पिछले दो साल से प्याज की खेती सबसे बड़े संकट से गुजर रही है. किसानों को मंडियों में प्याज का सही दाम नहीं मिल रहा है और उधर व्यापारी इसे उपभोक्ताओं को महंगे रेट पर बेच रहे हैं. इसके बावजूद कई जगहों की जलवायु और मिट्टी ऐसी है कि किसान प्याज की खेती छोड़ नहीं पा रहे हैं. किसानों को यह भी उम्मीद है कि आगे चलकर स्थिति सुधर सकती है. इसलिए वो खेती कर रहे हैं. खेती कम हो सकती है लेकिन वो प्याज को उगाना पूरी तरह से तब तक बंद नहीं करेंगे जब कि दूसरा कोई विकल्प नहीं है. ऐसे में किसानों को और न नुकसान हो इसके लिए सही किस्मों का चयन करना चाहिए.
महाराष्ट्र के राजगुरूनगर, पुणे स्थित प्याज और लहसुन अनुसंधान निदेशालय (डीओजीआर) ने प्याज की 5 उन्नत किस्में बनाई हैं. जिनकी रोपाई किसान कर सकते हैं. आईए जानते हैं कि इन किस्मों की खासियत क्या है. किसानों के लिए यह किस्में क्यों फायदे का सौदा हो सकती हैं. इसमें तीन महीने तक स्टोरेज क्षमता वाली किस्में भी शामिल हैं.
सफेद प्याज की यह किस्म रबी मौसम के लिए पहले से ही अनुमोदित है और अब खरीफ मौसम में छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तमिलनाडु में उगाने के लिए इसे अनुमोदित किया गया है. इस किस्म की प्याज 110 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इसका भंडारण तीन तीन माह तक कर सकते हैं. खरीफ में इसकी औसत उपज 18-20 टन प्रति हेक्टेयर है और रबी सीजन में 26-30 टन प्रति हेक्टेयर है.
छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु में खरीफ मौसम में उगाने के लिए इस लाल प्याज किस्म को तैयार किया गया है. इसे खरीफ में पछेती फसल के रूप में भी उगा सकते हैं. यह खरीफ सीजन में 22-22 टन प्रति हेक्टयर की पैदावार देगी. जबकि पछेती खरीफ में 40-45 टन तक की उपज मिलेगी. खरीफ में 100 से 105 दिन और पछेती खरीफ में 110 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाएगी.
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महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में रबी मौसम के लिए पहले से ही इसका इस्तेमाल हो रहा है. इस किस्म को अब दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु में खरीफ मौसम के लिए भी जारी कर दिया गया है. यह फसल पछेती खरीफ मौसम में भी बोई जा सकती है. खरीफ में यह फसल 105 से 110 दिन और पछेती खरीफ और रबी मौसम में 110 से 120 दिन में पककर तैयार हो जाती है. खरीफ में औसतन उपज 19-21 टन प्रति हेक्टेयर है. पछेती खरीफ में 48-52 टन प्रति हेक्टेयर है. रबी मौसम में 30-32 टन प्रति हेक्टेयर है. रबी सीजन के प्याज को तीन महीने तक भंडारण कर सकते हैं.
प्याज और लहसुन अनुसंधान निदेशालय के वैज्ञानिकों ने बताया कि भीमा गहरा लाल किस्म के प्याज की पहचान छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु में खरीफ मौसम के लिए की गई है. इसकी पैदावार 20-22 टन प्रति हेक्टेयर है. यह औसत उपज है. इसमें आकर्षक गहरे, लाल रंग के चपटे एवं गोलाकार कंद होते हैं. इस किस्म का प्याज 95 से 100 दिन में पककर तैयार हो जाता है.
सफेद प्याज की यह किस्म छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तमिलनाडु में खरीफ मौसम के लिए बनाई गई है. महाराष्ट्र में पछेती खरीफ के लिए भी इसे जारी किया गया है. खरीफ में यह 110 से 115 दिन और पछेती खरीफ में 120 से 130 दिन में पककर तैयार हो जाती है. मध्यम भंडारण की यह किस्म मौसम के उतार-चढ़ाव के प्रति सहिष्णु है. खरीफ में इसकी पैदावार 18-20 टन प्रति हेक्टेयर है. जबकि पछेती खरीफ में 36-42 टन प्रति हेक्टेयर है.