पंजाब में इस साल अगस्त के अंत से सितंबर की शुरुआत तक हुई लगातार बारिश और बाढ़ ने धान की खेती पर गहरा असर डाला है. जानकारी के अनुसार, इस बार प्रति एकड़ धान की पैदावार में 5 से 6 क्विंटल की गिरावट देखी गई है. जहाँ पहले किसानों को प्रति एकड़ 27 से 32 क्विंटल धान मिलती थी, वहीं इस साल यह घटकर 23 से 25 क्विंटल रह गई है.
धान की खरीद का सीजन शुरू हुए लगभग एक महीना हो चुका है, लेकिन अब तक मंडियों में सिर्फ 21.05 लाख मीट्रिक टन धान ही पहुंचा है. यह आंकड़ा चिंताजनक है क्योंकि राज्य सरकार का लक्ष्य 175 लाख मीट्रिक टन (LMT) धान खरीदने का है.
खन्ना की सबसे बड़ी अनाज मंडी में धान बेचने पहुंचे किसान कुलदीप सिंह ने बताया कि पिछले साल उन्हें प्रति एकड़ 31 क्विंटल धान मिला था, जबकि इस साल सिर्फ 25 क्विंटल ही हो पाई है. वहीं, आढ़ती हरबंस सिंह रोशा का कहना है कि यह गिरावट पूरे राज्य में देखी जा रही है, जिससे ग्रामीण इलाकों में पैसों का प्रवाह कम हो सकता है और कर्ज की समस्या बढ़ सकती है.
रोपड़ जिले में अधिकारी मान रहे हैं कि यहाँ हालात और भी खराब हैं. कई किसानों को सिर्फ 20 क्विंटल प्रति एकड़ धान मिल रहा है. कीरतपुर साहिब में धान की आवक 30% तक कम हो गई है. अधिकारियों का कहना है कि किसान धान को और सूखने का इंतजार कर रहे हैं, जिससे मंडियों में आवक में देरी हो रही है.
कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बाढ़ प्रभावित माजा क्षेत्र में खेतों में गाद जमा हो जाने से उत्पादन में करीब 5% की कमी आ सकती है. कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुडियान का कहना है कि यह सिर्फ शुरुआती रिपोर्ट हैं और जैसे-जैसे धान की आवक बढ़ेगी, औसत उत्पादन में बहुत ज्यादा फर्क नहीं आएगा.
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री लाल चंद कटारूचक्क ने बताया कि केंद्र सरकार की टीमें जल्द ही पंजाब की मंडियों का दौरा करेंगी और बारिश से धान पर पड़े प्रभाव का जायजा लेंगी. उन्होंने कहा कि अब तक किसानों को खरीदी गई धान के बदले ₹3,215 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है.
निष्कर्ष: इस साल पंजाब में धान की पैदावार पर मौसम ने बुरा असर डाला है. सरकार और किसान दोनों ही इस स्थिति से निपटने की कोशिश में लगे हैं. आने वाले दिनों में अगर धान की आवक बढ़ती है, तो स्थिति में कुछ सुधार हो सकता है.
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