पहाड़ों पर हुई भारी बारिश से बिजनौर में किसानों की गन्ना की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है. जिले में बाढ़ से प्रभावित गन्ना क्षेत्रफल के लिए कराए गए सर्वे के मुताबिक ढाई हजार हेक्टर में गन्ने की फसल नष्ट हो चुकी है. किसानों को गन्ने की उपज में 20% कमी होने का भी अनुमान है. जिले में छोटी नदियों में भी इस बार इतना पानी आया कि इससे नदी किनारे खेत की फसल पूरी तरीके से बर्बाद हो गई.
बिजनौर जनपद में गन्ने की उपज पिछले साल के अपेक्षा इस बार 20 फ़ीसदी तक गिरावट के आसार है. किसानों के अनुसार इस बार गन्ने की फसल में लाल सड़न रोग की बीमारी लग चुकी हैं जिसको लेकर किसान चिंतित है.
यूपी से सटे हुए उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के लक्सर ,खानपुर ,मांगरोल में आई बाढ़ से अब तक 53000 हेक्टेयर से ज्यादा की फसल नष्ट हो चुकी है. इस बार जिले में 91 हजार हेक्टेयर में खरीफ की फसल बोई गई थी. जिले में क्षतिग्रस्त फसलों में सबसे ज्यादा गन्ना, धान और सब्जियां शामिल है. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किसानों के ऋण वसूली पर रोक लगा दी है. वहीं किसानों को आपदा राहत कोष से सहायता प्रदान करने पर भी तेजी से काम हो रहा है.
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना मुख्य नगदी फसल के रूप में किसानों के द्वारा बोई जाती है. इस बार गन्ने की फसल पर नदियों में आई हुई बाढ़ से काफी नुकसान पहुंचा है. वहीं अब किसानों को बाढ़ से राहत मिली तो गन्ने की फसल में लाल सड़न लोग से किसान मुश्किल में दिखाई दे रहे हैं. हापुड़ जिले में गन्ने की फसल में तेजी से लाल सड़न रोग फैल रहा है जिससे फसल सूख रही है. कृषि वैज्ञानिक डॉ कुशल वीर सिंह ने बताया कि लाल सड़न रोग गन्ने के लिए खतरनाक बीमारी है. इस रोग से फसल पूरी तरीके से नष्ट हो जाती है. वर्तमान में को-238 प्रजाति इस रोग से ग्रसित हो चुकी है. इस रोग से प्रभावित करने की फसल की पत्तियां पीली पड़ने लगती है जिसे पूरा गन्ना सूख जाता है. इस बीमारी के लगने के बाद गाने के तने पर लाल रंग दिखाई देता है और बीच में सफेद धब्बे आ जाते हैं. तने को छूने पर अल्कोहल जैसी गंध भी आती है. कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि गन्ने में लगने वाली लाल सड़न रोग एक फफूदी जनक बीमारी है. यह दो तरह से फैलती है. सबसे पहले गन्ने के बीज से फैलती है और दूसरा जमीन से.
गन्ने के किसान को सलाह दी जाती है कि वे समय रहते रोग-रोधी प्रजातियों की बुआई करें. यदि 238 प्रजाति की बुवाई कर रखी है, तो उसमें रोग लगने से पहले ही उसका उपचार करें. ट्राईकोडरमा का प्रयोग करें. फंफूदी नाशक बीमारी से बीज उपचारित करें. यदि खड़ी फसल में कोई रोग दिखाई दे रहा है, तो उसे जड़ से उखाड़कर नष्ट कर दें तथा उखाड़े गए स्थान पर 2 से 3 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर डालकर पानी डाल दें.