Farmers Marriage: खेती करते हैं तो नहीं होगी शादी! क्यों युवा किसानों को सुननी पड़ रही हैं ऐसी बातें

Farmers Marriage: खेती करते हैं तो नहीं होगी शादी! क्यों युवा किसानों को सुननी पड़ रही हैं ऐसी बातें

Kisan Marriage: महाराष्ट्र के गांवों में गंभीर हो रही है खेती करने वाले युवाओं की शादी न होने की समस्या. कम आय होने की वजह से खत्म हो रही है क‍िसानों की सामाज‍िक हैस‍ियत. लोग अपनी बेटी का हाथ 10 हजार महीना कमाने वाले के हाथ में देना पसंद कर रहे हैं लेक‍िन खेती करने वालों से शादी उन्हें मंजूर नहीं.

खेती करने वाले युवा क‍िसानों की क्यों नहीं हो रही है शादी?
सर‍िता शर्मा
  • Nashik,
  • May 16, 2023,
  • Updated May 16, 2023, 11:37 AM IST

कर्नाटक चुनाव में पहली बार क‍िसानों की शादी न होना मुद्दा बना था और जनता दल सेक्युलर के नेता एचडी कुमारस्वामी ने वादा क‍िया क‍ि अगर उनकी सरकार सत्ता में आती है, तो किसान के बेटे से शादी करने वाली दुल्हन को दो लाख रुपये दिए जाएंगे. हालांक‍ि, उनकी पार्टी चुनाव में हार गई लेक‍िन उनका यह वादा हमेशा याद क‍िया जाएगा. मुझे ये वादा उस वक्त भी याद आया जब मैं महाराष्ट्र के नासिक पहुंची. नासिक जिले में कलवन तालुका के बड़न गांव में पहुंचकर मैंने क‍िसानों से बातचीत की और जब पूछा क‍ि किसानों की सबसे बड़ी समस्या क्या है? इस सवाल पर उनका जवाब हैरान करने वाला था.

उन्होंने बताया कि किसानों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है क‍ि उनके जो बेटे खेती कर रहे हैं उनकी शादी नहीं हो रही है. कोई किसान भी अपनी बेटी की शादी खेती करने वाले लड़के से नहीं करवाना चाहता, क्योंक‍ि वह जानता है क‍ि इसमें क‍ितना संघर्ष है. लड़की खुद भी यह डिमांड करती है क‍ि उसे नौकरी करने वाला लड़का चाहिए. 

इसी गांव के एक 28 वर्षीय किसान गणपत (बदला हुआ नाम) ने हमसे बात करते हुए बताया कि खेतीबाड़ी में कोई स्कोप नहीं नज़र आ रहा है. इतनी प्राकृत‍िक आपदाओं का सामना करते हुए अगर फसल बच जाती है तो बाज़ारों में उसका भाव नहीं मिलता. ऐसे में क‍िसानों की कमाई कुछ भी नहीं रह गई है, इसल‍िए कोई लड़की किसान से शादी नहीं करना चाहती है. इस युवा ने बताया क‍ि वो 4 एकड़ जमीन में प्याज की खेती करता है. पिछले दो साल से प्याज़ की गिरती क़ीमतों से नुकसान झेल रहा है. खेती में खर्चा बहुत होता है लेकिन इनकम कुछ खास नहीं है. कम इनकम वाले लड़के से तो कोई मजबूर लड़की ही शादी करेगी. 

खेती के साथ नौकरी की ड‍िमांड करते हैं लड़की वाले 

इस युवा किसान ने बताया कि अब शादी के लिए फ़ोन भी नहीं आते. जो पहले रिश्ते आये वो लड़की वाले की डिमांड होती थी कि खेती के साथ-साथ लड़का नौकरी भी करता हो. जो भी र‍िश्ते आए लड़क‍ियों के पिता बोलते थे की खेती में कुछ बचा ही नहीं है तो कैसे गुजारा हो पाएगा और शादी नहीं हुई. किसान ने बताया कि उसके साथ कई खेती करने वाले युवा ऐसे हैं जिनकी उम्र शादी की हो गई है लेक‍िन किसान होने की वजह से शादी नहीं हो रही. जिले के हर गांव में कम से कम 25 से 30 ऐसे लड़के ऐसे हैं जो खेती करते हैं इसल‍िए शादी नहीं हो पा रही है. र‍िश्ते आते हैं लेक‍िन बात आगे नहीं बढ़ पाती है.

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क‍िसानी के संघर्ष से डरते हैं लोग 

इसी गांव के एक अन्य युवा रोह‍ित (बदला हुआ नाम) ने 'क‍िसान तक' से बातचीत में कहा क‍ि खेती बहुत घाटे में चल रही है इसल‍िए लड़की के पिता हमेशा नौकरीपेशा या ब‍िजनेस करने वालों को तरजीह देते हैं. वो सोचते हैं क‍ि लड़की की शादी खेती-किसानी वाले लड़के से करवा दी तो उसकी बेटी उस लड़के के साथ ज‍िंदगी भर संघर्ष करती रहेगी. ये सब देख अब हम सब दूसरे लड़कों को बोलते हैं क‍ि खेती की ओर मत देखो, नौकरी खोजो. अगर यही हाल रहा तो आने वाली पीढ़‍ियां खेती करने नहीं आएंगी. 

युवा किसान ने कहा क‍ि अगर वो किसान नहीं होता तो शादी न होने की समस्या नहीं झेल रहा होता. नौकरी करता तो अब तक शादी हो गई होती. दस र‍िश्ते आते. नौकरी भी तो अब आसान नहीं. कॉलेज टाइम में ही म‍िल जाए तो ठीक वरना एक उम्र न‍िकलने के बाद नहीं म‍िलती. गांव में जो लड़का दस हजार रुपये महीने की भी नौकरी कर रहा है उसकी शादी फिक्स हो जाती है. बस अत्याचार खेती में काम करने वालों के साथ है. क्योंक‍ि, इनकम है नहीं इसल‍िए कौन अपनी बेटी ब्याहना चाहेगा ब‍िना पैसे वालों के पास.  

महाराष्ट्र के नासिक के गांवों में पहुंचा किसान तक ( युवा किसान के पहचान छिपाने के निवेदन की वजह से चेहरा ब्लर किया गया है)

कुंवारे क‍िसानों की बढ़ रही संख्या 

एक क‍िसान ने बताया क‍ि खेती करने वाले लड़कों की शादी की समस्या पिछले पांच-सात साल से आ रही है. क्योंक‍ि कमाई बहुत घट गई है. मैं खुद किसान हूं और अपनी बेटी की शादी खेती करने वाले लड़के से नहीं करवाउंगा. कौन प‍िता खेती का संघर्ष देखने के बावजूद अपनी लड़की खेती करने वाले के हाथ में देगा. एक अन्य क‍िसान ने क‍हा क‍ि नौकरी में कम से कम महीने में एक फ‍िक्स रकम मिलने का सुकून तो रहता है. लेक‍िन खेती में कोई ठ‍िकाना नहीं है क‍ि माल एक रुपये क‍िलो ब‍िकेगा या दो रुपये. इसल‍िए गांवों में कुंवारे क‍िसान युवाओं की संख्या बढ़ रही है. 

महाराष्ट्र के काफी गांवों में खेती करने वाले ऐसे युवा मिल जाएंगे जिनकी शादी नहीं हो रही है.

आख‍िर ऐसा क्यों हो रहा है? 

कृष‍ि उत्पाद बेचने वाले मालामाल हो रहे हैं जबक‍ि उन्हें पैदा करने वाले बेहाल हैं. नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन के मुताब‍िक 2019 में भारत के क‍िसान पर‍िवारों की औसत मास‍िक आय 10,218 रुपये थी. आंकड़ें बता रहे हैं कि खेती से किसानों की शुद्ध आय स‍िर्फ 840 रुपये प्रत‍िमाह है. प्रत‍िद‍िन का ह‍िसाब लगाएं तो लगभग 28 रुपये ही बनता है. 

दूसरी ओर, सरकारी दफ्तर में काम करने वाला चपरासी भी महीने में 50 हजार रुपये तक पा रहा है. अब आप खुद अंदाजा लगाइए क‍ि इतनी औसत आय से क‍िसानों के प्रत‍ि समाज में परसेप्शन कैसे बनेगा. जाह‍िर है क‍ि उनकी सामाज‍िक हैस‍ियत भी कम होती इनकम के साथ खराब हो रही है.  इसील‍िए लोग अपनी बेटी का हाथ फोर्थ क्लास की सरकारी नौकरी करने वालों के हाथ तो देना चाहते हैं लेक‍िन क‍िसानों के हाथ में नहीं.

 

 

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