काली मिर्च का आयात बढ़ने के बाद भी किसानों को फायदा, अब अगले साल उत्‍पादन को लेकर बढ़ी चिंता

काली मिर्च का आयात बढ़ने के बाद भी किसानों को फायदा, अब अगले साल उत्‍पादन को लेकर बढ़ी चिंता

देश में इस साल तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में नए क्षेत्रों में काली मिर्च की खेती से उत्‍पादन बढ़ा है. वहीं, केरल के मौजूदा रकबे में भी उत्‍पादन हुआ है. वहीं बाहर से आयात के बावजूद किसानों को अच्‍छा दाम मिला. वहीं, अब अगले साल को लेकर सेक्‍टर की चिंता बढ़ी हुई है.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 31, 2024,
  • Updated Dec 31, 2024, 11:55 AM IST

इस साल देश के काली मिर्च उगाने वाले किसानों में खुशी की लहर है, क्‍योंकि काली मिर्च के आयात के बावजूद कीमतों में बढ़ोतरी बनी हुई है. वहीं मजबूत मांग, बंपर उत्‍पादन से किसानों को फायदा हो रहा है. लेकिन, किसान अगले साल को लेकर चिंतित हैं, क्‍योंकि मौसम के कारण उत्‍पादन प्रभावित होने की आशंका है. किसानों के मुताबि‍क, पिछले साल काली मिर्च का 80 से 85 हजार टन उत्‍पादन हुआ था, जबकि‍ इस साल 1 लाख टन से ज्‍यादा उत्‍पादन होने के साथ ही कीमत भी अच्‍छी मिली.

इस साल तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में नए क्षेत्रों में काली मिर्च की खेती से उत्‍पादन का दायरा बढ़ा और केरल के मौजूदा रकबे में भी उत्‍पादन हुआ, जिसके चलते उत्‍पादन में बढ़ोतरी दर्ज की गई. यूपीएएसआई मसाला समिति के अध्यक्ष निशांत आर. गुर्जर के मुताबिक, काली मिर्च की कीमतें वर्तमान में गारबल्ड के लिए 665 रुपये प्रति किलोग्राम और अनगारबल्ड के लिए 645 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास चल रही हैं.

1 लाख 30 हजार टन के पार पहुंची घरेलू खपत

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन पेपर एंड स्‍पाइस ट्रेड एसोशिएन (आईपीएसटीए) के निदेशक किशोर शामजी ने बताया कि अभी सेक्‍टर का पिछले साल का 51,000 टन काली मिर्च का स्टॉक भी शेष रखा है और घरेलू खपत में भी काफी उछाल देखने को मिला है. इस साल घरेलू मांग बढ़कर 1,31,000 टन तक पहुंच गई है, जिसमें रेडीमेड मसाला निर्माताओं में काली मिर्च की बढ़ती मांग का बड़ा योगदान है.

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40,000 टन काली मिर्च बाहर से आयात की गई

किशोर शामजी ने बताया कि इस साल  काली मिर्च का अन्य देशों से लगभग 40,000 टन बढ़कर आयात किया गया है, जिससे यहां के किसानों को परेशानी उठानी पड़ रही है. दरअसल, आयात की गई काली मिर्च का ज्‍यादातर हिस्‍सा देश के बाहर के बाजारों में घरेलू कीमतों से कम दर पर बेचा जाता है.

2025 में 30 प्रतिशत तक उत्‍पादन घटने का अनुमान

आईपीएसटीए के निदेशक किशोर शामजी के अनुसार, 2025 में काली मिर्च सेक्‍टर को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, अनियमित जलवायु और अनियमित बारिश के कारण उत्पादन पर बुरा असर पड़ने की आशंका है. अनुमान के मुता‍बिक 25-30 प्रतिशत उत्‍पादन कम हो सकता है.

ऐसा होने पर देश में काली मिर्च का आयात और बढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है, ताकि उद्याेग की जरूरत पूरी की जा सके. मालूम हो कि वियतनाम, भारत, श्रीलंका, इंडोनेशिया और ब्राजील जैसे लगभग सभी देशों ने 2025 के फसल वर्ष को लेकर पहले ही उत्‍पादन कम होने की चिंता जताई है. 

वैश्‍विक उत्‍पादन 10 हजार टन घटा!

यूपीएएसआई के महासचिव आर संजीत ने कहा कि आईपीसी के मुताबिक, 2024 के दौरान काली मिर्च का वैश्विक उत्पादन 533,000 टन रहने का अनुमान है. यह पिछले साल के मुकाबले 10,000 टन कम है. यह गिरावट मुख्य रूप से वियतनाम के कारण हुई, जहां उत्‍पादन 20,000 टन तक घट गया.

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