World's First: दुनिया में पहली बार जीन एडिटिंग से तैयार किए गए ताकतवर घोड़े, CRISPR तकनीक से बदला गया DNA

World's First: दुनिया में पहली बार जीन एडिटिंग से तैयार किए गए ताकतवर घोड़े, CRISPR तकनीक से बदला गया DNA

CRISPR–Cas9 एक आधुनिक जीन एडिटिंग तकनीक है, जिससे DNA को बहुत ही सटीक तरीके से काटकर उसमें जरूरी बदलाव किए जाते हैं. पहले इस तकनीक का उपयोग केवल प्रयोगशालाओं और रिसर्च तक सीमित था, लेकिन अब इसका इस्तेमाल पशुओं के जीनोम सुधार के लिए भी बड़े पैमाने पर हो रहा है.

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अपूर्वा राय
  • नई दिल्ली ,
  • Sep 08, 2025,
  • Updated Sep 08, 2025, 12:28 PM IST

    अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में वैज्ञानिकों ने पहली बार घोड़ों के DNA को CRISPR–Cas9 तकनीक की मदद से एडिट किया है. ये दुनिया के पहले CRISPR-एडिटेड घोड़े हैं, जिनके जीन में बदलाव कर उन्हें और ज्यादा ताकतवर और तेज बनाने की कोशिश की गई है. विज्ञान की यह सफलता पशु चिकित्सा और जैविक अनुसंधान की दुनिया में एक नई क्रांति की शुरुआत मानी जा रही है.

    क्या है CRISPR टेक्नोलॉजी?
    CRISPR–Cas9 एक आधुनिक जीन एडिटिंग तकनीक है, जिससे DNA को बहुत ही सटीक तरीके से काटकर उसमें जरूरी बदलाव किए जाते हैं. पहले इस तकनीक का उपयोग केवल प्रयोगशालाओं और रिसर्च तक सीमित था, लेकिन अब इसका इस्तेमाल पशुओं के जीनोम सुधार के लिए भी बड़े पैमाने पर हो रहा है.

    इन घोड़ों के DNA में किया गया खास बदलाव
    अर्जेंटीना के Kheiron Biotech संस्थान ने 10 महीने पहले ऐसे पांच घोड़ों को जन्म दिया, जो बाहर से आम घोड़े जैसे दिखते हैं, लेकिन अंदर से पूरी तरह एडवांस हैं. इनके DNA में myostatin नामक जीन को एडिट किया गया है, जो मांसपेशियों के विकास को नियंत्रित करता है. इस बदलाव के जरिए घोड़ों की स्पीड और स्टैमिना बढ़ाने की कोशिश की गई है.

    ये घोड़े दरअसल पुरस्कार विजेता पोलो घोड़े 'Polo Pureza' के क्लोन हैं. वैज्ञानिकों ने सबसे पहले भ्रूण कोशिकाओं (fibroblasts) में CRISPR से जीन में बदलाव किया और फिर उन भ्रूणों को मादा घोड़ियों में प्रत्यारोपित कर दिया.

    CRISPR घोड़ों को लेकर क्यों मचा है विवाद?
    जहां एक ओर वैज्ञानिक इस उपलब्धि को भविष्य की एक बड़ी कामयाबी मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अर्जेंटीना में पोलो समुदाय में इस पर विवाद गहरा गया है. पोलो अर्जेंटीना का एक बेहद लोकप्रिय खेल है, और वहां के खिलाड़ी और ब्रीडर मानते हैं कि परंपरागत ब्रीडिंग तकनीकों को पीछे छोड़ने से परंपरा और रोज़गार पर असर पड़ेगा.

    इसी को ध्यान में रखते हुए Argentine Polo Association और International Federation for Equestrian Sports ने जीन-संपादित घोड़ों को खेल में शामिल करने पर रोक लगा दी है. University of Minnesota की वैज्ञानिक डॉ. मोल्ली मैकक्यू का कहना है कि यह दिखाना बेहद ज़रूरी है कि CRISPR घोड़ों पर भी काम करता है. उनके अनुसार, ब्रीडिंग सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि विज्ञान और कला का मेल है.

    CRISPR टेक्नोलॉजी से कृषि में क्रांति
    घोड़ों के बाद अब गाय, सूअर और भेड़ जैसे जानवरों में भी CRISPR तकनीक का प्रयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है. इसका मकसद मांस, दूध और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना है.

    Acceligen नामक कंपनी ने ‘PRLR-SLICK’ गायों को तैयार किया है जिनके बाल छोटे और चिकने होते हैं, जिससे वे ज्यादा गर्मी सहन कर पाती हैं. यह जलवायु परिवर्तन के अनुकूल एक समाधान है. अमेरिका की FDA ने 2022 में इन्हें मानव उपभोग के लिए मंजूरी भी दे दी.

    भारत में बनी  CRISPR से एडिट भेड़
    भारत में वैज्ञानिकों ने हाल ही में CRISPR से एडिट की गई पहली भेड़ बनाई है. इसमें भी myostatin जीन को बदला गया है ताकि मांस उत्पादन में वृद्धि हो सके. वहीं ब्रिटेन की कंपनी Genus ने ऐसे सूअर तैयार किए हैं जो PRRS वायरस से सुरक्षित हैं. इसके लिए CD163 जीन को CRISPR से बदला गया है. ये सूअर 2026 तक अमेरिकी बाजार में उपलब्ध हो सकते हैं.

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