भारत में General election लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व है. करोड़पति से लेकर खाकपति और साधु से लेकर शैतान तक, भांति भांति के उम्मीदवार चुनाव के इस रंगमंच पर अहम किरदार निभा रहे हैं. चुनाव सुधार पर शोध से जुड़ी संस्था ADR ने अब तक के सभी 7 चरण में चुनावी दंगल के दावेदारों की पृष्ठभूमि का अध्ययन करते हुए अपनी रिपोर्ट जारी की है. इससे चुनाव में हर सीट के लिए पेश की गई कड़ी चुनौती से लेकर चुनाव के आदर्शों की सच्चाई भी उजागर हुई है. इसका अंदाजा इसी बात लगाया जा सकता है कि 18वीं लोकसभा के गठन के लिए 543 सीटों पर हो रहे चुनाव में कुल 8360 उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं. यानी हर सीट के लिए औसतन 15 दावेदार चुनाव को Tough Fight में तब्दील कर रहे हैं. वहीं इस चुनाव बाहुबलियों की बहुलता भी चुनाव आयोग की चिंता बढ़ा रही है.
Electoral reforms के संदर्भ में पहला मुद्दा राजनीति को अपराधियों से मुक्त करना है. इसके लिए Election Commission द्वारा निर्वाचन प्रक्रिया से आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को दूर करने के निरंतर उपाय किए जा रहे हैं. ADR की रिपोर्ट के अनुसार इस चुनाव में भी लगभग 20 फीसदी उम्मीदवारों ने अपने हलफनामे में Criminal Cases दर्ज होने का ज़िक्र किया है.
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निर्वाचन प्रक्रिया को अपराधियों से मुक्त करने की चुनाव आयोग की कवायद को ठेस पहुंचाने में राजनीतिक दलों की भी अग्रणी भूमिका है. रिपोर्ट के अनुसार इस चुनाव में सर्वाधिक आपराधिक मुकदमों का सामना केरल की वायनाड सीट पर भाजपा उम्मीदवार के सुरेंद्रन कर रहे हैं. कांग्रेस के नेता राहुल को वायनाड में चुनौती दे रहे सुरेंद्रन के हलफनामे के मुताबिक उनके विरुद्ध कुल 243 आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें 139 मामले गंभीर आपराधिक किस्म के हैं.
Lok Sabha Election 2024 में सर्वाधिक Criminal Cases का सामना कर रहे 5 बड़े बाहुबली उम्मीदवारों में 3 केरल से हैं. इनमें दो भाजपा के (वायनाड से के सुरेंद्रन और एर्णाकुलम से डॉ केएस राधाकृष्णन) और एक कांग्रेस के इडुक्की से एड. डीन कुरियाकोस हैं.
इस बार के चुनाव में आपराधिक मुकदमों से लैस 20 फीसदी उम्मीदवारों में 14 फीसदी के विरुद्ध गंभीर किस्म के आपराधिक मामले दर्ज हैं. वहीं, 2009 के चुनाव में गंभीर किस्म के आपराधिक मुकदमों का सामना कर रहे उम्मीदवारों का प्रतिशत महज 8 था.
इस चुनाव में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले प्रत्याशी उतारने में राष्ट्रीय दलों की भूमिका 33 प्रतिशत पाई गई है. वहीं, क्षेत्रीय दलों ने लगभग आधे उम्मीदवार (47 फीसदी) आपराधिक पृष्ठभूमि वाले चुनाव के मैदान में उतारे हैं. इनमें 32 फीसदी के विरुद्ध Serious Criminal Cases शामिल हैं. इस मामले में निर्दलीय उम्मीदवार भी पीछे नहीं हैं. आपराधिक मुकदमों का सामना कर रहे निर्दलीय उम्मीदवारों का प्रतिशत 14 है. इनमें 98 उम्मीदवार ऐसे भी हैं, जिन्हें किसी आपराधिक मामले में दोषी ठहराया जा चुका है.
चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक के 7 चरण के चुनाव में 543 सीटों पर कुल 8360 उम्मीदवारों ने दावेदारी पेश की है. एडीआर ने इनमें से 8337 उम्मीदवारों द्वारा दायर हलफनामे का विश्लेषण कर अपनी रिपोर्ट जारी की है. इसमें उम्मीदवारों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पृष्ठभूमि के अलावा चुनाव में शामिल राजनीतिक दलों का भी विश्लेषण शामिल किया गया है.
इसके अनुसार लोकसभा चुनाव लड़ रहे 1333 उम्मीदवार, National Political Party के अधिकृत प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं. इनके अलावा 532 उम्मीदवार राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों से ताल्लुक रखते हैं और 2580 उम्मीदवार गैर पंजीकृत राजनीतिक दलों से हैं. वहीं, 3915 Independent Candidate भी चुनावी दंगल में जमे हुए हैं.
रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों की भागीदारी लगातार बढ़ रही है. इनमें 2024 के चुनाव में 751 पार्टियों ने चुनाव में शिरकत की है. इससे पहले 2019 के चुनाव में 677 पार्टियां चुनाव के मैदान में थी, 2014 में इनकी संख्या 464 थी और 2009 में 368 राजनीतिक दलों ने चुनाव में हिस्सा लिया था. स्पष्ट है कि 2009 से लेकर अब तक राजनीतिक दलों की संख्या में 104 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.
चुनाव के दौरान उम्मीदवारों के बाहुबल के साथ धनबल भी सबसे ज्यादा चर्चा में रहता है. रिपोर्ट के अनुसार इस चुनाव में 2572 उम्मीदवार (31 प्रतिशत) करोड़पति हैं. चुनावी राजनीति में धनबल का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस चुनाव में शामिल हर उम्मीदवार की औसत संपत्ति 6.23 करोड़ रुपये है.
चुनाव में धनबल का दबदबा रोकने के लिए चुनाव आयोग की तमाम कोशिशों के बावजूद करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या लगातार बढ़ रही है. रिपोर्ट के मुताबिक 2019 के चुनाव में करोड़पति उम्मीदवारों की भागीदारी 29 प्रतिशत थी, जो 2014 में 27 फीसदी और 2009 में महज 16 फीसदी थी. स्पष्ट है कि चुनाव में धनबल लगभग दो गुना बढ़ गया है.
करोड़पति उम्मीदवारों को टिकट देने में पार्टियों की भूमिका की अगर बात की जाए तो इस मामले में सत्तारूढ़ भाजपा सबसे आगे है. इस चुनाव में भाजपा के 92 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति हैं. वहीं, कांग्रेस के 89 प्रतिशत, माकपा के 52 प्रतिशत और बसपा के 33 प्रतिशत उम्मीदवार करोड़पति हैं. इतना ही नहीं 17 फीसदी निर्दलीय प्रत्याशी भी करोड़पति हैं. इस चुनाव के सबसे धनी उम्मीदवार TDP के डॉ चंद्रशेखर पेम्मासानी हैं. आंध्र प्रदेश की गुंटूर सीट से चुनाव लड़ रहे पेम्मासानी ने अपनी चल अचल संपत्ति की कीमत 5705 करोड़ रुपये बताई है.
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चुनाव में शामिल 31 फीसदी करोड़पति उम्मीदवारों के साथ चुनावी रण में खाकपति भी धनबल के आगे मुस्तैदी से डटे हैं. रिपोर्ट के अनुसार चुनाव के मैदान 32 फीसदी उम्मीदवार ऐसे भी हैं जिनके पास 10 लाख रुपये से कम कीमत की चल अचल संपत्ति है. वहीं, 46 खाकपति उम्मीदवारों ने अपनी संपत्ति शून्य बताई है.
इसके अलावा 767 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनके पास 1 लाख रुपये से भी कम कीमत की चल संपत्ति है. शून्य संपदा वाले उम्मीदवारों से इतर सबसे कम संपदा के मालिक मास्टर रणधीर सिंह हैं. हरियाणा की रोहतक सीट से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में डटे मास्टर रणधीर के पास महज 2 रुपये हैं.
इसके अलावा आंध्र प्रदेश की बापतिया सीट से निर्दलीय उम्मीदवार कट्टा आनंद बाबू के पास महज 7 रुपये चल संपत्ति के रूप में हैं. यह देखना दिलचस्प होगा कि इनमें कितने खाकपति चुनाव मैदान में बाजी मार कर करोड़पतियों को पटखनी देने में कामयाब हो पाते हैं.