Green Fodder: तय होगी पशुधन की खाद्य सुरक्षा, देश में बनेंगे चार चारा बैंक, जानें सरकार का प्लान 

Green Fodder: तय होगी पशुधन की खाद्य सुरक्षा, देश में बनेंगे चार चारा बैंक, जानें सरकार का प्लान 

केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने चारे के विषय में पशुपालकों को सलाह दी है कि वो दुधारू जानवर, बछिया, सूखे जानवर और उनकी उम्र के आधार पर चारा खाने को दें. वहीं उनका कहना है कि चारे के संबंध में विश्व में जो अच्छे  काम हो रहा हैं उसे बेंच मार्क बनाएं. प्राइवेट कंपनियों को भी इसमे अवसर खोजने चाहिए. 

पशुओं को खिलाएं ये चारा, बढ़ेगा दूध उत्पादनपशुओं को खिलाएं ये चारा, बढ़ेगा दूध उत्पादन
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Feb 28, 2024,
  • Updated Feb 28, 2024, 8:59 PM IST

पशुओं के चारे पर गंभीर चर्चा शुरू हो गई है. एक्सपर्ट की मानें तो देश में चारे की कमी है. चारे की कमी के चलते ही देश में दूध और दूध से बने प्रोडक्ट के दाम बढ़ रहे हैं. चारे के चलते ही देश का कुल उत्पादन नहीं बढ़ पा रहा है. इसी विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने केन्द्र  सरकार की चारे को लेकर कुछ नीतियों की घोषणा की है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि पशुधन की खाद्य सुरक्षा तय करना हमारी वरीयता में है. 

इसके लिए सरकार देश में चार चारा बैंक बनाने की योजना पर काम कर रही है. इतना ही नहीं जरूरत के मुताबिक चारे को स्टोर करने और उसे ट्रांसपोर्ट करने के लिए भी योजना बनाई जा रही है. चारे का बफर स्टॉक भी बनाया जाएगा. चारे से जुड़ी सभी योजनाओं में वैज्ञानिक द्रष्टिकोण को शामिल किया जाएगा. 

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चारे के उत्पादन को बढ़ाना वक्त की जरूरत-सचिव 

विज्ञान भवन में चारा विषय पर आयोजित कार्यक्रम में पशुपालन और डेयरी सचिव अलका उपाध्याय ने संबोधित करते हुए पशुओं के लिए चारे पर जोर देते हुए कहा कि चारे की खेती के तहत क्षेत्र को बढ़ाकर चारे की उपलब्धता और उत्पादन को बढ़ाना आज वक्त की जरूरत है. चारागाह भूमि, चारे की खेती के लिए निम्नीकृत वन भूमि और रिसर्च के माध्यम से नई-नई  किस्मों के चारा बीज का उत्पादन किया जाए. उन्होंने चारा उद्योग को एक उभरता हुआ व्यावसायिक अवसर भी बताया.

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वहीं उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि भारत आज विश्व में दूध उत्पादन के मामले में पहले स्थान पर है, लेकिन प्रति पशु दूध उत्पादन कम है. इस कमी को दूर करने के लिए अलका उपाध्याय ने नस्ल सुधार कार्यक्रम, ब्रीडर फार्म, न्यूक्लियस फार्म, आईवीएफ और सेक्स सॉर्टेड सीमन तकनीक को तेजी से बढ़ावा देकर देसी और विदेशी नस्लों के संरक्षण पर काम करने की दिशा में जोर दिया. 
 

 

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