हरियाणा के कई जिलों में भारी बारिश हुई है. इससे मंडियों में खुले में रखे अनाज को भारी नुकसान हुआ है. जींद और झज्जर कि मंडियों में रखे हजारों बोरे अनाज भीग गए हैं, जिससे आढ़तियों को भारी नुकसान हुआ है. मंडियों में अनाज की तुलाई होने के बाद उसका जिम्मा आढ़तियों के पास होता है जब तक सरकारी एजेंसियां अनाजों को न उठा लें.
जींद और झज्जर में कुछ ऐसा ही हुआ जहां कल और आज हुई बारिश से हजारों क्विंटल अनाज भीग गया. आढ़ती इसका पूरा दोष मंडी प्रशासन पर लगा रहे हैं.जींद की अनाज मंडी में गुरुवार रात की बारिश से चार लाख गेहूं की बोरियों में पानी आ गया और गेहूं की बोरियां भीग गईं. प्रशासन ने कोई भी व्यवस्था नहीं करवाई हुई थी.
अगर अनाज मंडी में शेड बनी होती तो यह गेहूं शेड के नीचे रखा जाता जिससे आढ़तियों को करोड़ों रुपये का नुकसान नहीं होता. अब पानी को निकालने के लिए टल्लू पंप का सहारा लिया जा रहा है. लेकिन गेहूं भीग चुका है और आढ़तियों को करोड़ों रुपये का नुकसान भी हुआ है.
हालांकि बारिश के बाद प्रशासन का एक दल मंडी में पहुंचा और पानी निकलवाने के काम में जुट गया. पंप के सहारे मंडी में लगे पानी को निकाला गया. आढ़तियों की शिकायत है कि शेड की व्यवस्था नहीं होने से गेहूं भीग गया और आगे उसमें नमी आ जाएगी.
मंडी में कुछ गेहूं इसलिए भी भीग गया क्योंकि उसे बोरे में नहीं रखा गया था. इस तरह के गेहूं की मात्रा भी बहुत अधिक है. इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है क्योंकि उनकी उपज की तुलाई नहीं हो सकी है. इस तरह आढ़तियों के साथ साथ किसानों को भी भारी नुकसान हुआ है.
किसानों ने कहा है कि अगर समय रहते मंडी में गेहूं के उठान और उसे सुरक्षित रखने का इंतजाम होता आज ऐसी दशा नहीं होती. गेहूं भीगने के बाद उसकी क्वालिटी में भी फर्क आ जाता है और उसके खराब होने की आशंका बढ़ जाती है.जींद की तरह झज्जर में भी बारिश से भारी नुकसान हुआ है.
भारी बारिश के कारण झज्जर अनाज मंडी में पड़े अनाज को भारी नुकसान पहुंचा है. यहां भी खुले में गेहूं रखा हुआ था और अचानक भारी बारिश हो गई जिससे किसानों का रखा गेहूं भीग गया. इस पर किसानों में रोष है और वे सरकार से इसकी भरपाई की मांग कर रहे हैं. (सुनील कुमार का इनपुट)