टमाटर के दाम में भारी गिरावट दर्ज की गई है. देश की कई मंडियों में किसान कहीं 2 तो कहीं 4 रुपये किलो के भाव पर टमाटर बेचने को मजबूर हैं. यहां तक कि खेत से टमाटर तुड़वाई और उसे मंडी तक ले जाने का खर्च भी निकालना मुश्किल साबित हो रहा है. एक ही महीने में टमाटर की कीमत में 36 फीसदी की गिरावट तो खुद केंद्रीय कृषि मंत्रालय भी मान रहा है, जिस पर किसानों की आय डबल करने की जिम्मेदारी है. लेकिन, दूसरी ओर बड़े शहरों के बाजारों में अभी भी उपभोक्ताओं को 25 से 30 रुपये प्रति किलो के भाव पर टमाटर खरीदना पड़ रहा है. व्यापारी और बिचौलिए अपना मुनाफा छोड़ने को तैयार नहीं हैं, जबकि किसान और कंज्यूमर दोनों गलत पॉलिसी के चक्कर में पिस रहे हैं.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान कृषि उपज के दाम में गिरावट को लेकर चिंता जाहिर की है, लेकिन, उन्होंने टमाटर उत्पादक किसानों को कम दाम की वजह से हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए कोई राहत नहीं दी है. बहरहाल, कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट बता रही है कि 26 जनवरी को देश में टमाटर का औसत दाम 1102.58 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि एक महीने पहले इसका भाव 1730.39 रुपये था. यानी एक ही महीने में दाम में 36.28 फीसदी की गिरावट आई है.
इसे भी पढ़ें: स्वामीनाथन आयोग वाली MSP लागू न होने से किसानों को कितना बड़ा नुकसान, ये रही डिटेल
किसी भी फसल का दाम घटने और बढ़ने के पीछे की एक बड़ी वजह मांग और आपूर्ति का संतुलन बिगड़ना होता है. जब बाजार में आपूर्ति कम हो जाती है तो दाम बढ़ जाते हैं और जब किसी वजह से बढ़ जाती है तो दाम घट जाते हैं. इस समय बाजार में टमाटर की आपूर्ति बढ़ी हुई है, जिसकी वजह से दाम में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 1 से 25 जनवरी 2024 के बीच देश की मंडियों में 1,99,734 टन टमाटर की आवक हुई थी. इसी अवधि के दौरान मौजूदा वर्ष यानी 2025 में 2,89,812 टन टमाटर बिकने आया. यानी इस वर्ष पिछले साल की तुलना में टमाटर की आवक में 45 फीसदी का इजाफा हुआ है. ऐसे में दाम कम हो गए हैं. असम, मध्य प्रदेश, मेघालय, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा और आंध्र प्रदेश की मंडियों में टमाटर की पिछले साल के मुकाबले बहुत अधिक आवक हुई है. दाम में कमी का यही प्रमुख कारण है.
इसे भी पढ़ें: Fertilizer Subsidy: सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में आएगी फर्टिलाइजर सब्सिडी, तैयारी में जुटी सरकार