खेती-किसानी के विकास में महिलाओं का अहम योगदान, लेक‍िन नहीं दी गई मान्यता

खेती-किसानी के विकास में महिलाओं का अहम योगदान, लेक‍िन नहीं दी गई मान्यता

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने द‍िल्ली में आयोज‍ित एक कार्यक्रम में कहा क‍ि आधुनिक महिलाएं अबला नहीं, बल्कि सबला हैं. यानी असहाय नहीं, बल्कि शक्तिशाली हैं. खेती में मह‍िलाओं का अहम योगदान है, लेक‍िन उनके योगदान को मान्यता नहीं दी गई. उनकी भूमिका को हाशिए पर रखा गया. इस कहानी को अब बदलने की जरूरत है. 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सीजीआईएआर जेंडर इम्पैक्ट प्लेटफार्म के कार्यक्रम में श‍िरकत की (Photo-Ministry of Agriculture). राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सीजीआईएआर जेंडर इम्पैक्ट प्लेटफार्म के कार्यक्रम में श‍िरकत की (Photo-Ministry of Agriculture).
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Oct 09, 2023,
  • Updated Oct 09, 2023, 10:45 PM IST

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है क‍ि वैश्विक स्तर पर हमने देखा है कि महिलाओं को लंबे समय तक कृषि-खाद्य प्रणालियों से बाहर रखा गया, जबकि वे कृषि संरचना के सबसे निचले पिरामिड का बड़ा हिस्सा हैं. उन्हें निर्णय लेने वालों की भूमिका के अवसर से वंचित किया जाता है. दुनियाभर में, उन्हें भेदभावपूर्ण सामाजिक मानदंडों और ज्ञान, स्वामित्व, संपत्ति, संसाधनों व सामाजिक नेटवर्क में बाधाओं द्वारा रोका जाता है. उनके योगदान को मान्यता नहीं दी गई. उनकी भूमिका को हाशिए पर रखा गया. कृषि-खाद्य प्रणालियों की पूरी श्रृंखला में उनके योगदान को नकार दिया गया है. इस कहानी को अब बदलने की जरूरत है. वो सोमवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद व सीजीआईएआर जेंडर इम्पैक्ट प्लेटफार्म द्वारा द‍िल्ली में आयोज‍ित एक कार्यक्रम को संबोध‍ित कर रही थीं. 

उन्होंने कहा कि आधुनिक महिलाएं अबला नहीं, बल्कि सबला हैं. यानी असहाय नहीं, बल्कि शक्तिशाली हैं. हमें न केवल महिला विकास बल्कि महिला नेतृत्व वाले विकास की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमारी कृषि-खाद्य प्रणालियों को अधिक न्यायसंगत और समावेशी बनाना जरूरी है जो मानव जाति की भलाई के लिए महत्वपूर्ण भी है. इस मौके पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, शोभा करंदलाजे, कृषि सचिव मनोज अहूजा और आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक आद‍ि मौजूद रहे.

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जलवायु परिवर्तन बड़ा खतरा 

राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन एक अस्तित्वगत खतरा है. हमें अभी व तेजी से कार्रवाई करने की जरूरत है. जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, बर्फ पिघलने और प्रजातियों के विलुप्त होने से खाद्य उत्पादन बाधित हो रहा है. कृषि-खाद्य चक्र भी टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल नहीं है. कृषि-खाद्य प्रणालियों को दुष्चक्र से बाहर निकालने के लिए चक्रव्यूह तोड़ने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कृषि-खाद्य प्रणालियों को कैसे बदला जाएं, इसकी एक व्यवस्थित समझ की आवश्यकता है. कृषि-खाद्य प्रणालियां लचीली व चुस्त होनी चाहिए, ताकि वे सभी के लिए पौष्टिक व स्वस्थ आहार को अधिक सुलभ, उपलब्ध और किफायती बनाने के लिए झटके व व्यवधानों का सामना कर सकें.

कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका

इस मौके पर केंद्रीय कृष‍ि मंत्री नरेंद्र स‍िंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारतीय अध्यक्षता में जी-20 का ऐतिहासिक आयोजन हुआ, जिसके घोषणा-पत्र में महिलाओं की खाद्य सुरक्षा एवं पोषण पर बल दिया गया है. जो व्यक्तिगत व सामुदायिक विकास की आधारशिला है. क्योंकि इससे महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ बच्चों, परिवार और बेहतर समुदाय की बुनियाद पड़ती है. उन्होंने कहा कि यह समय सामयिक कृषि खाद्य प्रणाली का सृजन करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर गंभीरता से चर्चा कर ठोस निष्कर्ष निकालने का है. क्योंकि इसका सब पर प्रभाव पड़ता है. खाद्य प्रणालियों में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका है, जिसका देश के सामाजिक विकास में व्यापक व महत्वपूर्ण योगदान है.

जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान

तोमर ने कहा क‍ि कृषि आउटपुट में भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है. जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 14 फीसदी है. इस क्षेत्र में आधी से भी अधिक आबादी को रोजगार मिलता है. उन्होंने कहा क‍ि 84 फीसदी भारतीय महिलाएं आजीविका के लिए कृषि व सम्बद्ध क्षेत्रों पर निर्भर हैं. देश में उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान के परिणाम स्वरूप कृषि को सफलता मिली है, जिसके लिए तोमर ने वैज्ञानिकों को बधाई दी.

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खेती में मह‍िलाओं का अहम योगदान

तोमर ने कहा कि इनोवेशन में निवेश करने व इसकी सफलता की लंबी विरासत है. भारतीय कृषि में सफलता में मेहनतकश किसानों की अहम भूमिका है. देश में 86 प्रतिशत छोटे-मझौले किसान हैं, जिन्होंने चुनौतियों का सामना करते हुए राष्ट्र का भरण-पोषण करने में योगदान दिया. देश में खेती-किसानी के विकास में महिलाओं का अहम योगदान रहा है. वहीं युवा भी खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. वहीं जलवायु परिवर्तन और अन्य खाद्य प्रणालियों के तनावों की चुनौतियों से भी मिलकर निपटने की जरूरत है.  


 

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