, विज्ञान, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा के क्षेत्र में ही यह पुरस्कार दिया जाता रहा है. लेकिन अब किसानों को भी "अन्य" श्रेणी में पुरस्कार के लिए चयनित किया जाता है. सबसे पहले 2013 में किसानों को पद्म सम्मान देने की मांग उठी थी. 2016 से पुरस्कार देने की शुरुआत की गई थी.
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