बीते दिन कई राज्यों में बारिश, आंधी-तूफान और आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं हुईं. ओडिशा में भी शुक्रवार को मौसम खराब रहा. इस दौरान राज्य के विभिन्न इलाकों में आए उत्तर-पश्चिमी (कालबैसाखी) तूफान के कारण बिजली गिरने की अलग-अलग घटनाओं में दस लोगों की मौत हो गई. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, कोरापुट में 3, गंजाम में 2, जाजपुर में 2, ढेंकानाल में 2 और गजपति में 1, कुल 10 लोगों की मौत हो गई. पुलिस सूत्रों ने पुष्टि की कि कुंभरागुडा गांव की अंबिका काशी नामक एक अन्य पीड़ित खेत में काम करते समय बिजली की चपेट में आ गई, जिसकी मौत हो गई.
बताया गया कि कोरापुट जिले में लक्ष्मीपुर इलाके में अचानक बिजली गिरने से तीन लोगों की मौत हो गई. मृतकों में बुरुडी मंडिंगा उम्र 60 साल और उनकी पोती काशा मंडिंगा उम्र 18 साल शामिल हैं. दोनों ओडियापेंटा पंचायत के पोर्डीगुडा गांव की रहने वाली थीं. गंजाम जिले में दो मौतें हुईं, इनमें भंजनगर के बेलागुंथा में एक युवती और कबीसूर्यनगर में एक नाबालिग शामिल हैं.
वहीं, ढेंकानाल जिले में कामाख्यानगर ब्लॉक के अंतर्गत कुसुमंडिया गांव की एक महिला और गोंदिया पुलिस सीमा के अंतर्गत कबेरा गांव के एक युवक की अलग-अलग बिजली गिरने की घटनाओं में मौत हो गई. जाजपुर जिले के जेनापुर पुलिस सीमा के अंतर्गत बुरुसाही इलाके में दो नाबालिगों की भी मौत की खबर है. मोहना और आर. उदयगिरी ब्लॉक में बिजली गिरने से गजपति जिले में एक व्यक्ति की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए.
दोपहर में बुलेटिन जारी करते हुए, भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के क्षेत्रीय केंद्र ने लोगों को सतर्क रहने और आंधी-तूफान के दौरान आश्रय लेने की सलाह देते हुए बयान जारी कहा कि लोगों को सलाह दी जाती है कि वे मौसम पर नज़र रखें और आंधी-तूफान के दौरान बिजली गिरने से बचने के लिए सुरक्षित आश्रय लें. साथ ही, फसलों की कटाई को न्यायिक रूप से विनियमित किया जा सकता है और किसानों को सलाह दी जाती है कि वे सब्जियों और फसलों को ओलावृष्टि से बचाने के लिए ओलावृष्टि जाल का उपयोग करें.
वहीं, इससे पहले ओडिशा सरकार ने गुरुवार को बेमौसम बारिश को राज्य-विशिष्ट आपदा घोषित कर दिया, ताकि किसानों को फसल नुकसान के लिए मुआवजा दिया जा सके. एक बयान में कहा गया है कि इस संबंध में राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग के एक प्रस्ताव को मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने मंजूरी दे दी है.
इसके परिणामस्वरूप, किसानों को बेमौसम बारिश में फसल के नुकसान के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) से सहायता मिल सकेगी. इसमें कहा गया है कि इस उद्देश्य के लिए एसडीआरएफ के वार्षिक आवंटन का अधिकतम 10 प्रतिशत इस्तेमाल किया जा सकता है. (पीटीआई)