देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक महाराष्ट्र में सरकारी प्याज के बीज की बिक्री शुरू हो गई है. महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय, राहुरी में यह काम शुरू हुआ है. यहां इस साल किसानों को इसका बीज 1500 रुपये प्रति किलो की दर से मिल रहा है. एक किसान पांच किलो बीज नकद में खरीद सकता है. पिछले दो साल से विश्वविद्यालय प्याज के बीज ऑनलाइन बेच रहा था. इसलिए महज चार-पांच घंटे में ही सारे बीज बिक जा रहे थे. इसलिए इस वर्ष बिक्री ऑफलाइन और कैश मोड पर हो रही है. विद्यापीठ के फूले समर्थ प्याज के बीज, मटकी (सरिता), हुलगा (शक), ज्वार चारा (फुले गोधन, वसुंधरा), तूर (भीमा), तिल (फुले पूर्णा, जेएलटी-408), सूरजमुखी (फुले भास्कर) के बीज हैं. खरीफ सीजन के लिए बिक्री के लिए उपलब्ध है अगले सप्ताह विश्वविद्यालय के सभी कृषि विज्ञान केंद्रों, कृषि अनुसंधान केंद्रों पर बीजों की बिक्री की जाएगी.
महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय की फुले समर्थ गहरे लाल रंग की अत्यधिक आकर्षक और खरीफ और रंगदा मौसम के लिए विश्वविद्यालय की अत्यधिक उत्पादक किस्म है। हल्की मिट्टी में 90 दिन में उत्पादन देता है एक हेक्टेयर में 200 से 250 क्विंटल उपज मिल सकती है. यह किस्म किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही है.
महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले ने बताया कि अहमदनगर के राहुरी स्थित इस यूनिवर्सिटी ने पिछले 2000 रुपये प्रति किलो के भाव पर प्याज बेचा था. इस साल संगठन ने अनुरोध किया था कि इस साल प्याज की खेती में किसानों को काफी नुकसान हुआ है इसलिए दाम कम किया जाए. विश्वविद्यालय ने इस बात को समझा उन्होंने रेट कम कर दिया. निजी कंपनियां इससे बहुत महंगा बीज बेचती हैं. दिघोले ने बताया कि अब महाराष्ट्र में काफी किसान अपने लिए खुद प्याज का बीज भी तैयार करने लगे हैं.
ये भी पढ़ें- क्या होगा जब प्याज नहीं उगाएंगे किसान? इस खरीफ सीजन कैसे रहेंगे हालात, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
इस वक्त किसान खरीफ सीजन के लिए प्याज खरीद रहे हैं. एक एकड़ में करीब 2 किलो तक बीज लगता है. जुलाई में खरीफ सीजन के लिए नर्सरी डाली जाएगी. उसके लिए ही किसान इस वक्त प्याज का बीज खरीद रहे हैं. नर्सरी तैयार होने में करीब 40 दिन का वक्त लगेगा. उसके बाद उसकी ट्रांसप्लांटिंग होगी. फिर प्याज तैयार होगा.
इस साल प्याज की खेती करने वाले किसान बेहाल हैं. उन्हें सही दाम नहीं मिल रहा. ज्यादातर मंडियों में किसानों को 2 से अधिकतम 8 रुपये तक का भाव मिल रहा है. कुछ मंडियां तो ऐसी हैं जिनमें पिछले 5 महीने से न्यूनतम दाम एक रुपये प्रति किलो चल रहा है. जबकि उनकी लागत 15 रुपये किलो से ज्यादा है. ऐसे में काफी किसान इस बार प्याज की खेती कम करने का विचार कर रहे हैं. जहां पर दूसरी फसलों की संभावना है वहां पर किसान इस बार दूसरा विकल्प अपनाएंगे.