
देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक महाराष्ट्र में प्याज की खेती करने वाले किसानों पर चौतरफा मार पड़ रही है. खेती की लागत बढ़ रही है और दाम कम होता जा रहा है. कम दाम की मार से कमर सीधी नहीं हुई थी कि रबी सीजन के प्याज की हार्वेस्टिंग के वक्त हुई बेमौसम बारिश ने उन पर वज्रपात ही कर दिया. नाशिक के तमाम गांवों में प्याज भीग गया है. जिससे उसकी क्वालिटी खराब हुई और उसे मार्केट ले जाने की बजाय किसानों को फेंकने पर मजबूर होना पड़ा. नाशिक जिले से कलवन तालुका के बडन गांव सहित कई जगहों पर हमने यही हाल देखा. ऐसा लग रहा था कि जैसे इन किसानों के दिन पता नहीं कब अच्छे होंगे. पिछले साल की शुरुआत से ही प्याज की खेती करने वाले किसान परेशान हैं. कभी दाम मारता है तो मौसम की मार पड़ती है.
राज्य में हुई बेमौसम बारिश के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. पानी और प्याज़ का पुराना बैर है. पानी पड़ा नहीं कि प्याज की क्वालिटी खराब हुई नहीं. पानी लग जाए जो उसमें सड़न शुरू हो जाती है और फिर वो बाजार में बेचने लायक नहीं रह जाता. ऐसे में नासिक के अधिकांश गांवों में किसानों को प्याज फेंकना पड़ा है. देश में सबसे बड़ा प्याज उत्पादक महाराष्ट्र है और महाराष्ट्र में सबसे बड़ा उत्पादक नासिक है.
डन गांव के किसान गिरिराज ने कहा कि किसानों पर चौतरफा मार पड़ रही है. समय प्याज़ की खेती करने वाले किसानों की स्थिति बहुत खराब है. रबी सीजीन के प्याज की हार्वेस्टिंग के समय ही बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि होने से तैयार प्याज़ खराब हो गई. इतनी लागत और मेहनत से प्याज तैयार हुई. जब उसे बेचने की बारी आई तो प्रकृति ने उसे खराब कर दिया. उदाहरण के तौर पर अगर किसी गांव में 100 क्विंटल प्याज की हार्वेस्टिंग हुई है तो उसमें कम से कम 40 क्विंटल प्याज खराब हो गई है. ऐसा सिर्फ बारिश और ओलावृष्टि से हुआ है. इस मार से किसान कैसे उबरेंगे यह बड़ा सवाल है.
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गिरिराज ने अपने हाथ में एक प्याज लेकर बताया कि ये कुछ प्याज़ देखने में कितने अच्छे लग रहे हैं. लेकिन बारिश में भीग जाने के बाद अंदर से सड़ गए हैं. इसे बेचना उपभोक्ताओं के साथ ठगी होगी. इसलिए किसानों ने भीगे प्याज को फेंकना उचित समझा. जो बिल्कुल खराब हो चुका है उसका रूप रंग तो खराब दिखाई ही दे रहा है. अगर प्याज़ की स्थिति ऐसे ही रही तो प्याज़ की खेती छोड़कर लोग कोई और फसल उगाने लगेंगे. आखिर किसान कब तक घाटा सहेगा. पूरे तालुका में यही हाल है. जिस गांव में आप जाएंगे आपको कहीं किसी किनारे प्याज फेंका हुआ मिलेगा.
किसान ने बताया कि बारिश से खराब हुई फसल का सरकार ने पंचनामा करवाया है ताकि मुआवजा मिल सके. लेकिन यह काम ढंग से नहीं किया गया है. इसलिए सरकारी सहायता की कोई खास उम्मीद नहीं है. गिरिराज ने बताया कि मंडी में व्यापारी किसानों से 100 रुपये क्विंटल के भाव पर प्याज खरीद रहे हैं. ऐसे में किसान क्या करे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा है. इस साल भी प्याज़ का दाम बढ़ने की कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही है. किसान एक से लेकर अधिकतम 9 रुपये प्रति किलो तक के भाव पर प्याज बेचने पर मजबूर हैं. इसीलिए कुछ लोग तो प्याज के खेत में ट्रैक्टर चला दे रहे हैं.
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