खेती यदि तकनीक और सूझबूझ के साथ की जाए तो बड़े मुनापफे का सौदा होती है. कुछ खेती में किसान कम लाभ ले पाते हैं, जबकि कुछ खेती में अच्छा खासा मुनाफा कमा लेते हैं. मिर्च की खेती भी ऐसी ही अच्छी कमाई वाली फसल है. बस इसकी खेती सही योजना से करने कि जरूरत है. मिर्च की खेती से एक साल में ही किसान लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं.
महाराष्ट्र में किसान बड़े पैमाने पर मिर्च की खेती करते है.
दैनिक आहार में मिर्च आवश्यक है. बाजार में साल भर हरी मिर्च की डिमांड बनी रहती है. इसके अलावा विदेशों से भी भारतीय मिर्च की काफी मांग होती है. महाराष्ट्र में मिर्च की खेती लगभग 1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है. महाराष्ट्र में काली मिर्च के कुल क्षेत्रफल में से 68 प्रतिशत नांदेड़, जलगांव, धुले, सोलापुर, कोल्हापुर, नागपुर, अमरावती, चंद्रपुर और उस्मानाबाद जिलों में है. मिर्च अपने तीखेपन और स्वाद के कारण एक महत्वपूर्ण मसाला फसल है.
गर्म और आर्द्र जलवायु में मिर्च की फसल अच्छी तरह से बढ़ती है और अच्छी उपज देती है. मिर्च को मॉनसून, गर्मी और सर्दी तीनों मौसमों में उगाया जा सकता है. भारी बारिश में पत्ते और फल सड़ जाते हैं. मिर्च के लिए 40 इंच से कम बारिश बेहतर है. तापमान में अंतर के कारण पौधों में फूल बड़े हो जाते हैं और उत्पादन कम हो जाता है. 18 से 27 डिग्री सेल्सियस पर बीज का अंकुरण अच्छा होता है.
मिर्च की खेती को अच्छे जल-निकास वाली और सभी प्रकार की मिट्टी में पैदा किया जा सकता है. फिर भी जीवांशयुक्त दोमट या बलुई मिटटी जिसमें कार्बनिक पदार्थ की मात्रा अधिक हो सबसे उपुयक्त मानी जाती है. मॉनसून के मौसम के साथ-साथ बागवानी मिर्च के लिए मध्यम काली और अच्छी तरह से सूखी मिट्टी का चयन किया जाना चाहिए. गर्मियों में काली मिर्च को मध्यम से भारी मिट्टी में लगाया जाना चाहिए. काली मिर्च शांत मिट्टी में अच्छी तरह से बढ़ती है.
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मिर्च की खेती को तैयारी 4-5 गहरी जुताई और हर बार जुताई के बाद पट्टा देकर खेत को अच्छी तरह समतल कर लें. इसी समय अच्छी तरह सड़े गोबर की खाद 10 टन प्रति एकड़ के हिसाब से डाले. खाद यदि अच्छी तरह सड़ी नही होगा तो दीमक लगने का भय रहता है.
1)पूसा ज्वाला: यह किस्म हरी मिर्च के लिए अच्छी होती है और इस किस्म के पौधे छोटे होते हैं और इनकी कई शाखाएं होती हैं. मिर्च आमतौर पर 10 से 12 सेमी लंबे होते हैं और इन पर क्षैतिज झुर्रियां होती हैं. इस किस्म के मिर्च भारी और बहुत मसालेदार होते हैं.
2)पंत सी-1: यह किस्म हरी और लाल मिर्च के उत्पादन के लिए अच्छी है. इस किस्म के मिर्च उलटे होते हैं. मिर्च का आकर्षक लाल रंग मिर्च के अचार पर आता है. मिर्च 8 से 10 सेमी लंबे और छिलका मोटा होता है. इस मिर्च में बीज की मात्रा अधिक होती है और बकरी रोग के प्रतिरोधी होते हैं.
खेत में छिड़काव करने से मिर्च की फसल में जोरदार वृद्धि होती है. शुष्क भूमि मिर्च की फसल के लिए 50 किग्रा एन/हेक्टेयर 50 किग्रा एन/हेक्टेयर तथा ओलिटा फसल के लिए 50 किग्रा एन/हेक्टेयर तथा 50 किग्रा के प्रति हेक्टेयर डालें. इनमें से फास्फोरस और पोटाश की पूरी खुराक और नाइट्रोजन की आधी मात्रा रोपण के समय देनी चाहिए. नाइट्रोजन की बची हुई आधी मात्रा बुवाई के 30 दिन बाद बंगाडी विधि से देनी चाहिए.
मिर्च में फंगस के कारण एक रोग लगता है. इसकी वजह से रोग ग्रस्त पौधे मुरझा जाते हैं. पौधे के पास की मिट्टी और जड़ें सड़ जाती हैं. इससे पौधा गिर जाता है. इस रोग से बचाव के लिए 10 लीटर पानी में 30 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत मिलाएं और इसे जड़ों के चारों ओर डालें.
हरी मिर्च की तोड़ाई फल लगने के लगभग 15 से 20 दिनों बाद कर सकते हैं. पहली और दूसरी तोड़ाई में लगभग 12 से 15 दिनों का अंतर रख सकते है. फल की तोड़ाई अच्छी तरह से तैयार होने पर ही करनी चाहिए. तो वहीं सूखी मिर्च के लिए, उन्हें पूरी तरह से पकने और लाल होने के बाद ही काटा जाना चाहिए.