इन 7 कृषि जिंसों के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध जारी, आखिर SEBI ने क्यों लिया यह फैसला

इन 7 कृषि जिंसों के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध जारी, आखिर SEBI ने क्यों लिया यह फैसला

तिलहन और प्रमुख जिसों के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध के पीछे सरकार की मंशा महंगाई दर को कम रखने की है. हाल के दिनों में देखें तो तिलहन में खास तौर पर महंगाई देखी जा रही है. कई महीने से सभी खाद्य तेलों के दाम आसमान पर चढ़े हुए हैं. पूरी खाद्य महंगाई में सबसे बड़ा रोल खाद्य तेलों के बढ़े रेट का है.

क‍िसान तक
  • Noida,
  • Mar 26, 2025,
  • Updated Mar 26, 2025, 4:56 PM IST

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने 7 कृषि जिसों पर वायदा कारोबार की मियाद को 31 मार्च 2026 तक के लिए बढ़ा दिया है. इन जिंसों में गैर बासमती धान, गेहूं, चना, मूंग, सरसों और इसके वैल्यू एडेड प्रोडक्ट (तेल और खल), सोयाबीन और इसके वैल्यू एडेड प्रोडक्ट (सोया तेल और डीओसी आदि) और क्रूड पाम तेल (CPO) शामिल हैं. इन जिंसों पर दिसंबर 2021 से रोक चल रही है जिसे समय-समय पर बढ़ाया जाता है. एक दिन पहले जारी सर्कुलर के मुताबिक इन जिंसों के वायदा कारोबार पर अब 31 दिसंबर तक रोक रहेगी.

19 दिसंबर 2021 को सेबी ने एक सर्कुलर के जरिये कमोडिटी डेरिवेटिव में कारोबार करने वाले सभी स्टॉक एक्सचेंजों को 7 कृषि जिंसों और उसके प्रोडक्ट में 20 दिसंबर 2022 तक वायदा कारोबार को रोकने का आदेश दिया था. बाद में इस अवधि को 20 दिसंबर 2023, 20 दिसंबर 2024, 31 दिसंबर 2025 और फिर 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दिया गया.

व्यापारियों की उम्मीद को झटका

इस अहम फैसले से पहले तिलहन और तेल उद्योग को उम्मीद थी कि सेबी की रोक में सोयाबीन और सरसों को बाहर किया जाएगा क्योंकि इनकी कीमतें नीचे चल रही हैं. सोयाबीन की कीमतें एमएसपी से भी नीचे हैं जिससे किसानों में रोष है. लेकिन भाव नीचे जाने के बावजूद सेबी ने वायदा कारोबार की लिस्ट में सोयाबीन और सरसों को शामिल किया है. इससे तिलहन उद्योग को भारी निराशा हाथ लगी है. इस उद्योग ने पहले किसानों को हवाला देते हुए कहा था कि वायदा कारोबार पर रोक के चलते तिलहन किसानों को नुकसान हो रहा है.

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सेबी ने क्यों बढ़ाया प्रतिबंध?

हालांकि तिलहन और प्रमुख जिसों के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध के पीछे सरकार की मंशा महंगाई दर को कम रखने की है. हाल के दिनों में देखें तो तिलहन में खास तौर पर महंगाई देखी जा रही है. कई महीने से सभी खाद्य तेलों के दाम आसमान पर चढ़े हुए हैं. पूरी खाद्य महंगाई में सबसे बड़ा रोल खाद्य तेलों के बढ़े रेट का है. सरसों तेल अभी भी 150 रुपये लीटर के आसपास बना हुआ है. इसी तरह सोयाबीन के तेल के दाम में भी पहले से इजाफा है. इसी महंगाई को देखते हुए सेबी ने अगले एक साल के लिए 7 कृषि जिंसों के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध को बढ़ाया है.

कैसे घटेंगे तेलों के दाम?

खाद्य तेलों की महंगाई को देखते हुए इस क्षेत्र के व्यापारी सरकार से मांग कर रहे हैं कि सोयाबीन और सरसों को वायदा कारोबार प्रतिबंध से बाहर किया जाए ताकि इसकी महंगाई कम करने में मदद मिले. व्यापारियों का कहना है कि वायदा कारोबार पर प्रतिबंध के चलते खाद्य तेलों के दाम में उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है. व्यापारियों का कहना है कि सोयाबीन, रेपसीड और उनके डेरिवेटिव में वायदा कारोबार फिर से शुरू करने से तेलों के दाम को नीचे लाने में मदद मिलेगी.

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