किसान मजदूर मोर्चा (भारत) द्वारा घोषित राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के तहत, पूरे पंजाब में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए. इस दौरान राज्य भर के अंदर 19 जिलों में 112 जगहों पर केंद्र और पंजाब सरकार के पुतले फूंके गए. ये प्रदर्शन विभिन्न किसान और मजदूर संगठनों के नेतृत्व में आयोजित किए गए थे. किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने पुतला दहन के बाद अमृतसर के गोल्डन गेट पर एक विशाल सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मोर्चा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए तत्काल मुआवजे की मांग करता है. क्षतिग्रस्त धान की फसलों के लिए 70,000 रुपये प्रति एकड़ और उस राशि का 10% खेतिहर मजदूरों को भुगतान किया जाए.
अपनी मांगों में पंढेर ने पशुधन और मुर्गीपालन के नुकसान के लिए 100% मुआवजा, सभी श्रेणियों के क्षतिग्रस्त घरों की पूर्ण मरम्मत और गेहूं की बुवाई के लिए डीजल, उर्वरक और बीज की मुफ्त आपूर्ति की भी मांग की. पंधेर ने मांग की कि मुआवज़े की सीमा 5 एकड़ तक सीमित की जाए और सभी प्रभावित किसानों को पूरी राहत मिले. उन्होंने पंजाब के बांधों से पानी छोड़ने के कुप्रबंधन की न्यायिक जांच और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नदी के किनारों को नहर जैसी संरचनाओं में बदलकर स्थायी तटबंध बनाने की भी मांग की.
पंढेर ने कहा कि यह "दुखद" है कि किसानों पर धान की पराली जलाने के लिए ₹30,000 का जुर्माना लगाया जा रहा है, जबकि उसी फसल के नष्ट होने पर उन्हें केवल ₹20,000 का मुआवजा मिलता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि किसान अपनी मर्ज़ी से पराली नहीं जलाते - सरकार को या तो पराली प्रबंधन के उचित प्रबंध करने चाहिए या फिर ₹200 प्रति क्विंटल या ₹6,000 प्रति एकड़ का भुगतान करना चाहिए ताकि किसान खुद पराली का प्रबंधन कर सकें.
किसान मजदूर मोर्चा ने पराली जलाने के लिए किसानों के खिलाफ एफआईआर, जुर्माना और रेड एंट्री दर्ज करने की प्रक्रिया को भी बंद करने की मांग की. पंढेर ने कहा कि 94% प्रदूषण कॉर्पोरेट क्षेत्र से आता है, लेकिन साल भर ऑक्सीजन उत्पादन करने वाले किसान समुदाय को ही अपराधी बनाया जा रहा है. किसान नेता पंढेर ने चेतावनी दी कि अगर सरकार किसानों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई बंद नहीं करती है, तो अधिकारियों का बड़े पैमाने पर घेराव किया जाएगा. अन्य मांगों में धान खरीद के दौरान कोई कटौती न करना, गन्ने का बकाया भुगतान और कपास व बासमती की फसलों के उचित मूल्य सुनिश्चित करना शामिल था.
खराब मौसम के बावजूद, सभी 112 नियोजित स्थलों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किये गये. विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वालों में जसविंदर सिंह लोंगोवाल (बीकेयू एकता आजाद), बलदेव सिंह जीरा (बीकेयू क्रांतिकारी), सुखविंदर सिंह सभरा (किसान मजदूर संघर्ष समिति), मंजीत सिंह राय (बीकेयू दोआबा), ओंकार सिंह भंगाला (किसान मजदूर हितकारी सभा), दिलबाग सिंह गिल (भारतीय किसान मजदूर यूनियन) और जंग सिंह भटेरी (बीकेयू भटेरी) शामिल थे. किसान मजदूर मोर्चा पंजाब के बैनर तले हजारों किसानों, मजदूरों और महिलाओं ने प्रदर्शन में भाग लिया.
गौरतलब है कि पंजाब में हाल ही में आई बाढ़ से 3 लाख की आबादी प्रभावित हुई है और 4 लाख एकड़ की फसलें नष्ट हो गई है, जिसमें 59 लोगों की जान चली गई है, जिसके लिए केंद्र सरकार द्वारा 1600 करोड़ रुपये की अंतरिम राहत दी गई है और प्रधानमंत्री ने पंजाब का दौरा किया है.
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