करेले को लेकर तो आपने बहुत बातें सुनी होंगी. लेकिन क्या आपने कभी राम करेले के बारे में सुना है. दरअसल, इसे पहाड़ी करेला, मीठा करेला, अमेरिका में कैहुआ और अग्रेंजी में स्टफिंग कुकुम्बर या स्लिपर गोर्ड के नाम से जाना जाता है. इसके फल के अंदर का भाग खोखला होता है तथा जिसमें कई काले बीज होते हैं. इसका स्वाद व गंध खीरे की तरह होती है. फलों के बीज निकालकर उसमें अन्य खाद्य पदार्थ, जैसे- चावल, पनीर, मछली आदि भरकर उन्हें पकाकर खाया जाता है. इसलिए इसे स्टफिंग कुकुम्बर भी कहते हैं. यह इतना गुणकारी है जिसकी वजह से इसे एक औषधीय सब्जी भी कह सकते हैं.
कृषि वैज्ञानिकों रेनू सनवाल, राहुल देव, जयदीप कुमार बिष्ट और लक्ष्मीकांत ने इसके बारे में पूरी जानकारी दी है. इनके अनुसार इस सब्जी का वानस्पतिक नाम साइक्लेन्थेरा पेडेटा है. इसकी नई टहनियों और पत्तियों को साग के रूप में भी खाया जा सकता है. राम करेले की लगभग 30 प्रजातियां हैं, जो गर्म-समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय अमेरिका (एंडीज क्षेत्र) से हैं.
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राम करेला के फल पोटेशियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस का एक अच्छा स्रोत हैं. इन फलों में खनिज पदार्थों की संरचना इस परिवार के दूसरी सब्जियों, जैसे तरबूज, ककड़ी और कद्दू के समान ही होती है. इसके फल पोटेशियम, (152 मि.ग्रा./100 ग्राम), कैल्शियम (14.0 मि.ग्रा./100 ग्राम), फॉस्फोरस (14.0 मि.ग्रा./100 ग्राम) और मैग्नीशियम (8.4 मि.ग्रा./100 ग्राम) से भरपूर होते हैं. राम करेले में सोडियम की मात्रा बहुत कम (0.91 मि.ग्रा./100 ग्राम) होती है. इसका उपयोग पोटेशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस और मैग्नीशियम की उच्च मात्रा को देखते हुए एक पोषण पूरक आहार के रूप में किया जा सकता है.
इसके फलों का उपयोग शरीर की सूजन, कॉलेस्ट्रॉल और शरीर में शुगर की मात्रा को कम करने में भी किया जाता है. इसके फल आमतौर पर उच्च एंटीऑक्सीडेंट देते हैं. इसके बीजों की चाय को उच्च रक्तचाप के उपचार के लिए किया जा सकता है. सूखे बीजों के पाउडर का उपयोग आंतों के उपचार में किया जाता है. अन्य पौधों के हिस्सों का उपयोग गैस्टोइंटेस्टाइनल समस्याओं, उच्च रक्तचाप, टॉन्सिलाइटिस और मधुमेह के इलाज के लिए किया जा सकता है.
इसमें फ्लेवोनोइड मौजूद होते हैं, इनमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं. यह पाया गया है कि इसके सेवन से हृदय रोग में कमी आती है. इसके फल का सब्जी के रूप में प्रयोग करने से पित्ताशय की प्रक्रिया सन्तुलित रहती है तथा यह शरीर में शुगर की मात्रा को भी नियंत्रित करता है. यह एक वार्षिक पौधा है जो आमतौर पर 4.5 मीटर तक बढ़ता है. इसके तने पतले और ऊपर जाने वाली प्रकृति के होते हैं. इसलिए यह अन्य वनस्पतियों पर चढ़ते हैं. इसकी पत्तियां 24 सेंमी तक लंबी हो सकती हैं, जो आकार में पंजाकार होती हैं.
राम करेले की खेती पूरे मैक्सिको, राम मध्य अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के पर्वतीय क्षेत्रों में छोटे पैमाने पर की जाती है. यह दक्षिण एशिया के गर्म क्षेत्रों तथा उत्तरी हिमालयी क्षेत्रों, भूटान व नेपाल में पाया जाता है. इसके अतिरिक्त यह अफ्रीका, एंडीज, अर्जेंटीना, एशिया, भूटान, बोलीविया, कैरिबियन देशों, मध्य अमेरिका, चीन, कोलंबिया, पूर्वी अफ्रीका, इस्वाडोर, ग्वाटेमाला, होंडुरास, भारत, मैक्सिको, नेपाल, उत्तरी अमेरिका, पनामा, पेरू, फिलीपींस, दक्षिण अमेरिका, तिब्बत में भी पाया जाता है.
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