अमेरिका पर इतना शोर, GST पर खामोशी...सरकार किसानों पर से कब हटाएगी खुद लगाया गया 'टैरिफ'

अमेरिका पर इतना शोर, GST पर खामोशी...सरकार किसानों पर से कब हटाएगी खुद लगाया गया 'टैरिफ'

किसानों के कल्याण की कसमें खाने वाले नेता ऐसा माहौल बना रहे हैं कि भारत के किसानों को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने सबसे बड़ी कुर्बानी दी है. उसने टैरिफ झेलना मंजूर किया लेकिन किसानों और डेयरी सेक्टर के हितों से समझौता नहीं किया. लेकिन यही वो लोग हैं जो यह भूल रहे हैं कि खुद भारत सरकार जीएसटी के तौर पर किसानों से भारी-भरकम 'टैरिफ' वसूल रही है.

India US Tariff TensionIndia US Tariff Tension
ओम प्रकाश
  • New Delhi ,
  • Aug 16, 2025,
  • Updated Aug 16, 2025, 5:52 PM IST

अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए टैरिफ का मुद्दा चर्चा में बना हुआ है. अमेरिका और भारत के बीच इस साल की शुरुआत से एक ट्रेड डील पर बात चल रही थी. लेकिन वह डील हो नहीं सकी और भारत को अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की तरफ से रेसिप्रोकल टैरिफ झेलना पड़ा. दरअसल, इस ट्रेड डील में कृषि सबसे बड़ी अड़चन थी और इसके नहीं होने के बाद से ही हर तरफ बस किसानों के हितों का शोर है. बाकायदा कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसी मुद्दे को लेकर पूसा में एक कार्यक्रम किया. जिसमें सरकार समर्थक किसान नेताओं ने  अमेरिका की परवाह न करते हुए किसानों के हितों को लेकर लिए गए स्टैंड के लिए सरकार की तारीफों के पुल बांधे. लेकिन इन नेताओं और कृषि मंत्री ने उस 'टैरिफ' पर कोई बात नहीं की, जो भारत सरकार ने खुद किसानों पर लगाई हुई है.

इस समय केंद्र सरकार की तरफ से किसानों से खाद पर 5 फीसदी, ट्रैक्टर पर 12 और कीटनाशकों पर 18 प्रतिशत जीएसटी वसूला जा रहा है. कीटनाशकों पर 18 फीसदी जीएसटी लगने की वजह से बहुत से किसान बिल पर खरीद नहीं करते, जिससे नकली या दोयम दर्जे के एग्रो केमिकल को बढ़ावा मिलता है. वहीं कुछ कृषि उत्पादों पर समय-समय पर 20-40 फीसदी तक थोपी गई एक्सपोर्ट ड्यूटी भी किसानों को तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ती है. जो पैसा किसानों की जेब में जाना चाहिए वो भारी भरकम एक्सपोर्ट ड्यूटी के तौर पर सरकार वसूल लेती है. सवाल यह है कि आखिर सरकार खुद के थोपे गए टैक्स और तरह-तरह के प्रतिबंधों से किसानों को कब मुक्त करेगी? 

कब खत्म होगा सब्सिडी का भेदभाव?  

किसानों के कल्याण की कसमें खाने वाले नेता ऐसा माहौल बना रहे हैं कि भारत के किसानों को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने सबसे बड़ी कुर्बानी दी है. उसने टैरिफ झेलना मंजूर किया लेकिन किसानों और डेयरी सेक्टर के हितों से समझौता नहीं किया. लेकिन यही वो लोग हैं जो यह भूल रहे हैं कि खुद भारत सरकार जीएसटी के तौर पर किसानों से भारी-भरकम 'टैरिफ' वसूल रही है. 

यही नहीं, अमेरिका के किसानों के मुकाबले भारत में न सिर्फ खेत का आकार बहुत छोटा है बल्कि वहां और यहां की सब्सिडी में भी जमीन आसमान का अंतर है. भारत सरकार अपने किसानों को सालाना 300 यूएस डॉलर से कम सब्सिडी देती है, जबकि अमेरिका करीब 62 हजार डॉलर देता है. सरकारी सहयोग में इतना गैप रहेगा तो भारत के किसान कैसे अमेरिका के किसानों का मुकाबला करेंगे? इसलिए, अगर सही मायने में भारत के किसानों के साथ न्याय करना है तो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सरकार को इस मुद्दे पर भी बातचीत करनी होगी? क्योंकि अमेरिका सहित कई देश भारत में किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी नहीं बढ़ने देना चाहते.

क्या चाहता है अमेरिका?

अमेरिका अपने यहां का जेनेटिकली मोडिफाइड (GM) सोयाबीन, मक्का और नॉनवेज दूध भारत भेजना चाहता था, लेकिन ऐसा करने से किसान और पशुपालक बर्बाद हो जाते... इसलिए किसानों को बचाने के लिए सरकार ने अमेरिका की बात नहीं मानी, जिससे नाराज डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया. बहरहाल, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी कम करने की बात कही तो कृषि सेक्‍टर में भी हलचल बढ़ गई. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस सेक्‍टर में उपकरणों और कीटनाशकों
पर जीएसटी सबसे ज्‍यादा है जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है.

सीतारमण से की गई थी अपील 

दिसंबर 2024 में किसान संगठनों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट-पूर्व परामर्श के दौरान कृषि इनपुट पर जीएसटी में छूट की मांग की थी. किसान नेताओं ने कृषि उपकरण, पशु आहार, उर्वरक, बीज और दवाओं को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने की अपील वित्‍त मंत्री से की थी. 

लग्‍जरी वॉच से ज्‍यादा ट्रैक्‍टर पर जीएसटी 

विशेषज्ञों के अनुसार खाद्य सुरक्षा आज एक बड़ी मांग बन गई है और ऐसे में मशीनीकरण अब कोइ विकल्‍प नहीं बल्कि अनिवार्य आवश्‍यकता बन गया है. लेकिन खेती को आधुनिक बनाने के लिए जरूरी औजारों पर लग्‍जरी वाली चीजों से भी ज्यादा टैक्‍स लगाया जा रहा है. एसे में छोटे और सीमांत किसानों के साथ नाइंसाफी हो रही है. कृषि उपकरणों पर 12 प्रतिशत तक का टैक्‍स लगता है तो वहीं एक लग्‍जरी वॉच पर टैक्‍स सिर्फ 5 प्रतिशत है. हीरे के आभूषणों पर तो 3 फीसदी जीएसटी है.

एक छोटे या सीमांत किसान के लिए, जो 5 से 7 लाख रुपये की कीमत वाला कम हॉर्सपावर वाला ट्रैक्टर खरीदता है, इसका मतलब है कि उसे सिर्फ जीएसटी के रूप में 60,000 से 84,000 रुपये का एडवांस पेंमेंट करनी होगी. विशेषज्ञों का कहना है कि यह ज्‍यादातर किसानों के लिए बहुत ज़्यादा है. इससे उन इलाकों में मशीनीकरण की प्रक्रिया में देरी होती है जहां इसकी सबसे ज्‍यादा जरूरत है. 
क्‍या थी जीएसटी से पहले स्थिति 

क्‍या पीएम मोदी देंगे किसानों को तोहफा 

पीएम मोदी ने लाल किले से ऐलान किया है कि वो दिवाली पर नई जीएसटी दरों का तोहफा जनता को देने वाले हैं. सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार ने जीएसटी में बड़े बदलाव का प्रस्ताव दिया है. बताया जा रहा है कि सिर्फ दो तरह के टैक्स 5 परसेंट और 18 परसेंट का सुझाव दिया गया है. सूत्रों की मानें तो इस टैक्स बदलाव योजना में कृषि प्रोडक्ट, स्वास्थ्य से जुड़ी जीचें, हस्तशिल्प और बीमा पर टैक्स में कटौती शामिल है. सरकार का मानना है कि इस कदम से उपभोग बढ़ेगा और आर्थिक विकास को तेजी मिलेगी. फिलहाल कृषि उपकरणों पर जीएसटी कैसा होगा, यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन इतना तो तय है कि अगर यह कम होता है तो किसानों को बड़ी राहत मिल सकेगी. 

यह भी पढ़ें- 

MORE NEWS

Read more!