असम से आए केले के पत्तों से बने खास तरह के आसन, प्रयागराज महाकुंभ में बनेगा आकर्षण का केंद्र

असम से आए केले के पत्तों से बने खास तरह के आसन, प्रयागराज महाकुंभ में बनेगा आकर्षण का केंद्र

Mahakumbh 2025: केले के बने आसन के बारे में स्वामी अधोक्षजानंद जी ने बताया कि केले के पेड़ को काटकर और खोलकर सुखाया जाता है. इसके बाद इसे जोड़कर तैयार किया जाता है. उन्होंने बताया कि पहली बार महाकुंभ में इस तरह के आसन लाए गए हैं. नॉर्थ ईस्ट के अलावा अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में यहां नारियल और सुपारी लाई जा रही है.

केले के आसन महाकुम्भ का बनेंगे आकर्षण केले के आसन महाकुम्भ का बनेंगे आकर्षण
नवीन लाल सूरी
  • LUCKNOW,
  • Jan 01, 2025,
  • Updated Jan 01, 2025, 12:48 PM IST

प्रयागराज में महाकुंभ का महाआयोजन अब बस चंद दिन दूर है और महाकुम्भनगर में पूज्य संतों का आगमन शुरू हो चुका है. महाकुंभ के लिए योगी सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं से ये संत भी प्रभावित नजर आ रहे हैं. इन व्यवस्थाओं को लेकर गोवर्धनमठ पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ असम से केले के पत्तों से बने खास तरह के पूजा के आसन को लेकर चर्चाओं में हैं. स्वामी अधोक्षजानंद के शिविर में असम से आए केले के पत्तों के बने आसन महाकुंभ का प्रमुख आकर्षण बनने जा रहे हैं. सेक्टर 18 में स्थित शिविर में असम से 151 आसन आ चुके हैं. इसके साथ ही, नॉर्थ ईस्ट से बड़ी संख्या में नारियल और कच्ची सुपारी (तांबुल) भी लाई गई है. यह सभी चीजें महाकुम्भ के दौरान यज्ञशाला में हवन में उपयोग में लाई जाएंगी.

जानिए कैसे बनाया जाता है आसन

केले के बने आसन के बारे में स्वामी अधोक्षजानंद जी ने बताया कि केले के पेड़ को काटकर और खोलकर सुखाया जाता है. इसके बाद इसे जोड़कर तैयार किया जाता है. उन्होंने बताया कि पहली बार महाकुंभ में इस तरह के आसन लाए गए हैं. नॉर्थ ईस्ट के अलावा अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में यहां नारियल और सुपारी लाई जा रही है.

केले के छिलके में पाया जाता है प्राकृतिक फाइबर

स्वामी जी ने कहा कि सीएम योगी स्वयं एक साधु पुरुष हैं. वो यहां बार-बार आकर व्यवस्थाओं का अवलोकन कर रहे हैं, जिससे धर्मावलंबियों का हौसला और मनोबल प्रबल हो रहा है. ऋषि मुनियों और साधकों को साधना, यज्ञ और तप करने के लिए अनुकूल माहौल मिल रहा है. महाकुंभ में साधु संतों की पूजा और अनुष्ठान का पुण्य राज्य और स्वयं उनको प्राप्त होगा.  उन्होंने कहा कि केले या केले के तने का इस्तेमाल अलग-अलग तरह से किया जाता है. केले के तने और उनके छिलके में प्राकृतिक फाइबर पाया जाता है. असम के कई जिलों में केले की खेती बड़े पैमाने पर होती है.

10 साल में केले का निर्यात करीब 10 गुना बढ़ा

केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय से जारी आंकड़ों के अनुसार 10 साल में केले का निर्यात करीब दस गुना बढ़ा है। 2013 में भारत से कुल 2.7 करोड़ अमेरिकी डॉलर केले का निर्यात हुआ था. वर्ष 2023-24 में यह बढ़कर 25.14 करोड़ अमेरिकी डॉलर हो गया. जिस तरह से वैश्विक स्तर पर हेल्दी फूड की मांग बढ़ी है उसके मद्देनजर अभी इसके और बढ़ने की संभावना है. इन संभावनाओं को भारत के केला उत्पादक किसानों को अधिकतम लाभ मिले इसके लिए मोदी सरकार भी प्रयासरत है.

भारत विश्व का सबसे बड़ा केला उत्पादक देश

एपीडा के आंकड़ों के मुताबिक भारत विश्व का सबसे बड़ा केला उत्पादक है। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान से मिले आंकड़ों के मुताबिक भारत में लगभग 3.5 करोड़ मीट्रिक टन के उत्पादन के साथ लगभग 9,61,000 हेक्टेयर भूमि में इसकी खेती की जाती है. एपीडा के अनुसार वैश्विक उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी है. पर, करीब 16 अरब के वैश्विक निर्यात में भारत की भागीदारी हिस्सेदारी सिर्फ एक फीसदी है.

 

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