अरब सागर के ऊपर आया चक्रवात 'बिपारजॉय' अब तेजी से चक्रवाती तूफान में बदल गया है. मौसम वैज्ञानिकों ने इस चक्रवात के चलते केरल में मॉनसून की धीमी शुरुआत का अनुमान लगाया है. हालांकि भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बुधवार सुबह कहा कि मॉनसून के अगले दो दिनों के भीतर केरल पहुंचने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं. वैसे इसको लेकर अभी तक कोई पुष्टि नहीं की गई है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मंगलवार को कहा कि पूर्व-मध्य और उससे सटे दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर स्थित चक्रवात 'बिपोर्जॉय' के उत्तर की ओर बढ़ने और अगले कुछ घंटों में एक गंभीर चक्रवाती तूफान में बदलने की आशंका है.
स्काईमेट ने 7 जून को केरल में मॉनसून की शुरुआत की भविष्यवाणी तीन दिनों के कम मार्जिन के साथ की थी. आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, पिछले 150 वर्षों में, केरल में मॉनसून की शुरुआत की तारीख काफी अलग रही है, सबसे पहले 11 मई, 1918 और सबसे देरी से 18 जून, 1972 को मॉनसून की एंट्री हुई. दक्षिण-पश्चिम मॉनसून पिछले साल 29 मई, 2021 में 3 जून, 2020 में 1 जून, 2019 में 8 जून और 2018 में 29 मई को पहुंचा था.
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भारत के कृषि परिदृश्य के लिए सामान्य वर्षा महत्वपूर्ण है, शुद्ध खेती वाले क्षेत्र का 52 प्रतिशत इस पर निर्भर है. यह देश भर में बिजली उत्पादन के अलावा पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी महत्वपूर्ण है. वर्षा आधारित कृषि देश के कुल खाद्य उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत है, जो इसे भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता है. चक्रवात बिपारजॉय से तटीय क्षेत्रों में हवा के झोंके आने की संभावना है
आईएमडी, अहमदाबाद की निदेशक मनोरमा मोहंती ने कहा कि 'बिपारजॉय' पोरबंदर जिले से लगभग 1,060 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में केंद्रित है. उन्होंने कहा कि चक्रवात से तटीय जिलों में 40 से 50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की संभावना है.
मौसम विभाग ने आज इसे लेकर चेतावनी जारी की है. आईएमडी ने बताया कि पूर्व-मध्य अरब सागर के ऊपर बने गहरे दवाब का क्षेत्र अब तूफान का रूप ले चुका है. मौसम विभाग के मुताबिकस इसके कारण 24 घंटे में कोंकण के तटीय इलाके रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदर्ग के अलावा मुंबई, ठाणे, पालघर में तेज हवाओं के साथ बारिश देखने को मिल सकती है. कोंकण-गोवा-महाराष्ट्र तट पर आठ से 10 जून तक समुद्र में बहुत ऊंची लहरें उठने की संभावना है.
समुद्र में उतरे मछुआरों को तट पर लौटने की सलाह दी गयी है. आईएमडी ने सोमवार को कहा था कि दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर निम्न दबाव का क्षेत्र बनने और इसके गहरा होने से मानसून का केरल तट की ओर आगमन गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है. हालांकि, मौसम विभाग ने केरल में मानसून के आगमन की संभावित तारीख नहीं बताई. ऐसे में प्रशासन ने सावधानी बरतते हुए मछुवारों को समुद्र में ना जाने की सलाह दी गई है ताकि किसी प्रकार की कोई दुर्घटना ना हो और जान-माल का भी नुकसान ना हो.
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