Monsoon 2023: ये है मॉनसून मंदिर, यहां होती है बारिश की भविष्यवाणी और किसान बनाते हैं बुवाई का प्लान

Monsoon 2023: ये है मॉनसून मंदिर, यहां होती है बारिश की भविष्यवाणी और किसान बनाते हैं बुवाई का प्लान

मौसम की जानकारी लेने के ल‍िए एक से बढ़कर एक आधुन‍िक मशीनें आ गई हैं. लेक‍िन, कई जगहों पर लोगों की मान्यताएं नहीं बदली हैं. कानपुर में एक ऐसा प्राचीन मंदिर है जहां पुजारी मॉनसून की बारिश का अंदाजा लगाते हैं.

भगवान जगन्नाथ का मंदिर भगवान जगन्नाथ का मंदिर
सर‍िता शर्मा
  • Kanpur,
  • Jun 09, 2023,
  • Updated Jun 09, 2023, 3:49 PM IST

जब मॉनसून आने वाला हो या फिर मौसम बदलने वाला हो तो सबसे पहले मौसम वैज्ञानिकों द्वारा पूर्वानुमान लगाया जाता है कि अब बारिश होगी या धूप या फिर कब मौसम बदल जाएगा. लेकिन इस बात की जानकारी आपको सिर्फ मौसम विभाग से ही नहीं म‍िलती. आज भी गांवों में कुछ अनुभवी लोग हैं जो बदलते मौसम का अनुमान लगा लेते हैं. इसे लेकर देश में कुछ धारणाएं भी हैं. कुछ धार्म‍िक व‍िश्वास हैं. ज्योत‍िष की गणना से भी  लोग मौसम का अंदाजा लगाते हैं. उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थ‍ित बेहटा गांव में भगवान जगन्नाथ मंदिर में मौसम को लेकर भक्तों की ऐसी ही मान्यता है. दावा है क‍ि यहां पर मॉनसून आने से पहले ही भगवान खुद इशारा कर देते हैं. हालांक‍ि, इस दावे का कोई साइंट‍िफ‍िक प्रूफ नहीं है. 

इसे कुछ लोग मॉनसून मंदिर भी बोल देते हैं. जहां गुंबद से टपकने वाली बूंदों से तय क‍िया जाता है क‍ि इस बार का मॉनसून नॉर्मल रहेगा या फ‍िर कैसा होगा. इस मॉनसून मंदिर में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति की पूजा होती है. हजारों साल पुराने इस मॉनसून मंदिर के बारे में मान्यता है कि गर्मी में जब चारों तरफ पानी का सूखा रहता है. जब जेठ, बैसाख में धरती तपा करती है, उस दौरान मॉनसून से पहले इस मंदिर के गुंबद से जो बूंदें टपकती हैं उनके आकार से अंदाजा लग जाता है कि मॉनसून कैसा होगा. दावा है क‍ि आसपास के किसान बुआई और जुताई से पहले इस मंदिर में मॉनसून की जानकारी लेने का इंतजार करते हैं. उसी ह‍िसाब से खेती संबंधी योजना बनाते हैं. 

पुजारी ने क्या कहा? 

आजतक तक की रिपोर्ट के अनुसार मंदिर के पुजारी केपी शुक्ला का कहना है कि इस बार मंदिर में टपकने वाली बूंदें आकार में छोटी होती हैं. इससे अंदाज़ा लगाया जाता है कि मॉनसून नॉर्मल होगा. इस प्राचीन जगन्नाथ मंदिर की बनावट बताती है कि ये हजारों साल पुराना मंदिर है, लेकिन ठीक-ठीक कितने साल पुराना मंदिर है इसका आकलन किसी के पास नहीं है.  

इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके बड़े भाई बलदाऊ और उनकी बहन सुभद्रा भी विराजमान हैं. इसके अलवा मंदिर में पद्मनाभ स्वामी भी विराजमान हैं. यहां के लोगों की ऐसी मान्यता है कि मॉनसून आने से से ठीक 15 दिन पहले मंदिर से इशारा मिलता है. 

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मंदिर के आसपास नहीं रहते लोग

पुजारी केपी शुक्ला का परिवार पिछली सात पीढ़ियों से इस मंदिर की बागडोर संभाल रहा है. कानपुर में यह मंदिर घाटमपुर के भीतरगांव इलाके में बना हुआ है. भीतरगांव में मंदिर के आसपास कोई बस्ती भी नहीं है. गांव के लोगों का कहना है सालों पहले कई लोगों ने इस मंदिर के आसपास रहने की कोशिश की लेकिन, भगवान ने ऐसा दंड दिया कि वह तुरंत मंदिर से दूर हो गए. 

छत से टपकती हैं बूंदें

आसपास के लोगों का कहना है कि हर साल जब जून की शुरुआत होती है या मई का आख‍िरी हफ्ता होता है, उस समय इस मंदिर की छत से बूंदें टपकने लगती है. जबकि छत में कहीं भी कोई छेद का निशान नहीं है और कहीं कोई दरार भी नहीं है. मंदिर चारों तरफ से बंद है. मंदिर में एक ही दरवाजा है. गुंबद में कोई नाली और गड्ढा भी नहीं है जो माना जाए ऊपर पानी भरने से टपकता हो. छत से पानी टपकने की वजह से लोगों को बारिश के आने का अंदाजा हो जाता है.हालांकि किसान तक इसकी पुष्टि नहीं करता है. 

कैसे होती है भविष्यवाणी 

मंदिर के पुजारी इन बूंदों का आकार देखकर भविष्यवाणी करते हैं कि इस बार मॉनसून कैसा होगा. गांव के किसान व‍िश्वास करके पुजारियों की भविष्यवाणी स्वीकार करते हैं. इस गांव के आस-पास वाले किसान बताते हैं कि वह अपनी खेती भी मंदिर से गिरने वाली बूंदों के मुताबिक ही करते हैं. इन बूंदों के अनुसार ही खेतों में जुताई और बुआई का समय निर्धारित किया जाता है.

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