पूसा ने किसानों के लिए जारी की एडवाइजरी, जानिए फसल को नुकसान से बचाने के आसान उपाय

पूसा ने किसानों के लिए जारी की एडवाइजरी, जानिए फसल को नुकसान से बचाने के आसान उपाय

पूसा संस्थान ने किसानों के लिए जारी की अहम एडवाइजरी, जिसमें बताया गया है कि कैसे धान की फसल को भूरा फुदका कीट से बचाया जाए. जानिए कीट की पहचान और बचाव के सरल, प्रभावी उपाय.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 25, 2025,
  • Updated Aug 25, 2025, 10:08 PM IST

देश के कई हिस्सों में हो रही अनियमित बारिश और बदलते मौसम ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. खासकर धान की फसल पर इस समय भूरा फुदका (ब्राउन प्लांट हॉपर) नामक कीट का खतरा मंडरा रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) - पूसा ने किसानों के लिए एक जरूरी एडवाइजरी जारी की है. आइए, आसान भाषा में जानते हैं कि क्या है ये कीट, कैसे पहचानें और बचाव के उपाय क्या हैं.

क्या है भूरा फुदका कीट?

भूरा फुदका एक छोटा, मच्छर जैसा कीट है जो धान के पौधों के तनों के पास बैठकर उनका रस चूसता है. जब यह कीट बड़ी संख्या में होता है, तो पूरा खेत सूखने लगता है और फसल को भारी नुकसान होता है. यह कीट खासकर तब अधिक नुकसान करता है जब फसल तेजी से बढ़ रही होती है.

खेत में भूरा फुदका की पहचान कैसे करें?

पूसा संस्थान के वैज्ञानिकों के अनुसार, यह कीट धान के पौधों के निचले हिस्से में छिपा होता है. इसे सामान्य नजर से देखना मुश्किल होता है. अगर पौधों का रंग पीला पड़ने लगे, पौधे सूखने लगें और खेत की उपज में गिरावट दिखे, तो यह भूरा फुदका कीट का संकेत हो सकता है.

भूरा फुदका से बचाव कैसे करें?

  • ICAR पूसा ने किसानों को सलाह दी है कि वे बिना जरूरत के रासायनिक छिड़काव न करें, खासकर बारिश की संभावना में. इसके बजाय ये उपाय करें:
  • फेरोमोन ट्रैप्स लगाएं: तना छेदक जैसे कीटों की निगरानी के लिए प्रति एकड़ 3–4 ट्रैप्स लगाएं.
  • कीटनाशक का सही इस्तेमाल: अगर पत्ता मरोड़ या तना छेदक का प्रकोप है तो ‘करटाप 4%’ दानेदार कीटनाशक को 10 किलो प्रति एकड़ की दर से छिड़कें.
  • जलभराव से बचाव करें: पानी भरे खेतों में यह कीट तेजी से फैलता है, इसलिए जल निकासी की व्यवस्था करें.
  • फसल की नियमित निगरानी करें: यदि कीटों की संख्या बढ़ रही हो तो तुरंत कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें.

सब्जियों के लिए पूसा की जरूरी सलाह

  • पूसा संस्थान ने सिर्फ धान ही नहीं, सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के लिए भी दिशा-निर्देश दिए हैं:
  • गाजर की बुवाई: ‘पूसा वृष्टि’ किस्म को 4–6 किलो प्रति एकड़ की दर से बोएं. बीजों को केप्टान नामक फफूंदनाशी से उपचारित करें.
  • सब्जियों की रोपाई: टमाटर, मिर्च, फूलगोभी और पत्तागोभी की रोपाई मेड़ों पर करें ताकि पानी जमा न हो.
  • बेल वाली सब्जियों की देखभाल: कद्दू, लौकी आदि की बेलों को ऊपर चढ़ाएं ताकि बारिश से सड़ने से बचाव हो.

फल मक्खी से बचाव के उपाय

  • इन दिनों फल मक्खी का हमला भी देखा जा रहा है, जो सब्जियों को नुकसान पहुंचाता है. इससे बचने के लिए:
  • संक्रमित फलों को तोड़कर गड्ढे में दबा दें.
  • खेत में गुड़ या चीनी के साथ कीटनाशी मिलाकर छोटे बर्तनों में रखें. इससे फल मक्खी आकर्षित होकर खत्म हो जाएगी.

मधुमक्खियों को न मारें, खेती में सहायक हैं

एडवाइजरी में यह भी बताया गया है कि मधुमक्खियां फसल के परागण में मदद करती हैं. इसलिए इन्हें नुकसान न पहुंचाएं, बल्कि इनका संरक्षण करें. हो सके तो मधुमक्खी पालन को अपनाएं.

सतर्क किसान ही बचा सकता है अपनी फसल

बदलते मौसम और कीटों के बढ़ते खतरे को देखते हुए समय रहते निगरानी और वैज्ञानिक उपायों को अपनाना बेहद जरूरी है. खासकर धान की फसल को भूरा फुदका से बचाने के लिए हर किसान को पूसा या नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क बनाए रखना चाहिए.

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