
भारत में गेहूं किसानों के लिए एक नई खुशखबरी आई है. HD 3226 नाम की नई गेहूं किस्म अब उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों में व्यावसायिक खेती के लिए मंजूर हो चुकी है. यह किस्म न केवल अधिक पैदावार देती है, बल्कि पीली, भूरी और काली रतुआ (रस्ट) जैसी बीमारियों से भी बहुत अधिक प्रतिरोधी है. यही वजह है कि यह किस्म किसानों की पहली पसंद बन गई है क्योंकि बीमारियों से दूर होने के साथ बंपर उपज देने वाली है.
यह किस्म पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर छोड़कर), पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी छोड़कर), जम्मू-कठुआ, हिमाचल प्रदेश (ऊना और पौंटा वैली) और उत्तराखंड के तराई क्षेत्र में सिंचित और समय पर बोए जाने की परिस्थितियों में उपयुक्त पाई गई है.
यह किस्म पीली, भूरी और काली रतुआ, कर्नाल बंट, पाउडरी मिल्ड्यू, लूज स्मट और फुट रॉट जैसी बीमारियों से काफी हद तक प्रतिरोधक है.
क्लोर्मेक्वाट क्लोराइड (Lihocin) 0.2% + टेबुकोनाजोल (Folicur 430 SC) 0.1% पहला नोड और फ्लैग लीफ स्टेज पर. इस स्प्रे के छिड़काव से किसान गेहूं की पैदावार बढ़ा सकते हैं. हालांकि स्प्रे की क्वालिटी और उसकी मात्रा पर खास ध्यान रखना होगा.
एक्सपर्ट कहते हैं कि HD 3226 गेहूं किस्म उन किसानों के लिए सबसे अच्छा विकल्प है जो उच्च पैदावार के साथ-साथ क्वालिटी और रोग प्रतिरोधकता चाहते हैं. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, यह किस्म आने वाले सीजन में उत्तर भारत में गेहूं की उत्पादकता और क्वालिटी दोनों को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है.